21 साल की उम्र में IIT Bombay के मिहुल ने बना दी ऐसी कार, फीचर्स जानकर हैरान रह जाएंगे आप

आईआईटी बॉम्बे के रिसर्च स्कॉलर मेहुल बोराद ने एआई आधारित तकनीक विकसित की है, जिससे कोई भी व्यक्ति इशारों से कार चला सकता है. मेहुल ऐसी तकनीक लेकर आए हैं जिससे स्टीयरिंग को छुए बिना कार चलाना संभव हो जाएगा. कार को स्टार्ट करने और उसे चलाने के लिए बस इशारों का उपयोग करना होगा.

मेहुल बोराद (Photo: Social Media)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:07 AM IST
  • आईआईटी बॉम्बे के छात्र ने किया कमाल
  • बिना स्टीयरिंग छुए हाथ का इशारा देने से चलेगी कार

जब आप कुछ बड़ा करते हैं, तो चारों तरह आपकी ही बाते होने लगती है. अब ऐसी ही चर्चाएं मेहुल बोराद की हो रही है. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी IIT Bombay के हॉस्टल 16 में रहने वाले मेहुल का गन्दा कमरा, उनके स्पष्ट लक्ष्यों के बिल्कुल विपरीत रहा है. उन्होंने 21 साल के आयु में एक ऐसी कार बनाई है, जो हाथों के इशारों पर काम करती है.

टूलबॉक्स हमेशा से पसंदीदा खिलौना

मूल रुप से राजस्थान के रहने वाले मेहुल जीवन के बचपन में ही हैदराबाद चले गए. बचपन से ही मेहुल का पसंदीदा खिलौना उनका टूलबॉक्स रहा है. शुरूआत से ही घरेलू उपकरणों को खोलकर उन्हें दोबारा ठीक करने में महारत हासिल थी. इसके बाद साइंस के प्रति रुझान बढ़ने के बाद उन्होंने आईआईटी का रुख किया, जहां उन्होंने 21 साल की आयु में ऐसी बना दी, जो आपके हाथों के इशारे पर चल सकती है.

बचपन से ही मशीन करती हैं आकर्षित

मेहुल बताते हैं कि "मैं हमेशा इस बात से आकर्षित था कि मशीनें कैसे काम करती हैं. मैं उन्हें खोलूंगा, उनका पुनर्निर्माण करूंगा या उन्हें वापस एक साथ रखूंगा. मुझे याद है जब मैं सात साल का था, मैंने एक मोटर, पेपर ब्लेड, कुछ बैटरियां लीं और उनसे एक हाथ से चलने वाला पंखा बनाया" मेहुल ऐसी तकनीक लेकर आए हैं जिससे स्टीयरिंग को छुए बिना कार चलाना संभव हो जाएगा. कार को स्टार्ट करने और उसे चलाने के लिए बस इशारों का उपयोग करना होगा.

कार बनाने के लिए स्मार्ट इंजीनियरिंग का किया प्रयोग

जानकारी के अनुसार, मेहुल 21 साल से कम उम्र के उन अनस्टॉपेबल 21 भारतीयों में से एक हैं, जिन्होंने इतनी कम आयु के इतना बड़ा कारनामा करके दिखाया है. उन्होंने एक ऐसी कार का निर्माण किया है, जो कैसे भी इलाकों में चल सकती है और इसके लिए सिर्फ हाथों का इशारा ही काफी है. मेहुल ने इसके लिए स्मार्ट इंजीनियरिंग का प्रयोग किया.

आईआईएससी जाने चाहते थे मेहुल

Physics और मशीनों के प्रति उनका प्रेम उन्हें स्कूल के बाद आईआईटी में ले गया. ड्रोन से लेकर ईवी कार को फिर से तैयार करना, अपना खुद का रोबोटिक ब्रेक डांस बनाने से लेकर एक ऐसी कार बनाना, किसी भी इलाकों में चलती है और हाथ के इशारों से बाधाओं को दूर करती है. स्कूल के बाद मेहुल भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु में जाना चाहता था, लेकिन उन्हें जल्द ही एहसास हुआ कि सभी टॉपर्स इंजीनियरिंग के मक्का की ओर जा रहे थे, तो उन्होंने भी फैसला किया वह आईआईटी जाएगे. 


 

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