Wooden Satellite: NASA और Japan लॉन्च करेंगे लकड़ी की सैटेलाइट, जानें इसके पीछे की वजह

लिग्नोसैट, एक कॉफी मग के आकार की सैटेलाइट होने वाली है. मैगनोलिया लकड़ी से तैयार की गई है. इस लकड़ी का चुनाव बड़ा सोच समझकर किया गया है. यह स्पेस के वैक्यूम में में जलती या सड़ती नहीं है.

लकड़ी की सैटेलाइट
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:42 PM IST
  • आईएसएस पर हुआ इसका सफल परीक्षण
  • स्पेस में भी हो रहा है प्रदूषण 

नासा और जापान अब लकड़ी की सैटेलाइट बनाने वाले हैं. सस्टेनेबल स्पेस एक्सप्लोरेशन की दिशा में अब लकड़ी की सैटेलाइट बनाई जा रही है. नासा और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने 2024 की गर्मियों तक लिग्नोसैट नामक दुनिया की पहली लकड़ी की सैटेलाइट को पृथ्वी की ऑर्बिट में लॉन्च करने की योजना की घोषणा की है.

कैसे बनाई जाएगी ये सैटेलाइट?

लिग्नोसैट, एक कॉफी मग के आकार की सैटेलाइट होने वाली है. मैगनोलिया लकड़ी से तैयार की गई है. इस लकड़ी का चुनाव बड़ा सोच समझकर किया गया है. यह स्पेस के वैक्यूम में में जलती या सड़ती नहीं है. साथ ही जब ये पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश करने पर यह महीन राख में बदल जाती है, जो भविष्य के उपग्रहों के लिए बायोडिग्रेडेबल विकल्प प्रदान करती है.

आईएसएस पर हुआ इसका सफल परीक्षण

हालांकि, मैगनोलिया की लकड़ी चुनने से पहले वैज्ञानिकों ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर तीन लकड़ी के सैंपल- मैगनोलिया, चेरी और बर्च - पर टेस्टिंग की गई थी. दस महीनों तक आउटर स्पेस की कठोर परिस्थितियों के संपर्क में रहने के बावजूद मैगनोलिया की लकड़ी लचीली साबित हुई, जिसमें किसी भी तरह की कोई दिक्कत नजर नहीं आई.

स्पेस में भी हो रहा है प्रदूषण 

दरअसल, लकड़ी की सैटेलाइट की तैनाती अंतरिक्ष मलबे की बढ़ती समस्या का समाधान कर सकती है. वर्तमान में 9,300 टन से ज्यादा स्पेस में चीजें हैं. लकड़ी की सैटेलाइट कम रिफ्लेक्टिव और कम महंगी होती हैं. ऐसे में इन्हें स्पेस के लिए कम खतरनाक माना जा रहा है.

वहीं दूसरी ओर धातु से बने स्पेसक्राफ्ट भी महंगे हैं और आईएसएस, मनुष्यों को ले जाने वाले दूसरे स्पेसक्राफ्ट  बड़े होते हैं. तो जब वे वापस पृथ्वी में प्रवेश करते हैं तो वे लोगों के लिए भी खतरा पैदा करते हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार, लिग्नोसैट जैसी लकड़ी की सैटेलाइट सैद्धांतिक रूप से अंतरिक्ष कबाड़ के रूप में कम हानिकारक हो सकती है. 


 

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