Explainer: Single-use plastics पर पाबंदी से जुड़ी हर जरूरी बात जो आपको जाननी चाहिए

Single-use plastics: 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक के सामानों का इस्तेमाल भारत में प्रतिबंधित हो जाएगा. इसके बाद देश में सिंगल यूज प्लास्टिक के जगह किस चीज का उपयोग किया जाएगा ? क्या हमें पता है कि सिंगल यूज प्लास्टिक और टिकाऊ प्लास्टिक में क्या अंतर है ? आज आम जनता के मन में इस तरह के कई सवाल चल रहे हैं...तो आपके उन सारे सवालों का जबाब यहां दिया है.

India bans single use plastic
अनिरुद्ध गोपाल
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2022,
  • अपडेटेड 5:32 PM IST
  • लग सकता है भारी जुर्माना 
  • 1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर भारत में प्रतिबंधित लग जाएगा

1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक (Single-use plastics) (एसयूपी) के सामानों का इस्तेमाल भारत में प्रतिबंधित हो जाएगा. इस साल की शुरुआत में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने उत्पादकों, गली में सामान बेचने वाले  विक्रेताओं, रिटेलर्स और आम जनता को सूचित किया था कि केंद्र सरकार की ओर से सिंगल यूज प्लास्टिक मानी जाने वाली सभी वस्तुओं को बैन कर दिया जाएगा. प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक आइटम में सजावटी थर्मोकोल, प्लास्टिक कप, गिलास, झंडे, कैंडी, आईसक्रीम स्टिक, 100 माइक्रोन की मोटाई के पीवीसी बैनर, रैपिंग किल्में, स्टिरर और फ्लैटवियर शामिल हैं.

पर क्या हम अलग-तरह के प्लास्टिक के बीच के अंतर को जानते हैं? क्या हमें पता है कि सिंगल यूज प्लास्टिक और टिकाऊ प्लास्टिक में क्या अंतर है ? हम में से बहुत से लोगों के लिए इन सवालों का जबाब बड़ा सा नहीं है.

क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक?

सिंगल यूज प्लास्टिक से हमारा मतलब प्लास्टिक की उन वस्तुओं से है, जिसे एक बार प्रयोग करके फेंक दिया जाता है. जितने भी प्लास्टिक के आइटम बनाए जाते हैं. उनमें सिंगल यूज प्लास्टिक के आइटम सबसे ज्यादा बनाए जाते हैं. शैंपू, डिटर्जेंट और कॉस्टेमिक्स की पैकिंग के लिए बनाए गए प्लास्टिक आइटम के अलावा इसमें पॉलीथीन बैग, फेस मास्क, कॉफी के कप, क्लिग किल्म, कूड़े के बैग और खाने की पैकेजिंग के लिए बनाए जाने वाले प्लास्टिक शामिल हैं. 

हालांकि, अलग-अलग प्लास्टिक में अलग-अलग भौतिक और रासायनिक गुण होते हैं. इसलिए इनकी पहचान और रिसाइक्लिंग के अलग-अलग कोड दिए जाते हैं. अलग-अलग तरह के सात प्लास्टिक हैं, जिसका अपना रेसिन कोड है.

लग सकता है भारी जुर्माना 
अगर कोई सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग करते हुए पाये गये, तो उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए 5 साल का जेल और एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है. वहीं अगर कोई कंपनी लगातार इस नियम को तोड़ती पाई गई तो उसके खिलाफ 5 हजार का जुर्माना प्रतिदिन लगाए जाएंगे. इसके अलावा EP Act के तहत कार्रवाई के कई सारे प्रावधान हैं. 

सिंगल यूज प्लास्टिक पर 1 जुलाई 2022 से लगने वाले बैन को देखते हुए सबसे इस्तेमाल की जाने वाली श्रेणी के पदाथों का कोई विकल्प खोजने की तुरंत जरूरत है. हालांकि सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के आइटम्स को बदलने के काम में काफी चुनौतियां है. सिंगल यूज प्लास्टिक को बदलने में सबसे बड़ी चुनौती इसकी जगह प्रयोग होने वाले पदार्थों का काफी महंगा होना है. मटीरियल की कीमत बढ़ने से पैकिंग में निवेश करना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है. कंपनियों को कोई मुनाफा नहीं है. जागरूकता में कमी इन कंपनियों के लिए अतिरिक्त रुकावट बन रही है. खरीदारी के लिए परंपरागत पैकेजिंग की तुलना में पैकेजिंग के लिए महंगे मटीरियल का प्रयोग उपभोक्ताओं के लिए भी व्यावहारिक नहीं है. क्योंकि जब दाम बढ़ेंगे तो वह ज्यादा अच्छी वस्तुएं नहीं खरीद पाएंगे. हालांकि, यह कहना उचित होगा कि सिंगल यूज प्लास्टिक की जगह अन्य विकल्पों को तलाश करने की तुरंत जरूरत है. क्योंकि सरकार एक जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूवी)का प्रयोग करने पर भारी जुर्माना लगाना शुरु कर देगी. 

