Cabinet Approve ISRO Chandrayaan 4: क्या है चन्द्रयान 4.. शुक्रयान और स्पेस सेंटर.. जिनको कैबिनेट ने दी मंजूरी? कब होंगे लॉन्च... क्या है टारगेट...जानिए सब कुछ

Cabinet Approve ISRO Chandrayaan 4: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व में कैबिनेट ने इसरो (ISRO) के अहम मिशन को मंजूरी दे दी है. इसमें चन्द्रयान-4 (Chandrayaan 4), शुक्रयान (Venus Orbiter Mission) और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Indian Space Centre) का निर्माण शामिल हैं. भारत सरकार ने इनके लिए बजट को भी हरी झंडी दे दी है.

Venus Orbit Mission ISRO
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:11 PM IST
  • चन्द्रयान-4 में दो हजार करोड़ से ज्यादा खर्च होंगे
  • 2028 में लॉन्च होगा वीनस ऑर्बिटर मिशन

Chandrayaan 4: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में कैबिनेट ने चन्द्रयान-4 मिशन (Chandrayaan 4) को मंजूरी दे दी है. इस मिशन का मकसद चन्द्रमा से मिट्टी के सैंपल लाना है. इसके अलावा कैबिनेट ने इसरो (ISRO) के कई और मिशन को मंजरी दी है.

चन्द्रमा और मंगल के बाद इसरो ने शुक्र पर उतरने की तैयारी कर ली है. कैबिनेट ने बैठक में चन्द्रयान 4 के अलावा इसरो के शुक्रयान (Venus Orbiter Mission) के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है. इसके साथ गगनयान फॉलो ऑन मिशन और इंडियन स्पेस सेंटर (Indian Space Centre) बनाने की भी मंजरी मिल गई है.

आइए जानते हैं कि इसरो से जुड़े इन सभी मिशन और प्रोजेक्ट्स के बारे में.

क्या है चन्द्रयान-4?
चन्द्रयान-4 मिशन को सरकार ने हरी झंडी दे दी है. ये चन्द्रयान 1, 2 और 3 की कड़ी का एक अगला मिशन है. चन्द्रयान-4 मिशन के तहत चन्द्रमा पर उतरना है और वहां की मिट्टी और चट्टानों के सैंपल को वापस धरती पर सुरक्षित लाना है.

इस मिशन को अगले 36 महीने में पूरा करने का टारगेट रखा गया है. इस मिशन के लिए इसरो टेक्नॉलोजी तैयार कर रहा है. इस मिशन में दो अलग-अलग रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा. चन्द्रयान-4  मिशन को पूरा करने में लगभग 2104 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इस मिशन में स्वदेशी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा.

चन्द्रमा के बाद शुक्र पर कदम
कैबिनेट ने इसरो के वीनस ऑर्बिटर मिशन यानी शुक्रयान को भी मंजरी दी है. आइए जानते हैं ये मिशन क्या है और इसका क्या मकसद है?

वीनस ऑर्बिटर मिशन के लिए एक खास स्पेसक्राफ्ट तैयार किया जाएगा. इस स्पेसक्रॉफ्ट को बनाने और लॉन्च करने का जिम्मा इसरो को सौंपा गया है. शुक्रयान मिशन का बजट 1268 करोड़ रुपए रखा गया है. इसमें से 824 करोड़ रुपए सिर्फ शुक्रयान बनाने में खर्च किए जाएंगे.  

वीनस ऑर्बिटर मिशन को 2028 में लॉन्च किया जाएगा. इस मिशन को 2028 में लॉन्च करने की एक वजह है. कहा जा रहा है कि शुक्र ग्रह उस समय धरती के बेहद पास रहेगा. वीनस ऑर्बिटर मिशन शुक्र ग्रह पर भारत का पहला मिशन होगा. इस मिशन में स्पेसक्राफ्ट वीनस ग्रह का चक्कर लगाएगा. 

शुक्रयान मिशन के जरिए शुक्र ग्रह के बारे में स्टडी की जाएगी. शुक्रयान से वीनस ग्रह की सतह, वायुमंडल और सूर्य के प्रभाव के बारे में जानकारी ली जाएगी. अगर ये मिशन किसी वजह से 2028 में लॉन्च नहीं हो पाता है तो फिर साल 2031 में लॉन्च किया जाएगा.

अंतरिक्ष स्टेशन
शुक्रयान और चन्द्रयान के अलावा भारतीय अंतरिक्ष केन्द्र की पहली इकाई को स्थापित करने की मंजूरी मिल गई है. साथ ही गगनयान के दायरे को भी बढ़ाया गया है. इस मिशन के तहत इंडियन स्पेस सेंटर के पहले मॉड्यूल के विकास और बीएएस-1 का निर्माण किया जाएगा.

इंडियन स्पेस सेंटर को पहले से जारी गगनयान मिशन में शामिल किया गया है. गगनयान का दायरा बढ़ाने के बाद इसमें बीएएस-1 समेत 8 मिशन शामिल हैं. इस मिशन को दिसंबर 2028 तक पूरा करने का टारगेट रखा गया है. अभी तक गगनयान की कुल फंडिंग 11,770 रुपए थी. अब इसका बजट बढ़ाकर 20,193 करोड़ रुपए कर दिया है.

गगनयान मिशन का मकसद
गगनयान मिशन (Gaganyaan) के तहत क्रू मेंबर्स 400 किमी. ऊपर पृथ्वी की कक्षा में जाएंगे. क्रू मेंबर्स को ले जाने के लिए HLVM3 लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल किया जाएगा. पृथ्वी की कक्षा में पहुंचने के बाद क्रू मॉड्यूल धरती के चक्कर लगाएगा.

साथ ही सर्विस माड्यूल कक्षा में रहते हुए क्रू मॉड्यूल की मदद करेगा. इसके बाद क्रू मॉड्यूल को धरती पर समुद्र में लैंड किया जाएगा. यदि भारत इस मिशन में कामयाब हो जाता है तो अमेरिका, चीन और रूस के बाद चौथा देश बन जाएगा.

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