Link Between Viagra and Alzheimer’s Disease: अल्जाइमर के रिस्क को कुछ हद तक कम कर सकता है वायग्रा, स्टडी में हुआ खुलासा

डॉ. रूथ और उनकी टीम ने 2,60,000 से ज्यादा पुरुषों के मेडिकल रिकॉर्ड को देखा. इनमें से आधे से ज्यादा पुरुष पीडीई5 इनहिबिटर दवाएं ले रहे थे, जिसमें सिल्डेनाफिल (वायग्रा के रूप में बेची जाने वाली), अवानाफिल, वार्डेनाफिल और टडालाफिल जैसी दवाएं शामिल थीं. इन पुरुषों को औसतन पांच साल तक वॉच किया गया. 

Link Between Viagra and Alzheimer
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 11:24 AM IST
  • वायग्रा कर सकता है अल्जाइमर में मदद
  • 2 लाख से ज्यादा लोगों पर हुई स्टडी 

अल्जाइमर बीमारी (Alzheimer’s Disease) से लड़ने के लिए लगातार दवाओं की खोज चल रही है. दशकों से इसमें कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है, लेकिन अब एक नई स्टडी आई है जिसमें वायग्रा का इस्तेमाल बताया गया है. वायग्रा  erectile dysfunction के इलाज के लिए जाना जाता है. लेकिन ये अल्जाइमर बीमारी से लड़ने में भी मदद कर सकता है.  

स्टडी से पता चला है कि जो पुरुष वायग्रा (Viagra) और इसी तरह की दवाएं खाते हैं, उनमें अल्जाइमर होने का खतरा कम हो सकता है. 

वायग्रा कर सकता है अल्जाइमर में मदद
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन पुरुषों को वायग्रा या दूसरी PDE5 इनहिबिटर (PDE5 inhibitors) दवाएं दी गईं, उनमें अल्जाइमर बीमारी होने की संभावना उन लोगों की तुलना में 18% कम थी, जिन्होंने ये दवाएं नहीं लीं. यह प्रभाव उन पुरुषों में सबसे ज्यादा देखा गया, जिन्हें सबसे ज्यादा मात्रा में इन दवाओं के नुस्खे दिए गए थे. जिन पुरुषों को स्टडी के दौरान 21 से 50 बार ये दवाएं दी गईं, उनमें अल्जाइमर का खतरा 44% कम पाया गया.

हालांकि, ये भी कहा है कि ये स्टडी यह प्रमाणित नहीं कर सकती है कि वायग्रा सच में अल्जाइमर से सुरक्षा देता है या जो पुरुषों इस बीमारी के कम खतरे में थे, वे ही इस दवा का ज्यादा सेवन कर रहे थे. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की डॉ. रूथ ब्रॉयर, के निर्देशन में ये स्टडी की गई है.

गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. रूथ कहती हैं, "हम अभी यह नहीं कह सकते कि ये दवाएं ही इस बीमारी को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन कहीं न कहीं ये हमें भविष्य के लिए सोचने पर मजबूर कर रही हैं. अब हमें महिलाओं और पुरुषों पर इन दवाओं के प्रभाव को समझने के लिए एक सटीक क्लिनिकल ट्रायल की जरूरत है.”

2 लाख से ज्यादा लोगों पर हुई स्टडी 
डॉ. रूथ और उनकी टीम ने 2,60,000 से ज्यादा पुरुषों के मेडिकल रिकॉर्ड को देखा. इनमें से आधे से ज्यादा पुरुष पीडीई5 इनहिबिटर दवाएं ले रहे थे, जिसमें सिल्डेनाफिल (वायग्रा के रूप में बेची जाने वाली), अवानाफिल, वार्डेनाफिल और टडालाफिल जैसी दवाएं शामिल थीं. इन पुरुषों को औसतन पांच साल तक वॉच किया गया. 

दुनियाभर में लगभग 55 मिलियन लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, जिनमें से ज्यादा अल्जाइमर के कारण हैं. अल्जाइमर के इलाज के लिए नई दवाएं बनाई जा रही हैं. लेकिन अभी तक कोई अच्छी दवा नहीं बनाई गई है. 

ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है वायग्रा 
वायग्रा मूल रूप से एनजाइना और हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए विकसित की गई थी. लेकिन देखते ही देखते ये दवा इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए ली जाने लगी. पीडीई5 इनहिबिटर दवाएं नसों और आर्टरी को आराम देकर ब्लड प्रेशर को बढ़ावा देती हैं. जानवरों पर की गई एक स्टडी से पता चला है कि यह ब्रेन में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करता है, जो अल्जाइमर से बचाव में मदद कर सकता है. 

अब ये भी कहा जा रहा है कि पीडीई5 इनहिबिटर अगर असल में अल्जाइमर से सुरक्षा देती हैं, तो यह दवाएं महिलाओं में भी उतनी ही प्रभावी होनी चाहिए जितनी पुरुषों में. इसे लेकर डॉ. रूथ कहती हैं, "हमें लगता है कि इसे एक बड़े ग्रुप पर टेस्ट करना जरूरी है.” 


 

Read more!

RECOMMENDED