सिंगल यूज प्लास्टिक के क्या हैं विकल्प?
एसयूपी या सिंगल यूज प्लास्टिक के अलावा जो भी विकल्प आज उपलब्ध हैं, उसमें पीईटी एक बहुत ही स्पष्ट किफायती, टिकाऊ और 100 प्रतिशत रिसाइकिल करने के योग्य प्लास्टिक है, जिसका फूड आइटम्स और पेय पदार्थों की पैकेजिंग के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है, इसके साथ ही इसे सुविधाजनक ढंग से सॉफ्ट ड्रिंक की बोतलों, पानी, जूस और तरल रूप में आने वाली दवाइयों की पैकिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

प्लास्टिक बैग की बजाय कॉटन बैग का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसी तरह प्लास्टिक से बनी चम्मच की जगह बैम्बू स्टिक का इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं, प्लास्टिक कप की बजाय कुल्हड़ का इस्तेमाल हो सकता है.

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अनुसार पीइटी देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक में से एक है. देश में 900 किलोटन पीईटी का उत्पादन होता है, जिसमें से 90 फीसदी पीईटी को रिसाइकिल किया जाता है. 

मल्टी-यूज प्लास्टिक को अक्सर कई प्रॉडक्ट्स की पैकिंग के लिए रिसाइकल किया जाता है. इसमें से कपडों, घर में प्रयोग किए जाने वाले वस्तुओं, जैसे फर्नीचर, स्ट्रैपिंग्स या सजावटी साज-सामान की पैकिंग के लिए मल्टी यूज प्लास्टिक का प्रयोग किया जाता है, पीईटी की मदद से बनी बोतलों और कंटेनर को कई बार रिसाइकल किया जा सकता है. इससे प्रॉडक्ट की क्वालिटी में कोई गिरावट नहीं रहती है. यह फाइबर, तकियों और गद्दों समेत अन्य वस्तुओं की पैकिंग के लिए इस्तेमाल किए जातें हैं.

सिंगल यूज प्लास्टिक को बदलने के लिए 3 उच्च प्राथमिकता वाले विकल्पों की विशेषताएं और फीचर नीचे दिए गए हैं.

1.पीईटी उत्पादन 

  • पीईटी का निर्माण 280-290 डिग्री सेलसियस के अपेक्षाकृत कम तापमान पर किया जाता है.  

ट्रेट्रापैक     

  • ट्रेट्रापैक 75 फीसदी कागज+ 5 फीसदी एल्युमिनियम फॉयल+20 फीसदी पीई फिल्म से बना है. 

ग्लास

  • कांच को भी 1600 डिग्री सेल्सियस के तापमान की जरुरत होती है.
  • इनके निर्माण के लिए ज्यादा तापमान की जरुरत होती है. इसलिए यह काफी बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन करते हैं.

2.खाद्य सुरक्षा

  • पीईटी फूड ग्रेड बीपीए मुक्त प्लास्टिक है, जो खाने और पीने की चीजों में मिक्स नहीं होता या उनसे मिलता नहीं है.
  • अलग-अलग पदार्थों से बनी अलग-अलग परतें ट्रेट्रापैक की रिसाइक्लिंग बहुत मुश्किल बना देती है. इस प्रकिया में खासतौर पर निर्मित रिसाइक्लिंग यूनिट की जरूरत होती है.
  • कांच की बोतलों को अगर ढंग से कीटाणु रहित नहीं बनाया जाता तो वह स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए काफी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती हैं.

3.स्टर्लिजाइजेशन

  • पीईटी की बोतलों को एक बार इस्तेमाल किया जाता है.अगर इन्हें दोबारा प्रयोग करना है तो इन्हें साफ किया जा सकता है. 
  • इन बोतलों की रिसाइक्लिंग काफी मुश्किल होती है. इससे काफी मात्रा में कूड़ा-कचरा इकट्ठा होता है. जिससे जगह-जगह कूड़े का ढेर लगता है या यह समुद्र में चला जाता है. जिससे समुद्री जीवों पर काफी घातक प्रभाव पड़ता है. 
  • कांच की बोतलों को साफ करने के लिए बड़ी मात्रा में पानी की जरूरत होती है. 
  • कांच की बोतलों (20 लीटर की बोतलों को धोने के लिए सालाना 220 करोड़ लीटर पानी की जरूरत होती है. 

4.कच्चा माल

  • शोधन के दौरान पीईटी का निर्माण पॅालिमर्स की मदद से किया जाता है. इससे वातावरण में हानिकारक गैसों को जलाने से रोकने में मदद मिलती है.
  • ट्रेट्रा पैक के उत्पादन में जंगलों के विनाश की जरूरत पड़ती है. क्योंकि इसके लिए बड़ी मात्रा में पेड़ काटने पड़ते हैं. 
  • कांच के निर्माण में बड़ी मात्रा में रेत और पानी की जरूरत होती है. जिससे कुदरती परिस्थिति की तंत्र पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है. 

5.सुरक्षा 

  • पीईटी की बोतलें हल्की, टूटने वाली और ले जाने में आसान होती हैं. 
  • ट्रेटापैक को भी आसानी से लाया-ले जाया जा सकता है. 
  • कांच की बोतलें काफी नाजुक होती है. टूटने पर यह काफी ज्यादा नुकसान करती हैं. 
  • कांच की बोतलों को हमले के लिए हथियार बनाने में प्रयोग किया जाता है. इसका प्रयोग पेट्रोल बम बनाने में भी किया जाता है. 

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