Lab-grown teeth innovation: अब न फाइलिंग की टेंशन, न इम्प्लांट की सर्जरी, खुद के शरीर से उगेगा नया दांत!

यह कोई फिक्शन नहीं, बल्कि रीजेनेरेटिव मेडिसिन (regenerative medicine) यानी शरीर की खोई हुई संरचना को दोबारा बनाने का कमाल है. इसका मतलब अब आपको नकली इम्प्लांट या दर्द भरी सर्जरी से नहीं गुजरना पड़ेगा, बल्कि आपके जबड़े में उगाया जाएगा आपका खुद का बायोलॉजिकल दांत.

Grow tooth from stem cells (Representative Image/Unsplash)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 30 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 8:53 AM IST
  • अब न फाइलिंग की टेंशन
  • खुद के शरीर से उगेगा नया दांत!

अगर आप भी दांतों की बार-बार की फाइलिंग और महंगे इम्प्लांट से परेशान हैं? तो अब राहत की सांस ले सकते हैं, क्योंकि दांतों की दुनिया में एक बड़ा और अच्छा इन्वेंशन हुआ है. लंदन के मशहूर King’s College के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोजा है जिससे अब आपके खुद के शरीर की सेल्स से लैब में दांत उगाया जाएगा वो भी बिलकुल असली जैसा!

हैरान मत होइए, यह कोई फिक्शन नहीं, बल्कि रीजेनेरेटिव मेडिसिन (regenerative medicine) यानी शरीर की खोई हुई संरचना को दोबारा बनाने का कमाल है. इसका मतलब अब आपको नकली इम्प्लांट या दर्द भरी सर्जरी से नहीं गुजरना पड़ेगा, बल्कि आपके जबड़े में उगाया जाएगा आपका खुद का बायोलॉजिकल दांत.

कैसे होगा ये कमाल? वैज्ञानिकों ने क्या खोजा?
King’s College London की फैकल्टी ऑफ डेंटिस्ट्री, ओरल एंड क्रेनियोफेशियल साइंसेज के शोधकर्ता डॉ. ज़ांग (Dr. Xuechen Zhang) और उनकी टीम ने एक स्पेशल हाइड्रोजेल मैट्रिक्स बनाया है. यह मैट्रिक्स सेल्स को एक-दूसरे से बातचीत करने की क्षमता देता है. यानी सेल्स आपस में संवाद कर यह तय करती हैं कि किसे "दांत की सेल्स" बनना है.

यह प्रक्रिया ठीक वैसी ही है जैसी हमारे शरीर में प्राकृतिक दांत बनते समय होती है. अब यही प्रक्रिया लैब में दोहराई जा रही है.

क्यों हैं मौजूदा इलाज बेकार?
डॉ. ज़ांग कहते हैं, "फिलिंग्स कोई स्थायी इलाज नहीं हैं. ये समय के साथ दांत की मजबूती कम करती हैं और बार-बार टूटती भी हैं. वहीं, इम्प्लांट सर्जरी महंगी, दर्दनाक और आर्टिफिशियल है, जो असली दांत की तरह फंक्शन नहीं करती."

अब इस नई तकनीक में, या तो मरीज के मुंह में युवा दांत कोशिकाएं ट्रांसप्लांट की जाएंगी ताकि वो वहीं पर दांत विकसित करें, या पूरा दांत लैब में बनाकर उसे मुंह में लगाया जाएगा. दोनों ही तरीकों में शुरुआती "दांत के बनने की प्रक्रिया" लैब में शुरू की जाएगी.

क्या है इस खोज की खासियत?

  • बिलकुल नेचुरल लुक और फील- क्योंकि ये दांत आपकी ही सेल्स से बनेंगे
  • सर्जरी से बचाव- दर्द और लंबे रिकवरी टाइम की झंझट खत्म
  • लंबी उम्र और मजबूती- ये दांत decay और टूट-फूट से लड़ने में ज्यादा सक्षम होंगे
  • खुद को ठीक करने की क्षमता- ये दांत खुद को रिपेयर भी कर सकेंगे

डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स की क्या राय है?
डॉ. बिभाकर रंजन, जो जर्मनी के बॉन में डेंटल सर्जन और शोधकर्ता हैं, कहते हैं, "अगर यह प्रयोग बड़े स्तर पर सफल रहा तो पूरी दुनिया में डेंटल की दुनिया की दिशा बदल जाएगी. ये प्रक्रिया न सिर्फ सस्ती होगी बल्कि मरीजों को बायोलॉजिकल, सुंदर और मजबूत दांत भी देगी."

प्रक्रिया क्या है? कैसे बनते हैं लैब में दांत?
प्रक्रिया की बात करें, तो वैज्ञानिक मरीज की सेल्स लेते हैं, उन्हें एक हाइड्रोजेल मैट्रिक्स में रखा जाता है. वहां सेल्स एक-दूसरे से संकेत लेती हैं और धीरे-धीरे "टूथ सेल" में बदल जाती हैं. इन सेल्स को या तो सीधे जबड़े में डालते हैं या फिर लैब में पूरा दांत बनाकर ट्रांसप्लांट करते है. अच्छी बात ये है कि ये मैट्रिक्स शरीर की दूसरी जैविक प्रक्रियाओं को बाधित नहीं करता, यानी कोई साइड इफेक्ट भी नहीं.

 
 

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