चांद से सैंपल्स वापस लाने के लिए Chandrayaan-4 लॉन्च करेगा ISRO, 2028 तक Indian Space Station लॉन्च करने का प्लान

ISRO कई बड़े और महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है. एजेंसी प्रमुख का कहना है कि भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन साल 2028 तक लॉन्च किया जा सकता है.

ISRO will launch Chandrayaan-4
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:15 PM IST
  • अगले तीन-चार महीनों में लॉन्च होगा जरूरी मिशन
  • स्पेस स्टेशन की प्लानिंग 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चार साल में चंद्रमा से सैंपल्स वापस लाने के लिए चंद्रयान -4 (Chandrayaan-4) लॉन्च करने की योजना बनाई है. इस बारे में इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने अंतरिक्ष एजेंसी के विजन 2047 के बारे में बात करते हुए बताया. 
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का पहला मॉड्यूल - भारत का नियोजित अंतरिक्ष स्टेशन साल 2028 तक लॉन्च किया जाएगा. यह रोबोट की मदद से एक्सपेरिमेंट करने में सक्षम होगा. 

अगले तीन-चार महीनों में लॉन्च होगा जरूरी मिशन
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले अंतरिक्ष एजेंसी से 2035 तक एक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक चंद्रमा पर एक आदमी भेजने का आह्वान किया था. हालांकि ये मिशन दूर लग सकते हैं, लेकिन सोमनाथ ने बताया कि निरंतर मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए महत्वपूर्ण एक प्रयोग "अगले तीन से चार महीनों में लॉन्च किया जाएगा."

SPADEX एक्सपेरिमेंट ऑटोनोमस डॉकिंग क्षमता प्रदर्शित करेगा. डॉकिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जहां दो अंतरिक्ष यान एक सटीक ऑर्बिट में अलाइन (संरेखित) होते हैं और एक साथ जुड़ जाते हैं. मिशन के बारे में बताते हुए, सोमनाथ ने कहा, "दो सैटेलाइट जो एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, लॉन्च किए जाएंगे, वे अलग हो जाएंगे, कुछ किलोमीटर की यात्रा करेंगे, और फिर वापस आएंगे और जुड़ेंगे." आपको बता दें कि भारत ने रूस के पीछे हटने के बाद चंद्रयान -2 और चंद्रयान -3 मिशन पर लैंडर और रोवर को सफलतापूर्वक विकसित किया था. लेकिन अब सोमनाथ ने कहा है कि सैंपल वापस लाने के मिशन के लिए लैंडिंग मिशन से कहीं ज्यादा तकनीक की जरूरत है. 

इन तकनीकों पर हो रहा है काम  
सोमनाथ ने कहा कि सैंपल्स इकट्ठा करने के लिए रोबोटिक आर्म, मून ऑर्बिट और अर्थ ऑर्बिट में डॉकिंग के लिए मैकेनिज्म, सैंपल्स का ट्रांसफर, बिना जले वायुमंडल में रि-एंट्री जैसी तकनीकों को विकसित करने पर काम चल रहा है. यह गगनयान मिशन द्वारा भी प्रदर्शित किया जाएगा, जो अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजेगा और उन्हें वापस पृथ्वी पर लाएगा.

और इसरो ने हाल ही में प्रणोदन मॉड्यूल (प्रोपल्शन मॉड्यूल) में बचे हुए ईंधन का उपयोग करके चंद्रमा से पृथ्वी की कक्षा में एक अंतरिक्ष यान को वापस लाने के लिए एक ट्रैजेक्ट्री का प्रदर्शन किया था. एक सैंपल रिटर्न मिशन के लिए असेंडर मॉड्यूल को सैंपल्स इकट्ठे करने होंगे, चंद्रमा के चारों ओर एक ऑर्बिट में आना होगा, और इससे पहले की वह पृथ्वी पर वापस यात्रा शुरू करें, उसे दूसरे यान के साथ डॉक करके सैंपल ट्रांसफर करना होगा. 

पृथ्वी की कक्षा में, अंतरिक्ष यान को एक अन्य मॉड्यूल के साथ डॉक करना होगा जो इसे पृथ्वी पर लाएगा. गगनयान मिशन की तरह, चंद्रमा के नमूनों के साथ अंतरिक्ष यान पैराशूट की मदद से समुद्र में उतरेगा. सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष में भारतीयों की निरंतर उपस्थिति के लिए, इसरो एक इन्फ्लेटेबल हैबिटेट मॉड्यूल विकसित करने पर भी काम कर रहा है, जहां अंतरिक्ष यात्री घूम सकेंगे और प्रयोग कर सकेंगे. 

स्पेस स्टेशन की प्लानिंग 
इसरो बहुत सी नई तकनीकों पर भी काम कर रहा है. जैसे ऐसे सैटेलाइट जो अंतरिक्ष में दूसरे सैटेलाइट्स को फिर से ईंधन देने में सक्षम होंगे और इसरो सर्विसर मॉड्यूल जो मॉड्यूल के रखरखाव के लिए रोबोटिक हथियारों का उपयोग करने में सक्षम होंगे और यहां तक ​​कि जरूरत पड़ने पर मॉड्यूल को बदल भी सकेंगे. उन्होंने कहा, 2028 में पहला मॉड्यूल मौजूदा रॉकेटों के साथ लॉन्च किया जा सकता है. 

हालांकि, पूरे अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण के लिए एक भारी लॉन्च वाहन की जरूरत होगी. सोमनाथ ने कहा कि इसरो नेक्स्ट जेनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGVL) डिजाइन करने पर काम कर रहा है, जिसकी क्षमता 16 से 25 टन को पृथ्वी के निचले ऑर्बिट में ले जाने की होगी. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इसरो भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और इन देशों के बीच एक साझा इंटरफ़ेस बनाने के लिए नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ चर्चा कर रहा है. 

अंतरिक्ष स्टेशन के लिए इन देशों के साथ सहयोग की संभावना का संकेत देते हुए सोमनाथ ने कहा, यह इंटरफ़ेस संयुक्त कार्य को संभव बनाएगा. वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन कई देशों के सहयोग से बनाया गया है और 2030 में इसके डी-ऑर्बिट होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि सामान्य इंटरफ़ेस भारतीय मॉड्यूल को आईएसएस के साथ जाने और डॉक करने की भी अनुमति देगा. 

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