NASA Artemis-1: नासा का मिशन मून हुआ पूरा, 25 दिनों की यात्रा के बाद वापस लौटा आर्टेमिस-1

नासा ने अपने नए मून मिशन का पहला चरण पूरा कर लिया है. 25 दिनों तक चांद का सफर करने के बाद नासा का स्पेस कैप्सूल आर्टेमिस 1 सुरक्षित धरती पर लौट आया है. नासा के मून मिशन की ये एक बड़ी कामयाबी है. आर्टेमिस-1 अब वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष की नई राह दिखा रहा है. इसी राह पर चलकर आने वाले वक्त में इंसान एक बार फिर चांद पर कदम रखेगा. नासा की योजना 2026 तक एस्ट्रोनॉट्स को फिर से चांद पर लैंड कराने की है.

आर्टेमिस-1
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 5:28 PM IST
  • सफल हुआ नासा का मिशन
  • आर्टेमिस ने तय किया 22 लाख 53 हजार किलोमीटर का सफर

चंद्रमा के चारों ओर 25 से अधिक दिनों की यात्रा के बाद नासा ने अपने नेक्स्ट जनरेशन स्पेसक्राफ्ट को सफलतापूर्वक वापस बुला लिया है. तीन पैराशूट के साथ जब आर्टेमिस-1 का ओरायन कैप्सूल समंदर की लहरों पर उतरा तो ये मौका सिर्फ नासा के लिए ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक बन गया. आर्टेमिस की ये सुरक्षित वापसी वैज्ञानिकों को चांद पर फतह हासिल करने की राह दिखा रही है. 

सफल हुआ नासा का मिशन
नासा ने 53 साल बाद अपने मून मिशन आर्टेमिस के जरिये इंसानो को दोबारा चांद पर भेजने की योजना बनाई तो इसकी शुरुआत आर्टेमिस 1 की उड़ान से हुई. 15 नवंबर को आर्टेमिस ने चांद की तरफ अपने सफर का आगाज किया. आर्टेमिस 1 में कोई एस्ट्रोनॉट नहीं था, लेकिन आने वाले वक्त में एस्ट्रोनॉट्स को चांद की सतह तक पहुंचाने के लिये ये मिशन बेहद अहम था.
 
आर्टेमिस ने तय किया 22 लाख 53 हजार किलोमीटर का सफर
आर्टेमिस 1 ने 25 दिनों तक अंतरिक्ष में बिना किसी दिक्कत के अपना सफर पूरा किया. इस दौरान आर्टेमिस ने करीब 22 लाख 53 हजार किलोमीटर का सफर तय किया. आर्टेमिस 1 ने चांद के चक्कर लगाए और कुछ अहम जानकारियां जुटाने के बाद वो वापस धरती की तरफ रवाना हुआ. रविवार रात करीब 11 बजकर 10 मिनट पर आर्टेमिस का ओरायन कैप्सूल मेक्सिको के ग्वाडालू द्वीप के पास प्रशांत महासागर में उतरा. ओरायन कैप्सूल की सुरक्षित वापसी नासा के वैज्ञानिकों के लिए राहत और कामयाबी का पैगाम था. 

धरती पर कुछ इस तरह लौटा आर्टेमिस 
इस कैप्सूल को सुरक्षित लौटना ही वैज्ञानिकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है क्योंकि इसी कैप्सूल में भविष्य में अंतरिक्ष यात्री बैठेंगे. वापसी के सफर में ओरायन कैप्सूल को वायुमंडल में आते ही हजारों डिग्री के तापमान का सामना करना पड़ता है. जरा सी तकनीकी खामी चंद सेकंड में ओरायन को झुलसा सकती थी. वायुमंडल में ओरायन की सुरक्षित एंट्री के लिए नासा ने स्किप एंट्री तकनीक का इस्तेमाल किया. इसमें तीन अलग अलग चरणों में ओरायन ने वापसी का सफर पूरा किया. आखिरी चरण में ओरायन पैराशूट की मदद से समुद्र की लहरों पर आसानी से लैंड कर गया.

क्या था इस मिशन का मकसद?
आर्टेमिस 1 की इस यात्रा का सबसे बड़ा मकसद ये जानना था कि चांद का सफर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए कितना सुरक्षित है. यही वजह है कि नासा ने अपने मून मिशन को आर्टेमिस 1 टू और थ्री के जरिये तीन स्टेज में पूरा करने की योजना बनाई है. आर्टेमिस 1 को नासा एक टेस्ट फ्लाइट के तौर पर देख रहा है. इस मिशन के लिए नासा ने अपने नए ताकतवर स्पेस लॉन्च सिस्टम SLS मेगारॉकेट का इस्तेमाल किया था. आर्टेमिस 1 की सफल यात्रा के साथ ये भी साबित हो गया है कि SLS मेगारॉकेट चांद के सफर के लिए तैयार है.
 
क्या है नासा का अगला प्लान
आगे नासा की योजना साल 2024 में आर्टेमिस -2 को लॉन्च करने की है. आर्टेमिस -2 में कुछ अंतरिक्ष यात्री भी होंगे. हालांकि ये चांद की सतह पर कदम नहीं रखेंगे. ये अंतरिक्ष यात्री चांद के ऑर्बिट में घूमकर वापस आएंगे. 2025-26 में नासा आर्टेमिस 3 को रवाना करेगा. इसमें मौजूद अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर कदम रखेंगे. नासा की योजना आर्टेमिस थ्री को चांद के साउथ पोल पर उतारने की है. यहां अंतरिक्ष यात्री चांद पर पानी और बर्फ की मौजूदगी पर शोध करेंगे. आर्टेमिस 1 का कामयाब सफर वैज्ञानिकों के लिए अंतरिक्ष में नई राह दिखा रहा है. इस राह पर चलकर ही भविष्य में एक बार फिर इंसानों के कदम चांद पर पड़ेंगे. अगर ये मिशन पूरी तरह कामयाब रहा तो ये विज्ञान की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक होगा. 

 

Read more!

RECOMMENDED