बेहतर से बेहतर फैसले लेने की बेस्ट ट्रिक है सोना... जानें नींद में भी कैसे मुश्किलों का हल निकाल लेता है हमारा ब्रेन है? कैसे काम करता है ये? 

Science Behind Sleep: कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी समस्या में अटके हों और अगली सुबह आपको अचानक समाधान मिल जाए? ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारा ब्रेन सोते समय भी एक्टिव रहता है.

Sleep Science
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:11 PM IST
  • सोते हुए दिमाग करता है काम
  • पैटर्न की कर लेता है पहचान

अक्सर मजाक-मजाक में कहा जाता है कि सो जाने से सारी परेशानी हल तो नहीं होती लेकिन उससे लड़ने की हिम्मत हम में जरूर आ जाती है. ऐसा सच में है! इतिहास में कई प्रसिद्ध विचारकों, आविष्कारकों और रचनात्मक व्यक्तियों ने नींद में आने वाले सपनों को अपनी नई खोज और समाधान का श्रेय दिया है. हालांकि, इसके पीछे का रहस्य क्या है या क्या ये सिर्फ एक कहावत भर है, इसे लेकर अब हाल ही में एक शोध हुआ है. 

कल्पना कीजिए कि आप एक गैरेज सेल में सामान के बॉक्स देख रहे हैं और यह तय करना है कि कौन सा बॉक्स सबसे कीमती चीजें रखता है. आपको ऐसा लग सकता है कि यह एक नॉर्मल सा खेल है, लेकिन ड्यूक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने 2024 में इस पर आधारित एक प्रयोग किया है. इससे यह पता लगाया गया है कि नींद हमारे निर्णय लेने की प्रक्रिया को कैसे प्रभावित करती है. 

प्रतिभागियों को वर्चुअल बॉक्स में सामान का मूल्यांकन करने का काम दिया गया. इनमें से ज्यादा चीजें साधारण थीं, लेकिन कुछ चीजें काफी महंगी थीं. जिन प्रतिभागियों को तुरंत निर्णय लेना था, वे अक्सर शुरुआती चीजों से प्रभावित हुए और बॉक्स की बाकी चीजों पर ध्यान नहीं दिया. 

लेकिन जब प्रतिभागियों को नींद लेने का समय दिया गया और अगले दिन निर्णय लेने को कहा गया, तो परिणाम काफी अलग थे. जिन्होंने नींद के बाद सोचा उन्होंने पूरे बॉक्स का मूल्यांकन किया और संतुलित होकर निर्णय लिया.   शोध में सामने आया कि नींद हमारी सोच को साफ कर देती है. 

सोते हुए दिमाग की ताकत
कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी समस्या में अटके हों और अगली सुबह आपको अचानक समाधान मिल जाए? ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारा ब्रेन सोते समय भी एक्टिव रहता है. 2019 के एक अध्ययन ने यह दिखाया कि दिमाग को हल न हो सकने वाली समस्याओं को हल करने के लिए कोई साउंड दी जाए, तो वह इसका समाधान खोजने में मदद कर सकता है.  

इस प्रयोग में प्रतिभागियों को कुछ मुश्किल पहेलियां दी गईं, और हर पहेली के साथ एक अलग साउंड बजाई गई. बाद में, जब प्रतिभागी सो गए, तो वैज्ञानिकों ने उन्हीं साउंड को फिर से चलाया. 

अगली सुबह, जब प्रतिभागियों ने पहेलियों को हल करने की कोशिश की, तो उन पहेलियों को हल करने की संभावना ज्यादा नजर आई जिनकी साउंड उन्होंने नींद के दौरान सुनी थी.  

ये दिखाता है कि जब सोते समय दिमाग बैकग्राउंड साउंड चलाई जाती है, तो दिमाग उस समस्या को हल करने की कोशिश करता है. 

पैटर्न की पहचान
नींद दिमाग को चीजों और घटनाओं के बीच के छोटे-छोटे लिंक को भी खोजने में मदद करती है. लाइट बल्ब के आविष्कारक थॉमस एडिसन ने क्रिएटिविटी को बढ़ाने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया था. वह अपने हाथ में एक गेंद लेकर झपकी लेते थे. जैसे ही वह नींद में जाते, उनके हाथ से गेंद गिर जाती, जिससे आवाज होती और वह जाग जाते. एडिसन का मानना था कि जागने और सोने के बीच की इस "ट्वाइलाइट ज़ोन" में उनके सबसे अच्छे विचार आते थे.  

2021 में, फ्रांसीसी शोधकर्ताओं ने एडिसन की इस तकनीक का टेस्ट किया था. उन्होंने प्रतिभागियों को एक गणित का सवाल दिया, जिसमें एक छिपा हुआ शॉर्टकट था.

प्रतिभागियों को झपकी लेने के लिए कहा गया, उनके हाथ में एक कप दिया गया जो सोने के दौरान गिर जाता. जिन प्रतिभागियों ने हल्की नींद ली, उनमें सवाल का शॉर्टकट खोजने की संभावना ज्यादा दिखाई दी.    

नींद और सोचना उपयोगी है? 
नींद के पीछे के विज्ञान ने यह साबित कर दिया है कि रात में हमारा दिमाग खाली नहीं बैठता. यह यादों को मजबूत करता है, पैटर्न की पहचान करता है और मुश्किल समस्याओं के समाधान खोजता है. चाहे बेहतर निर्णय लेना हो, किसी मुश्किल समस्या का हल खोजना हो, या अपनी क्रिएटिविटी को बढ़ाना हो नींद एक अच्छा तरीका है.
 

 

Read more!

RECOMMENDED