कैसे घूमता है सूरज? पहली बार 100 साल के डेटा की मदद से मिल गया जवाब... भारतीय एस्ट्रोनॉमर्स ने 125 साल पुरानी ऑब्जर्वेटरी की मदद से कर दिखाया कारनामा 

सूरज पृथ्वी को सीधे तौर पर प्रभावित करता है. कभी-कभी बिजली की कटौती या कम्युनिकेशन सिस्टम में समस्या पैदा करना इनमें से एक है. इस स्टडी की मदद से वैज्ञानिक ये समझ सकेंगे कि सूरज के अंदर क्या है? या सूरज किस तरह से काम करता है? या  सूरज के अलग-अलग भाग कैसे घूमते हैं? 

Sun Discovery (Image:India Today)
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 26 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:05 PM IST
  • डिफरेंशियल रोटेशन की खोज  की है
  • 100 साल के डेटा की मदद से मिल गया जवाब

भारतीय वैज्ञानिकों ने सूरज को लेकर एक बड़ी खोज की है. इसमें पता लगाया गया है कि आखिर सूरज कैसे घूमता है. स्टडी के लिए कोडैकनाल सोलर ऑब्जर्वेटरी से 100 से ज्यादा साल के डेटा का इस्तेमाल किया गया है. पहली बार, सूर्य के घूमने को लेकर नई जानकारी मिली है. भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक सूरज कैसे घूमता है और किस गति से घूमता है, इसका पता लगाया गया है. 

सूरज कैसे घूमता है? ये समझने के लिए जरूरी है कि हम पहले पृथ्वी को लेकर समझें. पृथ्वी एक ठोस गोले की तरह घूमती है, जो हर 24 घंटे में एक पूरा चक्कर करती है. यह गति हर जगह एक जैसी होती है, चाहे वह बेंगलुरु के पास की जगहें हों या अंटार्कटिका के बर्फीले इलाके. लेकिन सूरज पृथ्वी की तरह ठोस नहीं है. यह प्लाज्मा का एक बड़ा गोला है, जो सुपरहीटेड गैस होती है. इस कारण से, सूरज के अलग-अलग हिस्से अपनी-अपनी गति से घूमते हैं.  

वैज्ञानिकों को लंबे समय से पता है कि सूरज का भूमध्य रेखीय हिस्सा, यानी मध्य भाग, ध्रुवों के निकट वाले क्षेत्रों से तेज़ी से घूमता है. भूमध्य रेखा को एक पूरा चक्कर करने में लगभग 25 दिन लगते हैं, जबकि ध्रुवों ऐसा करने में लगभग 35 दिन. इन दोनों में जो अंतर है उसे  'डिफरेंशियल रोटेशन' कहा जाता है. दोनों में इतने दिन का गैप क्यों है इसे समझना बहुत जरूरी है. 

डिफरेंशियल रोटेशन की खोज  
सूरज को लेकर डिफरेंशियल रोटेशन पर बात 19वीं सदी से ही होने लगी थी. इसका श्रेय एक खगोलशास्त्री कैरिंगटन को जाता है. उन्होंने सबसे पहले देखा कि सूर्य की सतह पर दिखाई देने वाले काले धब्बे, जिन्हें सनस्पॉट्स कहा जाता है, सूर्य पर उनकी जगह के हिसाब से अलग-अलग गति से घूमते हैं. भूमध्य रेखा के पास के सनस्पॉट्स ध्रुवों के पास वाले सनस्पॉट्स से ज्यादा तेजी से घूमते हैं.  

(फोटो- इंडिया टुडे)

हालांकि, सनस्पॉट्स सूरज पर हर जगह दिखाई नहीं देते हैं, जिसका मतलब था कि वैज्ञानिक उनका उपयोग सूरज के घूमने को लेकर पूरी जानकारी नहीं ले सकते हैं. दूसरे डिवाइस, जैसे स्पेक्ट्रोग्राफ का इस्तेमाल करना काफी मुश्किल था. इन चुनौतियों की वजह से, वैज्ञानिक यह नहीं समझ पाए कि आखिर डिफरेंशियल रोटेशन समय के साथ कैसे बदलता है? 

सोलर प्लेज और नेटवर्क का उपयोग   
यहीं पर हालिया खोज सामने आई. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) के एस्ट्रोनॉमर्स के एक ग्रुप इस स्टडी को किया है.  उन्होंने कोडैकनाल सोलर ऑब्जर्वेटरी के डेटा का उपयोग किया, जो 100 से अधिक साल से सूरज की तस्वीरें इकट्ठी कर रही है. दुनिया में केवल 2 ही ऐसी ऑब्जर्वेटरी हैं जहां इतने लंबे समय का डेटा उपलब्ध है.

टीम ने सूर्य की सतह पर 'सोलर प्लेज' और 'नेटवर्क सेल्स' नाम की विशेषताओं का अध्ययन किया. प्लेज सूर्य की सतह पर चमकीले क्षेत्र होते हैं, और नेटवर्क सेल्स प्लाज्मा की गति से बनने वाले स्ट्रक्चर होते हैं. ये विशेषताएं सनस्पॉट्स से अलग होती हैं. प्लेज बड़े और चमकीले होते हैं, जबकि नेटवर्क सेल्स पूरे सूर्य की सतह पर पाई जाती हैं. प्लेज और नेटवर्क पूरी सोलर साइकिल के दौरान देखे जा सकते हैं, जबकि सनस्पॉट्स केवल कुछ समय के दौरान दिखाई देते हैं. 

100 साल के डेटा की खोज  
कोडैकनाल सोलर ऑब्जर्वेटरी ने सूरज की क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें को फोटोग्राफिक प्लेटों का उपयोग करके सावधानीपूर्वक रिकॉर्ड किया है. इन प्लेटों को हाल ही में डिजिटाइज किया गया था, जिसका मतलब  कि उन्हें अब डिजिटल रूप से देखा जा सकता है. 

लोगों को मिलेगा फायदा 
वैज्ञानिकों ने पाया कि सूरज की भूमध्य रेखा हर दिन लगभग 13.98 डिग्री की दर से घूमती है, जबकि ध्रुव बहुत कम गति से 10.5 डिग्री प्रति दिन घूमते हैं. बता दें, सूरज पृथ्वी को सीधे तौर पर प्रभावित करता है. कभी-कभी बिजली की कटौती या कम्युनिकेशन सिस्टम में समस्या पैदा करना इनमें से एक है. इस स्टडी की मदद से वैज्ञानिक ये समझ सकेंगे कि सूरज के अंदर क्या है? या सूरज किस तरह से काम करता है? या  सूरज के अलग-अलग भाग कैसे घूमते हैं? 
 

 

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