भारत के मिशन गगनयान की तैयारी पूरी हो गई है. मतलब भारत ने अंतरिक्ष में इंसान भेजने की तैयारी कर ली है. अगले साल यानी 2023 में भारत एक या दो इंसानों को अंतरिक्ष में भेजेगा. इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने से पहले इसरो हर एक पहलू को पूरी तरह से जांच लेना चाहता है. इसके लिए 2 ट्रायल होंगे, उसके बाद इंसानों अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि गगनयान की पूरी तैयारी हो गई है. अगले साल एक या दो लोगों को अंतरिक्ष में भेजेंगे. इससे पहले दो ट्रायल इस साल के अंत में पूरे हो जाएंगे.
ट्रायल में क्या होगा-
इंसानो को अंतरिक्ष में भेजने से पहले इसरो दो ट्रायल करेगा. पहले ट्रायल में मानव रहित विमान अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. पहले चरण में गगनयान का मानव रहित मिशन G1 होगा. दूसरे ट्रायल में रोबोट युक्त अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. जिसमें व्योममित्र नाम का रोबोट अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इन दो ट्रायल के सफल होने के बाद आखिरी और तीसरा ट्रायल होगा. जिसमें इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है. केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि गगनयान स्पेस फ्लाइट मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजा जाएगा.
क्या है व्योममित्र रोबोट-
मिशन के तहत पहले मानव रहित विमान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. इसके बाद दूसरा ट्रायल शुरू होगा. जिसके तहत रोबोट को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है. इसी रोबोट को व्योममित्र नाम दिया गया है. इस रोबोट को ISRO ने तैयार किया है. व्योममित्र का ट्रायल सफल होने के बाद 2023 में मिशन गगनयान लॉन्च किया जाएगा. जिसमें इंसान को अंतरिक्ष में भेजने की योजना है.
7 दिन अंतरिक्ष में रहेंगे यात्री-
गगनयान मिशन के तहत इसरो यात्रियों को अंतरिक्ष की यात्रा कराएगा. इसके तहत यात्री पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में जाएंगे और 7 दिन स्पेस में रहेंगे. इसके लिए यात्रियों को चुनने की प्रक्रिया शुरू हो गई. जिसके लिए इसरो ने एयरफोर्स से अंतरिक्ष यात्रियों को चुनने के लिए कहा है.
गगनयान के लिए क्या है अब तक तैयारी-
गगनयान के लिए एयरफोर्स के चार पायलटों ने ट्रेनिंग ली है. इन पायलटों ने रूस में अपनी ट्रेनिंग पूरी कर ली है. मॉस्को के पास जियोजनी शहर में रूसी स्पेस ट्रेनिंग सेंटर में इन पायलटों को एस्ट्रोनॉट्स बनने की ट्रेनिंग दी गई. इनका नाम गगननॉट्स होगा. इसमें एक ग्रुप कैप्टन और तीन विंग कमांडर शामिल हैं. रूस से ट्रेनिंग लेने के बाद इन पायलटों को बेंगलुरू में गगनयान मॉड्यूल की ट्रेनिंग दी जाएगी.
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