NASA का कमाल! Space में अंतरिक्ष यात्रियों के पेशाब और पसीने से बनाया पीने लायक Water, आसान होगा अंतरिक्ष का सफर

स्पेस स्टेशन पर मौजूद प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री को पीने, खाना बनाने और साफ-सफाई के लिए एक गैलन प्रतिदिन पानी की जरूरत होती है. नासा के अंतरिक्ष यात्रियों ने स्पेश में पेशाब और पसीने से पीने लायक पानी बनाने में सफलता पाई है. 

नासा ने स्पेश में पेशाब और पसीने से बनाया पीने लायक पानी (फोटो सोशल मीडिया)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2023,
  • अपडेटेड 1:43 AM IST
  • 98 प्रतिशत मूत्र और पसीने को पीने के पानी में बदलने में मिली कामयाबी 
  • भविष्‍य में अंतरिक्ष मिशनों के लिए होगा काफी मददगार 

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने अनोखी सफलता हासिल की है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में रहने वाले एस्ट्रोनॉट्स के लगभग 98 प्रतिशत मूत्र और पसीने को पीने के पानी में बदलने में उसने कामयाबी हासिल की है. यह भविष्‍य में चंद्रमा और मंगल पर भेजे जाने वाले मिशनों के लिए काफी मददगार हो सकता है.

पानी की होती है रोज इतनी जरूरत
स्पेस स्टेशन पर मौजूद प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री को पीने, खाना बनाने और साफ-सफाई के लिए एक गैलन प्रतिदिन पानी की जरूरत होती है. अंतरिक्ष यात्रियों ने उन प्रणालियों का इस्तेमाल किया जो Environment Control and Life Support Systems (ईसीएलएसएस) का हिस्सा हैं. ईसीएलएसएस जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में आगे के इस्तेमाल के लिए खाना, हवा और पानी जैसी चीजों को रीसायकल करना है.

क्या है तरीका
ईसीएलएसएस जिन हार्डवेयर से मिलकर बना है, उनमें वॉटर रिकवरी सिस्टम भी शामिल है जो वेस्टवॉटर को इकट्ठा करता है और उसे वॉटर प्रोसेसर असेंबली में भेज देता है जो पीने योग्य पानी का उत्पादन करता है. केब्रिन क्रू की सांस और पसीने से केबिन की हवा में निकली नमी को इकट्ठा करने के लिए एक एडवांस्ड डीह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं एक दूसरी प्रणाली, यूरिन प्रोसेसर असेंबली (यूपीए), वैक्यूम डिस्टिलेशन का इस्तेमाल करके पेशाब से पानी निकालती है.

पेशाब से मिला 98 फीसदी साफ पानी
इस प्रक्रिया के बाय-प्रोडक्ट के रूप में नमकीन पानी का उत्पादन होता है, जिससे वेस्टवॉटर को निकालने के लिए एक ब्राइन प्रोसेसर असेंबली (बीपीए) को यूपीए (यूरिन प्रोसेसर असेंबली) में जोड़ा जाता है. अंतरिक्ष स्टेशन के लाइफ सपोर्ट सिस्टम का मैनेजमेंट करने वाले जॉनसन स्पेस सेंटर की टीम के सदस्य क्रिस्टोफर ब्राउन ने कहा कि बीपीए ने पेशाब से निकाले गए साफ पानी की मात्रा को 94 प्रतिशत से बढ़ाकर 98 प्रतिशत कर दिया है, जो अब तक सबसे अधिक है. पीने योग्य पानी को रिस्टोर करने का यह तरीका मंगल जैसे लंबे अंतरिक्ष मिशन में मदद कर सकता है.

बीपीए यूपीए की ओर से  पैदा नमकीन पानी लेता है और इसे एक खास झिल्ली तकनीक से चलाता है, फिर पानी को एवोपोरेट करने के लिए नमकीन पानी के ऊपर गर्म, शुष्क हवा फेंकता है. यह सिस्टम आर्द्र हवा बनाती है, जो चालक दल की सांस और पसीने की तरह, स्टेशन के वाटर कंजर्वेशन सिस्टम से जमा की जाती है. टीम ने माना कि रीसाइकिल हुआ पेशाब पीने का विचार कुछ लोगों को परेशान कर सकता है. लेकिन हमारे पास यह विश्वास दिलाने के लिए बहुत सारी प्रक्रियाएं हैं और बहुत सारे जमीनी परीक्षण हैं कि हम स्वच्छ, पीने योग्य पानी का उत्पादन कर रहे हैं.


 

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