गर्मियों में कई जगहों पर पानी की कमी हो जाती है. इसी को कम करने के लिए आईआईएससी (IISc) के शोधकर्ताओं ने एक नोवल थर्मल डिसेलिनेशन सिस्टम बनाया है. गर्मी के तापमान में बढ़ोतरी और पानी की कमी के खतरे को देखते हुए इसे बनाया गया है. इसके तहत स्वच्छ, पीने योग्य पानी की उपलब्धता बढ़ाने के संभावित समाधान के रूप में सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा. सोलर एनर्जी की मदद से स्वच्छ पानी लोगों को मिल सकेगा.
कैसे करता है ये काम?
डिसेलिनेशन के लिए सबसे आम तरीके - मेम्ब्रेन बेस्ड रिवर्स ऑस्मोसिस और थर्मल डिसेलिनेशन - दोनों बहुत अधिक ऊर्जा की खपत करते हैं. आईआईएससी ने कहा, "वाष्पीकरण के लिए जरूरी ऊर्जा आमतौर पर या तो बिजली या जीवाश्म ईंधन के कम्बशन से मिलती है. ये विकल्प पर्यावरण के अनुकूल है. जिसमें सोलर स्टिल्स का उपयोग किया जा रहा है. इसमें बड़े जलाशयों में खारे पानी को वाष्पित करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाता है और वाष्प जो एक ट्रांसपेरेंट छत पर कंडेन्स होता है, उसे फिर इकठ्ठा किया जाता है.”
हालांकि, कंडेंसेशन के दौरान, छत पर पानी की एक पतली परत बनती है, जिससे जलाशय में घुसने वाली सौर ऊर्जा की मात्रा कम हो जाती है और इसलिए सिस्टम की एफिशिएंसी भी कम हो जाती है. .
ये लागत प्रभावी और पोर्टेबल है
डिपार्टमेंट ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग की अस्सिटेंट प्रोफेसर सुष्मिता दाश टीओआई को कहती हैं, "आईआईएससी टीम ने सौर ऊर्जा से चलने वाली डिसेलिनेशन यूनिट के लिए एक नावेल डिजाइन बनाया है, जो अधिक ऊर्जा-कुशल, लागत प्रभावी और पोर्टेबल है. इसे बिजली तक सीमित पहुंच वाले क्षेत्रों में स्थापित करना सुविधाजनक हो सकता है.”
अभी बनाया जा रहा है इसे और एडवांस
समुद्री जल के अलावा, ये सिस्टम भूजल के साथ-साथ खारे पानी के साथ भी काम कर सकता है. इसे दिन के दौरान सूर्य की बदलती स्थिति के साथ भी एडजस्ट किया जा सकता है. शोधकर्ता वर्तमान में सिस्टम को और बेहतर बनाने और इसकी ड्यूरेबिलिटी में सुधार करने और पेयजल की मात्रा बढ़ाने पर काम कर रहे हैं, ताकि इसे घरेलू और व्यावसायिक उपयोग के लिए इस्तेमाल किया जा सके.