NASA Luna Recycle Challenge: स्पेस से कचरा हटाने वालों को मालामाल करने वाला है नासा! जानिए क्या है अमेरिका की स्पेस एजेंसी का ऑफर

अंतरिक्ष में कूड़े की रिसाइकलिंग नासा के लिए बड़ा चैलेंज बनती जा रही है. चांद को घर बनाने का सपना देखने वाली स्पेस एजेंसी ने इस चैलेंज से निपटने एक प्रतियोगिता शुरू करने का फैसला किया है.

Plastic pollution waste
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 6:13 PM IST

सोवियत रूस के यूरी गागरिन अप्रैल 1961 में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले इंसान बने थे. अंतरिक्ष में जाने वाला आखिरी इंसान कौन होगा, किसी को नहीं पता. हो सकता है कि मानव सभ्यता पूरी की पूरी अंतरिक्ष में ही बस जाए. बीते 60 सालों में अंतरिक्ष की यात्रा करने के मायने ही बदल गए हैं. यहां तक कि स्पेस टूरिज्म ने भी जन्म ले लिया है. 

लेकिन अंतरिक्ष में इंसानों की बढ़ती मौजूदगी ने एक चुनौती भी पेश की है- वह है स्पेस में होने वाला कूड़ा. नित नए एयरक्राफ्ट्स से निकलने वाला कूड़ा अंतहीन अंतरिक्ष में घूम रहा है, जिसे साफ करने के लिए अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा (National Aeronautics and Space Administration) ने एक योजना बनाई है. 

नासा लाया लूना रीसाइकल चैलेंज
नासा ने एक कॉम्पिटीशन शुरू किया है, जिसमें प्रतिभागियों को अंतरिक्ष का कचरा रिसाइकल करने के लिए प्लान पेश करने होंगे.  लूना रीसाइकल चैलेंज (Luna Recycle Challenge) नाम के इस कॉम्पिटीशन के लिए 30 लाख डॉलर यानी करीब 25 करोड़ का प्राइज पूल रखा गया है. ये बड़ी रकम वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, और छात्रों को इस दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगी. 

नासा ने यह पहल चांद पर बसेरा बनाने की योजना और दूसरी 'डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन' योजनाओं को ध्यान में रखकर शुरू की है. इस योजना का मुख्य केंद्र ऐसी ऊर्जा बचाने वाली और किफायती रिसाइकलिंग तकनीक तैयार करना है जो खाने के पैकेट, खराब कपड़े और साइंसी प्रयोग के सामानों जैसे कचरे को रिसाइकल कर सके.

अब तक जहां नासा की सभी कोशिशें कचरे को कम करने पर केंद्रित थीं, वहीं इस बार यह स्पेस एजेंसी कचरे को रिसाइकल करने पर ध्यान दे रही है. 

अंतरिक्ष में कचरा क्यों है एक बड़ी समस्या?
अंतरिक्ष में कचरा कई कारणों से एक बड़ी समस्या है. नंबर एक, इससे टक्कर का खतरा बना रहता है. अंतरिक्ष में घूम रहे कचरे के टुकड़े सैटलाइट और स्पेसक्राफ्ट्स से टकरा सकते हैं. इससे जान और माल दोनों का नुकसान हो सकता है. साथ ही यह नए मिशनों के लिए दिक्कत भी पैदा कर सकता है. यह कचरा नए अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक बड़ी बाधा इसलिए बन सकता है क्योंकि इन मिशनों को कचरे से बचने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी. 

लंबे समय में यह पर्यावरण के लिए भी चिंता का विषय बन सकता है. भले ही यह सीधे पृथ्वी को प्रभावित नहीं करता लेकिन अगर इंसान भविष्य में चांद या अंतरिक्ष में कहीं और घर बनाना चाहता है तो यह कचरा एक गंभीर पर्यावरणीय मुद्दा है. 

दो चरणों में होगा लूना रीसायकल चैलेंज 
नासा का यह नया चैलेंज दो चरणों में होगा. पहला है-  प्रोटोटाइप बिल्ड ट्रैक. इसमें चंद्रमा की सतह पर ठोस कचरे को रीसायकल करने के लिए हार्डवेयर तैयार करना होगा. दूसरा है- डिजिटल ट्विन. इस चरण में प्रतिभागियों को ऐसे सिस्टम का वर्चुअल मॉडल डिजाइन करना होगा जो ज्यादा ठोस कचरे को रीसायकल कर सके और उससे एक या अधिक प्रोडक्ट बना सके. 

लूना रिसाइकल चैलेंज एक ऐसी पहल है जो अंतरिक्ष और पृथ्वी दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. ये चैलेंज न केवल हमें अंतरिक्ष में कचरे की समस्या से निपटने में मदद करेगा बल्कि हमें संसाधनों का सही उपयोग करने के नए तरीके भी सिखाएगा. 

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