IISER BHOPAL के शोधकर्ताओं ने किया 'जादुई गोंद' का आविष्कार, पानी के अंदर भी त्वचा और हड्डियों को जोड़ने में करेगा मदद

भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, भोपाल और स्कूल ऑफ मेडिकल एंड एलाइड साइंसेज हरियाणा के वैज्ञानिकों ने ऐसे पदार्थ का निर्माण किया है जो हमारे शरीर की त्वचा और हड्डियों को पानी के अंदर भी चिपका सकता है.

प्रतीकात्मक तस्वीर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 5:24 PM IST

भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, भोपाल (IISER BHOPAL) और स्कूल ऑफ मेडिकल एंड एलाइड साइंसेज, हरियाणा के शोधकर्ताओं ने मेडिकल क्षेत्र में एक नया आविष्कार किया है. इन शोधकर्ताओं ने एक ऐसे गोंद (Glue) का निर्माण किया है जो पानी के अंदर भी हमारी त्वचा और हड्डियों को जोड़ने में मदद कर सकता है.

A30 रखा गया इस 'जादुई गोंद' का नाम

इस 'जादुई गोंद' से शरीर के क्षतिग्रस्त ऊतकों को ठीक करने और दर्दनाक टांके व त्वचा को स्टेपल करने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है. यह गोंद टूटी हुई हड्डियों को ठीक कर सकता है और दवाई की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकता है. चिपकने वाले इस बायोडिग्रेडेबल पदार्थ का नाम 'A30' दिया गया है. 

भारतीय पेटेंट किया हासिल

यह शोध आईआईएसईआर के प्रोफेसर आशीष श्रीवास्तव और डॉ. तन्मय दत्ता और स्कूल ऑफ मेडिकल एंड अलाइड साइंसेज के डॉ. आशीष शर्मा द्वारा किया गया था. उन्होंने इस चिपकने वाले पदार्थ के लिए एक भारतीय पेटेंट भी प्राप्त किया है. शोधकर्ताओं ने बताया है कि यहां आपकी टूटी हुई कुर्सी की भी मरम्मत कर सकता है.

प्रोफेसर आशीष श्रीवास्तव ने कहा है कि 'क्लियर सिंथेटिक बायोमेडिकल एडहेसिव' न केवल बायोडिग्रेडेबल है बल्कि बायोकम्पैटिबल भी है. जिसका अर्थ है कि यह मानव ऊतक के लिए हानिकारक नहीं है. उन्होंने कहा, कि यह हवा और पानी दोनों में विभिन्न सतहों, जैसे ऊतकों, हड्डियों, अंडे के छिलके और लकड़ी को बांध सकता है. यह अतिरिक्त रसायनों की आवश्यकता के बिना अपने आप कठोर हो जाता है.

 

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