Nobel Prize Winners 2022: एलेन एस्पेक्ट (Alain Aspect), जॉन क्लॉसर (John Clauser) और एंटोन जिलिंगर (Anton Zeilinger) ने भौतिकी (Physics) के लिए 2022 का नोबेल पुरस्कार जीता है. तीनों को क्वांटम टेक्नोलॉजी में रिसर्च के लिए ये प्राइज दिया गया है. बता दें, दूसरे सभी पुरस्कारों की तरह ही दिसंबर में स्टॉकहोम में ये प्रस्तुत किया जाएगा और इसकी कीमत 10 मिलियन क्रोनर यानि 900,000 डॉलर या भारतीय करेंसी में ये करीब 7 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम है. इसे इन तीनों विजेताओं के बीच समान रूप से बांटा जाएगा.
2021 में, जियोर्जियो पैरिसी, क्लाउस हैसलमैन और स्यूकुरो मानेबे को जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में की गई अपनी रिसर्च के लिए ये पुरस्कार दिया गया था.
1972 में किया गया था पहली बार एक्सपेरिमेंट
सबसे पहली बार ये प्रयोग 1972 में बर्कले में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में जॉन क्लॉसर द्वारा किया गया था. हालांकि, इस एक्सपेरिमेंट में कई कमियां या खामियां थीं. दस साल बाद, 1982 में, फ्रांस के ओरसे में यूनिवर्सिटी पेरिस-सूड में एलेन एस्पेक्ट और उनके कुछ सहयोगियों ने क्लॉसर के प्रयोग में कुछ सुधार किया. इसके बाद, साल 1998 में एंटोन जिलिंगर और यूनिवर्सिटी के सहयोगियों ने मिलकर इसके तीसरे लूपहोल को सुलझाया. नतीजतन, ये एक्सपेरिमेंट सफल हो पाया.
एक्सपेरिमेंट की नींव रखने वाले जॉन क्लॉसर
जॉन क्लॉसर का जन्म 1 दिसंबर 1942 को कैलिफोर्निया के पासाडेना में हुआ था. उन्होंने 1964 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से फिजिक्स में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की और दो साल बाद फिजिक्स में मास्टर की डिग्री प्राप्त की. 1969 में उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की.
साल 1969 से 1975 तक जॉन क्लॉसर लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी में शोधकर्ता थे और 1975 से 1986 तक लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लेबोरेटरी में काम किया. यूएस फर्म साइंस एप्लीकेशन इंटरनेशनल कॉरपोरेशन में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में भी उन्होंने काम किया. 1990 में वे 1997 तक कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी चले गए जहां उन्होंने अपनी शोध और परामर्श फर्म जे एफ क्लॉसर एंड एसोसिएट्स को आगे बढ़ाया.
एलेन एस्पेक्ट ने किया क्लॉसर के एक्सपेरिमेंट को आगे बढ़ाने का काम
एलेन एस्पेक्ट का जन्म 15 जून 1947 को फ्रांस के एजेन में हुआ था. उन्होंने 1969 में "एग्रीगेशन" - नेशनल फ्रेंच टेस्ट- फिजिक्स में सफलता प्राप्त कर दो साल बाद यूनिवर्सिटी डी'ऑर्से से मास्टर डिग्री प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने Bell’s inequalities पर काम करते हुए ओरसे में पीएचडी की शुरुआत की, जिसे उन्होंने 1983 में पूरा किया. 1985 में उन्होंने पेरिस में कॉलेज डी फ्रांस में काम किया. जिसके बाद वे साल 1992 में वे यूनिवर्सिटी पेरिस-सैकले के लेबरटोयर चार्ल्स फैब्री डे ल इंस्टिट्यूट डी'ऑप्टिक में चले गए.
एक्सपेरिमेंट को अंजाम तक पहुंचाने वाले एंटोन जिलिंगर के बारे में
एंटोन जिलिंगर का जन्म 20 मई 1945 को ऑस्ट्रिया के Ried im Inkreis में हुआ था. 1963 में उन्होंने वियना यूनिवर्सिटी में फिजिक्स और गणित का अध्ययन शुरू किया और 1971 में एटॉमिक फिजिक्स में पीएचडी पूरी की. इसके बाद उन्होंने वियना में आत्मिक इंस्टिट्यूट में 1983 तक काम किया. साल 1990 में एंटोन जिलिंगर इन्सब्रुक यूनिवर्सिटी में चले गए और 1999 में वियना यूनिवर्सिटी में काम किया, जहां वे 2004 से 2013 तक वियना स्थित क्वांटम ऑप्टिक्स और क्वांटम सूचना संस्थान के निदेशक भी बने. 2013 में उन्होंने ऑस्ट्रियाई अकादमी के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.