इसरो ने चांद पर चंद्रयान 3 की लैंडिंग कराकर इतिहास रच दिया है. इससे पहले इसरो ने चंद्रयान 1 और चंद्रयान 2 भी लॉन्च किया था. इस दौरान कई ऐसे किस्से हुए थे, जिसे याद आज भी याद किया जाता है. एक किस्सा चंद्रयान 1 के समय मशहूर वैज्ञानिक डॉक्टर अब्दुल कलाम से जुड़ा है. चंद्रयान 1 मिशन के समय इसरो के कंट्रोल रूम में गए थे तो वैज्ञानिक माधवन नायर ने उनके लिए मसालेदार छाछ की व्यवस्था की थी. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मशहूर वैज्ञानिक और इसरो के पूर्व चेयरमैन माधवन नायर ने इसका जिक्र अपनी आत्मकथा 'रॉकेटिंग थ्रू द स्काईज: एन इवेंटफुल लाइफ एट इसरो' में इसका जिक्र किया है.
डॉ. कलाम को दी गई मसालेदार छाछ-
चंद्रयान 1 मिशन के दौरान 14 नवंबर 2008 को मून इंपैक्ट प्रोब (MIP) को चांद पर क्रैश कराया जाना था. इसके कुछ घंटे पहले डॉ. अब्दुल कलाम बेगलुरू में इसरो के कंट्रोल रूम पहुंचे. तो तत्कालीन इसरो चीफ माधवन नायर ने डॉ. कलाम के लिए मसालेदार छाछ की व्यवस्था की, जो उनका पसंदीदा पेय पदार्थ था. इसके बाद उन्होंने डॉ. कलाम को मिशन के बारे में सारी जानकारी दी. डॉ. कलाम के इस विजिट के बारे में माधनव नायर ने अपनी किताब में जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि डॉ. कलाम मॉर्डन सेटअप देखने के लिए काफी उत्साहित थे. उन्होंने कहा कि मैंने महसूस किया कि मैं उस अद्भुत जगह पर था.
डॉ. कलाम का सवाल, बदल गया चंद्रयान 1 का डिजाइन-
साल 2008 में चंद्रयान 1 मिशन एक ऑर्बिटर था. इसके लिए स्पेसक्राफ्ट को तैयार किया जा रहा था. तब तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने इसरो के चीफ माधवन नायर से पूछा था कि माधवन, आप दुनिया दुनिया को क्या सबूत दे रहे हैं कि आप चांद पर पहुंच गे हैं? डॉ. कलाम ने कहा कि जब हम एवरेस्ट और अर्टाकटिका के लिए मिशन चलाए थे तो हमने वहां अपना झंडा फहराया था. हम दुनिया को डिजिटल डाटा के जरिए समझाने की कोशिश कर रहे हैं. क्या आपको नहीं लगता कि इससे ज्यादा करने की जरूरत है?
उस समय डॉ. कलाम राष्ट्रपति थे और देश के मशहूर वैज्ञानिक भी थे. उनके सवालों के बाद ही चंद्रयान 1 के डिजाइन में बदलाव किया गया और मून इंपैक्ट प्रोब (MIP) को मिशन के साथ ले जाया गया. जब चंद्रयान 1 लॉन्च हुआ तो मून इंपैक्ट प्रोब चांद की सतह पर पहुंचने वाली पहली भारतीय चीज बन गई.
चंद्रयान 1 की लॉन्चिंग-
चंद्रयान 1 को साल 2008 में 22 अक्टूबर को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था. स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर केमिकल, मिनरलोजिकल और फोटो जियोलॉजिक मैपिंग के लिए चक्कर काट रहा था. इसमें 11 उपकरण शामिल थे. मिशन के मकसद को पूरा करने के लिए मई 2009 में ऑर्बिट को 200 किलोमीटर बढ़ा दिया गया था. 29 अगस्त 2009 को इसरो का चंद्रयान 1 से संपर्क टूट गया था.
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