NASA discovers new planets: सौर मंडल के बाहर नासा ने खोजे नए ग्रह, यहां मौजूद है पानी और गैस

NASA को सौर मंडल के बाहर दो ग्रहों का पता चला है- WASP-18b और WASP-39b. इनमें से एक ग्रह पर पानी मिला है तो दूसरे ग्रह पर कार्बन डाई ऑक्साइड.

Representational Image
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 05 जून 2023,
  • अपडेटेड 10:09 AM IST
  • WASP-18b और WASP-39b नाम के दो ग्रह मिले

नासा ने सौर मंडल के बाहर एक ग्रह पर पानी की खोज की है. ग्रह का नाम WASP-18b है और इसे 2009 में ट्रांसिटिंग एक्सोप्लेनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS), हबल और स्पिट्जर टेलिस्कोप की मदद से खोजा गया था. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने यहां पानी की खोज की है. यह ग्रह पृथ्वी से 400 प्रकाश वर्ष दूर है और एस्ट्रोनॉमर्स को इसके वातावरण में भाप और गैस मिली है.

इस ग्रह की मुख्य विशेषताएं

  • इसे अल्ट्रा हॉट गैस जायंट कहा जाता है.
  • यह ग्रह बृहस्पति से 10 गुना बड़ा है.
  • यहां एक साल 23 घंटे के बराबर होता है.
  • WASP-18b ने 2,700 डिग्री सेल्सियस तक तापमान रिकॉर्ड किया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इतने अधिक तापमान के कारण पानी वाष्पित होकर वातावरण में फैल गया है. 
  • नासा ने कहा कि यह ग्रह हमेशा अपने तारे के सामने होता है. ठीक वैसे ही जैसे चंद्रमा का एक हिस्सा हमेशा पृथ्वी के सामने होता है. 

सौर मंडल के बाहर मौजूद है एक और ग्रह 
पिछले साल, सौर मंडल के बाहर एक्सोप्लैनेट WASP-39b पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का पता चला था. यह ग्रह पृथ्वी से 700 प्रकाश वर्ष की दूरी पर है. यह ग्रह सूर्य जैसे तारे की परिक्रमा कर रहा है. जबकि इसका वजन बृहस्पति के वजन का एक चौथाई है, गैस के कारण बृहस्पति की तुलना में WASP-39b 30% फूला हुआ दिखाई देता है. हालांकि, इसका डायामीटर (व्यास) बृहस्पति से 1.3 गुना ज्यादा है.

WASP-39b पर तापमान लगभग 900 डिग्री सेल्सियस है. यह अपने तारे के बहुत करीब घूमता है. यहां एक साल 4 दिन के बराबर होता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस ग्रह की खोज 2011 में ही हो गई थी, लेकिन इसकी तस्वीर अब सामने आ गई है. इसे रेडियो टेलीस्कोप की मदद से खोजा गया था.

CO2 का पता कैसे लगाया गया?
हबल और स्पिट्जर टेलीस्कोप ने WASP-39b के वातावरण में जल वाष्प, सोडियम और पोटेशियम का पता लगाया. अब जेम्स वेब टेलीस्कोप ने CO2 की उपस्थिति का पता लगाया है. गैस के रंग को देखकर वैज्ञानिकों को इस बात का पता चला है. दरअसल, गैसें कुछ खास तरह के रंगों को सोख लेती हैं जिससे हम उनका पता लगा सकते हैं. 

 

Read more!

RECOMMENDED