भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष की दुनिया में फिर से अपना परचम लहराया. जी हां, इसरो ने शनिवार को दोपहर 2:19 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सिंगापुर के दो सैटेलाइट टेलीओएस-2 और ल्यूमलाइट-4 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया.
इन दोनों सैटेलाइट के साथ पीएसएलवी ऑरबिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (POEM) ने भी उड़ान भरा. दोनों सैटेलाइट जहां धरती की निचली कक्षा में स्थापित किए जाएंगे, वहीं, POEM अंतरिक्ष के वैक्यूम (निर्वात) में कुछ टेस्टिंग करेगा. यह PSLV की 57वीं उड़ान है. इस मिशन को टीएलईओएस-2 मिशन नाम दिया गया है. इस लॉन्चिंग के साथ ही ऑर्बिट में भेजे गए विदेशी सैटेलाइट की कुल संख्या 424 हो गई.
इस बार क्या है खास
इस बार इसरो लॉन्चिंग में PSLV-C55 रॉकेट का इस्तेमाल कर रहा है. ये इसरो का भरोसेमंद रॉकेट रहा है. सितंबर 1993 में पहली बार इस रॉकेट से लॉन्चिंग गई थी. तब से अब तक 56 बार यह सैटेलाइट लॉन्च कर चुका है. इस बार रॉकेट के इंटीग्रेशन में इनोवेशन किया गया है. इस बार ऐसा इंटीग्रेशन किया गया है ताकि असेंबलिंग और उड़ान में कम समय लगे. पहले पीएसएलवी के सारे हिस्सों को लॉन्चपैड पर मोबाइल सर्विस टावर के जरिए इंटीग्रेट किया जाता था. यानी जोड़ा जाता था. नए इनोवेटिव तरीके से इसरो रॉकेट के पहले और दूसरे स्टेज को PSLV इंटीग्रेशन फैसिलिटी (PIF) में जोड़ा जाता है. फिर उसे मोबाइल लॉन्च पेडेस्टल पर ले आया जाता है. इसके बाद तीसरे और चौथे हिस्से को पहले लॉन्चपैड पर जोड़ा जाता है. इसका फायदा ये है कि अगर पहले लॉन्च पैड पर कोई रॉकेट पहले से है तो दूसरे रॉकेट की असेंबलिंग में समय नहीं लगेगा. पहला-दूसरा स्टेज कम से कम समय जुड़कर तैयार रहेगा.
टेलीओएस-2
सिंगापुर सरकार ने टेलीओएस-2 को वहां के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के साथ मिलकर तैयार किया है. यह दिन-रात और सभी मौसमों में कवरेज देने में सक्षम होगा.
ल्यूमलाइट-4
ल्यूमलाइट-4 को सिंगापुर के इंफोकॉम रिसर्च इंस्टीट्यट (I2R) और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के सैटेलाइट टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च सेंटर (STAR) की साझेदारी में बनाया गया है. इसका उद्देश्य सिंगापुर की ई-नेविगेशन समुद्री सुरक्षा को बढ़ाना और ग्लोबल शिपिंग कम्यूनिटी को फायदा पहुंचाना है.
क्या है ISRO का POEM प्लेटफॉर्म
इसरो POEM मॉड्यूल का फुल फॉर्म पीएसएलवी ऑरबिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल होता है. POEM मॉड्यूल प्रक्षेपण यान PSLV-C55 का चौथा चरण है. इसका उद्देश्य वैज्ञानिकों को कक्षा में ही प्रयोग करने के अवसर प्रदान करना है. इसके लिए इसरो के पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) के अंतिम या चौथे चरण के हिस्से का उपयोग किया जाएगा जो समान्य तौर पर प्रक्षेपण की भूमिका खत्म होने के बाद खत्म हो जाता है.
कहां होगा POEM मॉड्यूल का उपयोग
हम आपको बताते हैं कि POEM मॉड्यूल का उपयोग कहां होगा. पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) चार चरणों वाला रॉकेट है, जिसके पहले तीन चरण तो महासागर में गिर जाते हैं, लेकिन अंतिम या चौथा चरण जिसे PS4 भी कहते हैं, सैटेलाइट को अपनी कक्षा में पहुंचाने के बाद केवल अंतरिक्ष का कचरा भर रह जाता है. अब इसी के ऊपर प्रयोग करने के लिए POEM का उपयोग किया जाएगा.