चांद पर पानी की खोज करने के लिए सदियों से प्रयास किया जा रहा है. अब इसी कड़ी में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा लोगों को चंद्रमा पर वापस ले जाने के उद्देश्य से अलग-अलग मिशन शुरू करने की सोच रही है. लेकिन चंद्रमा की सतह के नीचे पानी ढूंढना अभी भी सबसे मुश्किल मिशन में से एक है. नासा की हाल की स्टडी के मुताबिक, चांद पर पानी के बर्फ के जलाशय हो सकते हैं जिन्हें पीने के पानी के रूप में शुद्ध किया जा सकता है. इसके साथ ही इसे सांस लेने योग्य ऑक्सीजन में भी परिवर्तित किया जा सकता है और अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
क्या कहती है वैज्ञानिकों की रिसर्च
दरअसल, वैज्ञानिकों को यह पता है कि चंद्रमा के नीचे पानी की बर्फ मौजूद है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह काम में आ सकता है या नहीं. इसी में और अधिक जानने के लिए नासा एक सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना बना रहा है जो पानी को वित्तपोषित करने के लिए "फ्लैशलाइट" या "टॉर्च" का इस्तेमाल करेगा. मिशन इस महीने स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट पर लॉन्च होगा. बता दें, यह एक छोटी, ब्रीफकेस आकार की सैटेलाइट है. नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में मिशन के प्रोजेक्ट मैनेजर जॉन बेकर ने कहा कि इसे ऑर्बिट तक पहुंचने में लगभग तीन महीने लगेंगे.
चंद्रमा के बारे में कई बातों का लग सकेगा पता
सैटेलाइट के लॉन्च के बाद मिशन नेविगेटर चंद्रमा के पीछे अंतरिक्ष यान का मार्गदर्शन करेंगे. लूपिंग ऑर्बिट में सेटल होने से पहले इसे पृथ्वी और सूर्य से गुरुत्वाकर्षण द्वारा धीरे-धीरे वापस खींच लिया जाएगा. नासा के अनुसार, ऑर्बिट चंद्रमा से अपने सबसे दूर बिंदु पर 70,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. नासा के एम्स रिसर्च सेंटर के प्रमुख रोजर हंटर कहते हैं कि इस मिशन से चंद्रमा के बारे में कई बातों का पता लग सकेगा.