रहस्य से उठ गया पर्दा, अंधेरे में किस तरह जालें बुनती हैं मकड़ियां

रात के समय वेब-निर्माण कार्य के दौरान मकड़ियों का निरीक्षण करने के लिए, लैब ने इन्फ्रारेड कैमरों और इन्फ्रारेड रोशनी के साथ एक क्षेत्र तैयार किया. उस सेट-अप के साथ उन्होंने हर रात छह मकड़ियों की निगरानी की और उन्हें जाले बनाते हुए रिकॉर्ड किया.

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अंजनी
  • नई दिल्ली,
  • 08 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST
  •  केवल ‘सेंस ऑफ़ टच’ का करती हैं इस्तेमाल 
  • मकड़ी का मस्तिष्क मनुष्य के मस्तिष्क की तुलना में बहुत छोटा
  • एक अंधेरे कमरे में किया मकड़ियों पर अध्ययन 
  • सभी मकड़ियों का तरीका समान

मकड़ियों के जाले तो सभी ने देखे होंगे लेकिन ये जाले कब और कैसे बनाते हैं इसके बारे में किसी को पता नहीं है. लेकिन अब इस रहस्य से भी पर्दा उठ गया. अमेरिका के मेरीलैंड स्थित जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह पता लगा लिया है कि कैसे मकड़ियां नाईट विजन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके अपने आठ पैरों से अंधेरे में जाले बनाती हैं.

 केवल ‘सेंस ऑफ़ टच’ का करती हैं इस्तेमाल 

जाले बनाने वाली मकड़ियां जो आँखें बंद करके इन जालों का निर्माण करती हैं, केवल ‘सेंस ऑफ़ टच’ का इस्तेमाल करती हैं. यह पहेली हमेशा से मनुष्य को आकर्षित करती रही हैं. दरअसल सभी मकड़ियां जाले नहीं बनातीं. लेकिन जो मकड़ियां बनाती हैं, वे जानवरों की प्रजातियों के एक उपसमूह से आती हैं जो अपनी आर्किटेक्चरल क्रिएशंस के लिए जानी जाती हैं. इनमें घोंसला बनाने वाले पक्षी और पफ़र मछली, जो संभोग के समय रेत के घेरे बनाते हैं, शामिल हैं.

मकड़ी का मस्तिष्क मनुष्य के मस्तिष्क की तुलना में बहुत छोटा

जॉन्स हॉपकिन्स के एक व्यवहार जीवविज्ञानी एंड्रयू गॉर्डस ने कहा,"मुझे पहली बार इस विषय में दिलचस्पी तब हुई जब मैं अपने बेटे के साथ बाहर गया था. एक शानदार वेब देखने के बाद मैंने सोचा, 'यदि आप एक चिड़ियाघर में गए और एक चिंपैंजी को इसे बनाते हुए देखा तो आप सोचेंगे कि यह एक अद्भुत और प्रतिभाशाली चिंपैंजी है." उन्होंने कहा कि यह और भी आश्चर्यजनक है क्योंकि एक मकड़ी का मस्तिष्क मनुष्य के मस्तिष्क की तुलना में बहुत छोटा होता है.

एक अंधेरे कमरे में किया मकड़ियों पर अध्ययन 

उनकी टीम ने एक ‘हैकल्ड ओर्ब वीवर’ का अध्ययन किया, जो एक उंगलियों पर आराम से बैठने के लिए काफी छोटा है. यह पश्चिमी यूएसए की नेटिव मकड़ी है. रात के समय वेब-निर्माण कार्य के दौरान मकड़ियों का निरीक्षण करने के लिए, लैब ने इन्फ्रारेड कैमरों और इन्फ्रारेड रोशनी के साथ एक क्षेत्र तैयार किया. उस सेट-अप के साथ उन्होंने हर रात छह मकड़ियों की निगरानी की और उन्हें जाले बनाते हुए रिकॉर्ड किया. उन्होंने मशीन विजन सॉफ़्टवेयर, जो विशेष रूप से लिंब मूवमेंट का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किए गए थे, की मदद से लाखों इंडिविजुअल लेग एक्शंस को ट्रैक किया.

सभी मकड़ियों का तरीका समान 

उन्होंने पाया कि मकड़ियों में वेब बनाने का पैटर्न काफी हद तक समान है. समानता इतनी अधिक  है कि शोधकर्ता मकड़ियों के पैरों की स्थिति को देखकर वेब के उस हिस्से का पैटर्न प्रीडिक्ट करने में सक्षम थे जिस पर एक मकड़ी काम कर रही थी. "अंतिम संरचना थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन वेब बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले नियम समान हैं," गॉर्डस ने कहा. "सभी मकड़ियां एक ही नियम का उपयोग कर रहीं थीं, जो इस बात की पुष्टि करता है कि ये नियम उनके दिमाग में एन्कोड किए गए हैं. अब हम जानना चाहते हैं कि उन नियमों को न्यूरॉन्स के स्तर पर कैसे एन्कोड किया गया है," गॉर्डस ने कहा.

 

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