विज्ञान में टेक्नोलॉजी के आ जाने से कई नामुकिन चीजें अब मुमकिन हो गई हैं. अब इसी कड़ी में स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से गुजरने के बाद एक 66 वर्षीय व्यक्ति ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) और ब्लड कैंसर जैसी खतरनाक बिमारियों से ठीक हो गया है. इसके लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) को भी रोक दिया गया था. बता दें, मरीज को साल 1988 में पता चला था कि उन्हें एचआईवी है. जिसके बाद करीब 30 से ज्यादा साल से वे इसे कंट्रोल करने के लिए एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी (ART) का सहारा ले रहे थे.
तीन लोगों में सबसे ज्यादा उम्र का था ये मरीज
बता दें, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट एक ऐसे डोनर से किया गया था जो एड्स का कारण बनने वाले वायरस के लिए स्वाभाविक रूप से प्रतिरोधी था. इस मैकेनिज्म की मदद से पहली बार "बर्लिन रोगी", टिमोथी रे ब्राउन को ठीक किया गया है. वह व्यक्ति 31 से ज्यादा वर्षों तक एचआईवी से पीड़ित था. ये ट्रीटमेंट तीन रोगियों पर किया गया है, जिसमें से ये रोगी सबसे ज्यादा उम्र का था. मरीज में ब्लड कैंसर और एचआईवी बीमारी को ठीक करने के लिए स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया गया.
जब ट्रांसप्लांट हुआ, तब वह 63 साल के थे और एचआईवी और ब्लड कैंसर से पीड़ित सबसे उम्रदराज रोगी हैं. ट्रांसप्लांट के बाद उनमें ये दोनों बीमारियां ठीक हो गई हैं.
एचआईवी और बलड कैंसर के पुराने रोगियों के लिए भी ट्रीटमेंट संभव
दरअसल, ये जानकारी इंटरनेशनल एड्स सोसाइटी (IAS) 2022 की बैठक में दी गई है. इससे पता चलता है कि एचआईवी और ब्लड कैंसर के पुराने रोगियों के लिए भी ट्रीटमेंट संभव है. आईएएस के अध्यक्ष शेरोन लेविन के मुताबिक, इससे उम्मीद मिली है कि खतरनाक से खतरनाक बीमारी को भी ठीक किया जा सकता है.
सिटी ऑफ होप के हेमटोलॉजिस्ट अहमद अरीबी ने कहा, "इस रोगी को एएमएल [एक्यूट मायलॉइड ल्यूकेमिया] से दोबारा होने का खतरा अधिक था, हालांकि ट्रीटमेंट अच्छी तरह हो गया.”
साढ़े तीन साल पहले ट्रांसप्लांट के बाद, कीमोथेरेपी की गई. सिटी ऑफ होप के मरीज ने मार्च 2021 में एआरटी लेना बंद कर दिया था. टीम ने कहा कि वह अब एक साल से ज्यादा समय हो चुका है और दोनों बीमारियों एचआईवी और ल्यूकेमिया से मुक्त है.