ISRO Reusable Launch Vehicle: हर बार नया स्पेस व्हीकल बनाने की नहीं पड़ेगी जरूरत, एक को ही कर सकेंगे इस्तेमाल, RLV पुष्पक की हुई सफलतापूर्वक टेस्टिंग 

RLV LEX-01 और LEX-02 मिशनों की सफलता के बाद, RLV LEX-03 भी अब तैयार है. इस वाहन ने साबित कर दिया कि यह कठिन परिस्थितियों में अपने आप लैंडिंग कर सकता है.

RLV LEX-03 (Photo: ISRO)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2024,
  • अपडेटेड 11:38 AM IST
  • मुश्किल समय में भी खुद कर सकता है लैंड 
  • ISRO ने बनाया रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल

लॉन्च व्हीकल टेस्ट में इसरो को बड़ी सफलता मिली है. 23 जून 2024 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल का सफलतापूर्वक फाइनल टेस्ट किया है. कर्नाटक के चित्रदुर्ग में एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (ATR) में ये तीसरा टेस्ट किया गया है. जैसा की नाम से पता चलता है… रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल एक तरह का बार-बार उपयोग किए जा सकने वाले स्पेस व्हीकल है. 

तीसरे टेस्ट में क्या हुआ: LEX-03

तीसरा लैंडिंग प्रयोग, जिसे LEX-03 कहा जाता है, सुबह 7:10 बजे हुआ. इस टेस्ट में, इसरो ने पुष्पक नामक एक पंख (Wing) वाले व्हीकल का उपयोग किया. भारतीय वायु सेना ने चिनूक हेलीकॉप्टर का उपयोग करके पुष्पक को 4.5 किलोमीटर की ऊंचाई तक उठाने में मदद की. एक बार लॉन्च होने के बाद, पुष्पक को खुद ही रनवे पर आना था और ठीक बीच में उतरना था. यह लैंडिंग पिछले परीक्षणों की तुलना में काफी मुश्किल कठिन थी. लेकिन आखिरकार पुष्पक ने ये टेस्ट पूरा किया. 

ISRO reusable space vehicle (Photo: ISRO)

मुश्किल समय में भी खुद कर सकता है लैंड 

यह टेस्ट पहले दो, LEX-01 और LEX-02 से अलग था, क्योंकि पुष्पक को LEX-02 में केवल 150 मीटर की तुलना में 500 मीटर की लंबी क्रॉस-रेंज को संभालना था. पुष्पक की सफल लैंडिंग से पता चला कि इसरो की तकनीक बेहद एडवांस है और वाहन इन चुनौतियों से निपटने के लिए अच्छी तरह से डिजाइन किया गया है.

इसरो ने कहा, "RLV LEX-01 और LEX-02 मिशनों की सफलता के बाद, RLV LEX-03 भी अब तैयार है. इस वाहन ने साबित कर दिया कि यह कठिन परिस्थितियों में अपने आप लैंडिंग कर सकता है."

ISRO RLV mission (Photo: ISRO)

यह क्यों मायने रखता है?

पुष्पक जैसे रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल मौजूदा समय के लिए जरूरी हैं क्योंकि उनका उपयोग कई मिशनों के लिए किया जा सकता है. इतना ही नहीं बल्कि इससे स्पेस की यात्रा भी सस्ती और टिकाऊ हो जाएगी. हर यात्रा के लिए एक नया वाहन बनाने के बजाय, इन वाहनों को लॉन्च किया जा सकता है, लैंड करवाया जा सकता है और फिर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है. 

 


 

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