वैज्ञानिकों ने खोजा कचरे से Bio Cement बनाने का अनोखा तरीका, इको-फ्रेंडली के साथ लागत भी होगी कम

सिंगापुर में नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस सीमेंट को बनाया है. इसका इस्तेमाल चट्टान में आई दरारें को सील करने के लिए भी किया जा सकता है.

Cement
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 जून 2022,
  • अपडेटेड 7:57 PM IST
  • निर्माण लागत में भी आ जाएगी काफी कमी
  • कई जगह किया जा सकेगा इस्तेमाल 

सीमेंट का इस्तेमाल हम कई चीजों में करते हैं. इसे किसी भी निर्माण में उपयोग किए जाने वाले एक पदार्थ के रूप में जाना जाता है. जब रेत और बजरी (gravel) को सीमेंट के साथ मिला दिया जाता है, तो कंक्रीट बनता है. सीमेंट दो तरह के होते हैं, हाइड्रोलिक या गैर-हाइड्रोलिक. इसमें गैर-हाइड्रोलिक सीमेंट पानी के मौजूद होने पर सेट नहीं होता है, जबकि हाइड्रोलिक सीमेंट को किसी सूखी सामग्री और पानी के बीच केमिकल रिएक्शन की जरूरत होती है. 

हालांकि, इससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है. इसलिए अब वैज्ञानिक बायो सीमेंट इस्तेमाल करने पर जोर दे रहे हैं. इसी कड़ी में  सिंगापुर में नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू सिंगापुर) के वैज्ञानिकों ने कचरे से बायो सीमेंट बनाने का एक तरीका खोजा है. ये नॉर्मल सीमेंट से इतर एक इको-फ्रेंडली ऑप्शन होगा. 

क्या है बायो सीमेंट?

बता दें, बायो सीमेंट एक प्रकार का रिन्यूएबल सीमेंट है जो बैक्टीरिया का इस्तेमाल करके मिट्टी को एक ठोस ब्लॉक में बांध देता है. अब यही बायो सीमेंट एनटीयू के वैज्ञानिकों ने दो वेस्ट मटेरियल- औद्योगिक क्षेत्र से निकला कार्बाइड कीचड़ (industrial carbide sludge) और यूरिया का उपयोग करके बनाया है. औद्योगिक कार्बाइड कीचड़ में कोई कठोर और ठोस चीज़ मिलाने के लिए उन्होंने यूरिया को Calcium ions के साथ मिलाया. और इससे बायोसीमेंट बनाया गया. 

कई जगह किया जा सकेगा इस्तेमाल 

ये रिसर्च जर्नल ऑफ एनवायरनमेंटल केमिकल इंजीनियरिंग में पब्लिश किया गया है. शोधकर्ताओं का मानना ​​​​है कि इस बायो सीमेंट का इस्तेमाल अलग-अलग तरीकों से मिट्टी को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है, जिसमें निर्माण या खुदाई के लिए जमीन को सख्त करना, समुद्र तट के कटाव को सीमित करना, रेगिस्तान में धूल या हवा के कटाव को कम करना और समुद्र तटों पर या रेगिस्तान में मीठे पानी के जलाशय स्थापित करना शामिल है.  

इसका इस्तेमाल चट्टान में आई दरारें को सील करने के लिए भी किया जा सकता है और यहां तक ​​कि रॉक नक्काशी और मूर्तियों जैसे स्मारकों की मरम्मत करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

निर्माण लागत में भी आ जाएगी काफी कमी

टीम लीड कर रहे प्रो चू जिआन के मुताबिक, ये एक इको-फ्रेंडली तरीका है. अगर इसका इतना ही इस्तेमाल होने लगा जितना नॉर्मल सीमेंट का होता है तो इससे निर्माण लागत में काफी कमी आ जाएगी. क्योंकि ये सीमेंट आसानी से बनाया जा सकेगा और इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा.


 

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