Explainer: तो अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद यहां रहते हैं एस्ट्रोनॉट…. जानें कैसे काम करता है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन

इंटरनेशनल स्पेस  स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर ऑर्बिट में एक बड़ा स्पेसक्राफ्ट है. यह एक घर जैसा होता  है जहां अंतरिक्ष यात्री (Astronauts) और कॉस्मोनॉट्स रहते हैं. ये स्पेस स्टेशन एक तरह की साइंस लेबोरेटरी है, जहां अंतरिक्ष से जुड़े अलग-अलग तरह के प्रयोग किये जाते हैं.

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (फोटो क्रेडिट: नासा)
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 15 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:20 AM IST
  • कई देशों ने मिलकर किया है शुरू
  • यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है

इस वक्त पूरी दुनिया में स्पेस रिसर्च पर काम कर रही है. आए दिन नए नए मिशन लॉन्च किए जाते हैं.  कई देश तो ऐसे हैं जो मंगल पर अपने स्पेसक्राफ्ट्स  भेज चुके हैं तो वहीं चांद और मंगल पर भी इंसानों को भेजने की तैयारी में लगे हैं. लेकिन आज तक का सबसे चर्चित मिशन अगर कोई है तो वो है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station). 

किस तरह करता है ये काम?

इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर ऑर्बिट में एक बड़ा स्पेसक्राफ्ट है. यह एक घर जैसा होता है जहां अंतरिक्ष यात्री (Astronauts) और कॉस्मोनॉट्स रहते हैं. ये स्पेस स्टेशन एक तरह की साइंस लेबोरेटरी है, जहां अंतरिक्ष से जुड़े अलग-अलग तरह के प्रयोग किये जाते हैं. ये स्पेस स्टेशन उन हिस्सों से बना है जिन्हें एस्ट्रोनॉट ने कभी स्पेस में इकट्ठा किया था. यह लगभग 250 मील की औसत ऊंचाई पर पृथ्वी के चारों तरफ घूमता रहता है. यह 17,500 मील प्रति घंटे की रफ्तार से चलता है. यानी यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा करता है. अंतरिक्ष में रहने और काम करने के बारे में और भी ज्यादा जानने के लिए नासा इस स्पेस स्टेशन का उपयोग कर रहा है.  

(फोटो क्रेडिट: नासा)

कई देशों ने मिलकर किया है शुरू

यह एक खास तरह की आर्टिफिशियल सैटेलाइट है जिस पर कई दिन तक अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं. इसे सबसे पहले 24 साल पहले 20 नवंबर 1998 को लॉन्च किया गया था, जिसे पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा में स्थापित किया गया था. बता दें, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन कई देशों ने मिलकर-जुलकर शुरू किया है. ये एक तरह का संयुक्त अभियान है. रूस की स्पेस एजेंसी रोसकोसमोस, जापान की जाक्सा, यूरोप की यूरोपीय स्पेस एजेंसी और कनाडा स्पेस एजेंसी के अलावा अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने मिलकर इसे शुरू किया है.  

ये स्पेस स्टेशन कितना पुराना है?

नासा की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का पहला पीस नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था. एक रूसी रॉकेट ने रूसी ज़रिया (zar EE uh) कंट्रोल मॉड्यूल लॉन्च किया था. लगभग दो हफ्ते बाद, स्पेस शटल एंडेवर को ऑर्बिट में भेजा गया, जहां उसे ज़ारिया से जोड़ा गया.

इस  स्पेस शटल को यू.एस. यूनिटी नोड लेकर गया था. जिसके बाद  क्रू ने यूनिटी नोड को ज़ारिया से जोड़ा. इसके बाद बचे हुए हिस्सों को स्पेस स्टेशन में बारी बारी से ले जाया गया और जोड़ा गया. इसमें करीब 2 साल लगे. पहला क्रू 2 नवंबर 2000 को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में गया. जिसके बाद से ही एस्ट्रोनॉट्स इस स्पेस स्टेशन में रह रहे हैं.  दुनिया भर से नासा और उसके सहयोगियों ने 2011 में इस स्पेस स्टेशन को पूरा किया. 

(फोटो क्रेडिट: नासा)

स्पेस स्टेशन कितना बड़ा है?

अगर इसके स्पेस की बात करें, तो ये स्टेशन पांच बेडरूम के घर जितने बड़ा है.  यहां छह लोग आराम से रह सकते हैं. नासा के अनुसार, पृथ्वी पर, स्पेस स्टेशन का वजन लगभग एक मिलियन पाउंड होगा.  इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अब तक करीब 19 देशों के लगभग 270 एस्ट्रोनॉट आकर समय गुजार चुके हैं. इनमें अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा, इटली, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, ब्राजील, डेनमार्क, कजाकिस्तना, मलेशिया, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, यूएई और यूके के यात्री शामिल हैं.

इस अभियान के लिए का मालिकाना हक और इसके उपयोग के बारे में इन देशों की सरकारों के बीच समझौते और संधियां हुईं इसके बाद साल 1980 के दशक में अमेरिका के स्पेस स्टेशन फ्रीडम प्रस्ताव के आधार पर तहत पृथ्वी का चक्कर लगाने वाले एक स्थायी स्टेशन की स्थापना पर सहमति हुई.

(फोटो क्रेडिट: नासा)

क्यों है ये स्पेस स्टेशन जरूरी?

पहले क्रू के आने के बाद से ही इंसान हर दिन स्पेस में रह रहा है. स्पेस स्टेशन में जो लैब बनाई गयी हैं उनमें ये एस्ट्रोनॉट्स अलग एक्सपेरिमेंट्स करते हैं, ये वो एक्सपेरिमेंट होते हैं जो पृथ्वी पर नहीं किए जा सकते. नासा अभी पृथ्वी के अलावा ब्रह्मांड में कहां जीवन है इसकी खोज करने पर काम कर रहा है. इनके अलावा, इंटरेनशनल स्पेस स्टेशन पर कई अंतरिक्ष यात्रियों ने सैंकड़ों प्रयोग किए हैं जैसे माइक्रोग्रैविटी, स्पेस का वातावरण, एस्ट्रोबायोलॉजी, एस्ट्रोनोमी, मीटियरोली और भैतिकी जैसे कई एक्सपेरिमेंट शामिल हैं. 

प्रयोग जो पृथ्वी पर  नहीं हो सकते स्पेस स्टेशन में होते हैं 

उपलब्धि की बात करें, तो वैज्ञानिक उपलब्धि और फायदों की लड़ी लगी हुई है. ऐसे कई सारे प्रयोग हैं जो जरूरी हैं लेकिन पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की वजह से नहीं किए जा सकते, उन सारे प्रयोगों के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन बहुत उपयुक्त है. स्पेस में इंसान रह सकते हैं या नहीं या  वहां के वातावरण को एडाप्ट कर पाते हैं या नहीं ऐसे सभी उपयोगों के लिए ये काफी फायदेमंद है.
 


 


 
 
 
 
 

Read more!

RECOMMENDED