जब से इंसान ने जन्म लिया है तब से धरती पर हर किसी के पास दिन में एक जैसे 24 घंटे होते हैं. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होगा. वैज्ञानिकों के अनुसार, भविष्य में एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर एक दिन में 24 नहीं 25 घंटे हुआ करेंगे.
जी हां, दरअसल हर साल चंद्रमा धरती से दूर हो रहा है. इसकी वजह से दिन की लंबाई बढ़ सकती है. यानी एक दिन 25 घंटे तक बढ़ सकता है.
धीरे-धीरे दूर हो रहा है चंद्रमा
चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी से दूर जा रहा है. वर्तमान में, यह लगभग 384,400 किलोमीटर (238,855 मील) दूर है और लगभग हर 27.3 दिनों में हमारे ग्रह की एक ऑर्बिट पूरी करता है. हालांकि, ये कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे हम हर दिन नोटिस करते हैं. लेकिन इसका हमारे दिनों की लंबाई पर असर जरूर पड़ता है.
25 घंटे तक बढ़ जाएगा एक दिन
विस्कॉन्सिन-मैडिसन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस घटना का पता लगाने के लिए एक स्टडी की है. उन्होंने लगभग 90 मिलियन साल पहले चट्टानों के निर्माण की जांच की. साथ ही ये भी पता किया कि लगभग 1.4 बिलियन साल पहले चंद्रमा के साथ पृथ्वी की क्या स्थिति थी. इनसे पता चलता है कि चंद्रमा हर साल लगभग 3.82 सेंटीमीटर की दर से पृथ्वी से दूर जा रहा है. अगर यह दर जारी रही, तो अगले 200 मिलियन साल में धरती का दिन लगभग 25 घंटे तक बढ़ जाएगा.
कैसे घूमता है चंद्रमा?
चंद्रमा का बहाव पृथ्वी के घूर्णन यानी उसकी रोटेशन को प्रभावित करता है. यह प्रक्रिया धरती और चंद्रमा के बीच के गुरुत्वाकर्षण बल से चलती है. विस्कॉन्सिन-मैडिसन युनिवेर्सिटी के भूविज्ञान प्रोफेसर स्टीफन मेयर्स इसकी तुलना एक फिगर स्केटर से करते हैं. वह बताते हैं, "जैसे-जैसे चंद्रमा दूर जाता है, पृथ्वी एक घूमते हुए फिगर स्केटर की तरह हो जाती है, जो अपनी बांहें फैलाते ही धीमी हो जाती है." जिस प्रकार स्केटर अपनी भुजाएं फैलाकर अपनी घूमने की स्पीड को धीमा कर देता है, उसी प्रकार जैसे-जैसे चंद्रमा दूर जाता जाता है, पृथ्वी के घूमने की गति भी धीमी होती जाती है.
पृथ्वी का घूमना दिन की लंबाई को प्रभावित करता है. बहुत पुरानी चट्टानों की जांच करके, वैज्ञानिकों का लक्ष्य यह जानना है कि आखिर अरबों सालों में पृथ्वी का घूमने और चंद्रमा की ऑर्बिट कैसे बदल गई है.
चंद्रमा का वातावरण कमजोर है
साल 1960 और 1970 के दशक में अपोलो मिशन के दौरान चंद्रमा पर कई रिसर्च की गई थी. वहां उतरने वाले नासा के अंतरिक्ष यात्रियों ने एक चौंकाने वाला तथ्य बताया था. उनके मुताबिक, चंद्रमा का वातावरण काफी कमजोर है. चंद्रमा का यह वातावरण धरती के घने वायुमंडल की तुलना में बेहद पतला है.
इसको लेकर चंद्रमा की मिट्टी पर भी रिसर्च की गई. अपोलो मिशन के दौरान ये मिट्टी चंद्रमा से ही सैंपल के लिए लाई गई थी. इसमें वैज्ञानिकों ने पाया कि बड़े और छोटे दोनों प्रकार के उल्कापिंडों के प्रभाव चंद्रमा के वायुमंडल में योगदान देते हैं.