उत्तराखंड में जोशीमठ शहर पर आए संकट से निपटने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. देशभर के वैज्ञानिक और एक्टिविस्ट लगातार होनी टिप्पणी दे रहे हैं. धंसते हुए शहर को बचाने की जद्दोजहद जारी है. अब हाल ही में इसरो ने कुछ सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं जिससे पता चला है कि जोशीमठ शहर पिछले 12 दिनों में लगभग 5 सेंटीमीटर तक डूब गया है. हालांकि, भूमि का धंसाव जोशीमठ शहर के मध्य भाग तक ही सीमित है.
बता दे, जोशीमठ जिसे बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थल और औली का प्रवेश द्वार कहा जाता है, धंसता जा रहा है. जिसके वजह से वहां के घरों में दरारें आ गई हैं. लोगों को विस्थापित किया जा रहा है.
2 जनवरी से हुई जमीन धंसने की घटना तेज
इसरो ने जो तस्वीरें जारी की हैं उसमें पता चला है कि जोशीमठ शहर केवल 12 दिनों में 5.4 सेमी धंस गया है. जमीन धंसने की यह घटना दो जनवरी से शुरू हुई. ये शहर अब एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है. इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) के इस शुरुआती अध्ययन में कहा गया है कि अप्रैल और नवंबर 2022 के बीच जमीन के धंसने की ये प्रक्रिया धीमी थी. उस दौरान जोशीमठ शहर 8.9 सेमी तक धंसा था. लेकिन धीरे-धीरे ये प्रक्रिया तेज होती जा रही है.
12 दिनों में 5.4 सेंटीमीटर तक धंसा
ये तस्वीरें सेंटिनल-1 SAR इमेजरी पर आधारित हैं, जिसे DInSAR तकनीक का उपयोग करके प्रोसेस किया गया ताकि क्षेत्र में संभावित स्थानों और भूमि धंसाव की सीमा की बेहतर पहचान की जा सके. इसरो इन सैटेलाइट तस्वीरों को जारी करते हुए कहा कि 27 दिसंबर, 2022 से 8 जनवरी, 2023 के बीच शहर के जमीन में धंसने की घटना तेजी हुई है.
बताते चलें कि ये तस्वीरें कार्टोसैट-2एस सैटेलाइट से ली गई हैं. एनआरएससी की रिपोर्ट में कहा गया, “यह घटना हालांकि जोशीमठ शहर के मध्य भाग तक ही सीमित है. इसमें एक सामान्य भूस्खलन आकार जैसे दिखने वाले एक धंसाव क्षेत्र की पहचान की गई थी.
कई साल से धंस रहा है शहर
रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि शहर की ये धंसने की घटना कई साल से चल रही थी, हालांकि, इसकी गति बहुत धीमी थी. इसरो ने कहा, "अप्रैल और नवंबर 2022 के बीच 7 महीने की अवधि में जोशीमठ शहर के भीतर 9 सेमी तक की धीमी गिरावट दर्ज की गई है."
उत्तराखंड कैबिनेट की मीटिंग में लिए गए कई फैसले
गौरतलब है कि जोशीमठ को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार स्थिति का जायजा लिया. इस बीच शुक्रवार को जोशीमठ मामले पर उत्तराखंड कैबिनेट की मीटिंग में विस्थापित परिवारों के लिए बड़े फैसले लिए गए हैं. इसके तहत विस्थापन के लिए पीपलकोटी, गौचर, ढाक, कोटिफार्म, सेलांग के साथ साथ नई जगहें चिन्हित की गईं हैं. वहीं बिजली और पानी बिल नवंबर से 6 महीने के लिए माफ किया जाएगा. साथ ही मकान मालिक के लिए किराया 5000 तक बढ़ाया जाएगा, वहीं राहत शिविर में प्रति कमरा 950 रुपये अधिकतम रेंट पर दिया जाएगा. खाने के लिए हर रोज एक आदमी पर 450 रुपये खर्च किए जाएंगे. जो लोग विस्थापित हो रहे हैं उनके परिवार में 2 लोगों को मनरेगा में काम मिलेगा. साथ ही कैबिनेट मंत्री 1 महीने की सैलरी मुख़्यमंत्री राहत कोष में दान करेंगे.