दुनियाभर में कुत्तों की वफादारी के किस्से सुनाए जाते हैं. उन्हें एक साथी के रूप में पाला जाता रहा है. लेकिन अब कुत्तों को स्पेस में भेजा जाएगा. जर्मन एयरोस्पेस सेंटर (DLR) ने चार पैरों वाला रोबोटिक कुत्ता बनाया है. जिसका नाम बर्ट रखा गया है. बर्ट को स्पेस एक्सप्लोरेशन (space exploration) के क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए डिजाइन किया गया है.
बर्ट कर सकता है कई काम
बर्ट (Bert) केवल एक रोबोट नहीं है. एक नॉर्मल कुत्ते की ही तरह, बर्ट के पास कई क्षमताएं हैं. चलने, घूमने, दौड़ने और यहां तक कि चढ़ने के लिए बर्ट को डिजाइन किया गया है. इतना ही नहीं बर्ट अलग-अलग इलाकों में नेविगेट करने में मदद कर सकता है. उबड़-खाबड़ रास्ता हो या छोटी गुफाएं, बर्ट का नेविगेशन सिस्टम काफी मजबूत है. सरफेस अवतार प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में, बर्ट का लक्ष्य चंद्रमा और मंगल पर रोबोट के लिए रिमोट कंट्रोल क्षमताओं का परीक्षण करना है.
जनवरी में किया गया था ऑपरेट
जनवरी 2024 में बर्ट को स्पेस में एक एस्ट्रोनॉट ने ऑपरेट किया था. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS), पर सवार स्वीडिश यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के अंतरिक्ष यात्री मार्कस वांड्ट ने बर्ट कोण ऑपरेट किया था. बर्ट के कैमरे की आंखों की मदद से आसपास के इलाके को देखा गया था. इसके लिए उन्होंने टैबलेट और कमांड जारी करने के लिए एक जॉयस्टिक का उपयोग किया था. इसे टेलीरोबोटिक्स में एक महत्वपूर्ण प्रगति के तौर पर देखा गया था.
हालांकि, टेलीरोबोटिक में कई दिक्कतें सामने आती है. कम्युनिकेशन में देरी और सिग्नल में परेशानी आना काफी आम है. ऐसे में सरफेस अवतार प्रोजेक्ट इन बाधाओं को लेग-आधारित लोकोमोशन, मल्टी-रोबोट कोपरेशन और इंटेलिजेंस ऑटोनोमी जैसी नई और एडवांस टेक्नोलॉजी से निपटने में मदद कर सकता है.
अकेला नहीं है बर्ट
लेकिन इस नई तरह की खोज में बर्ट अकेला नहीं है. नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) भी अपने खुद के रोबोटिक कुत्ते, औ-स्पॉट, को लेकर काम कर चुकी है. एडवांस सेंसर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस क्षमताओं से लैस, ऑ-स्पॉट नासा के नेबुला प्रोजेक्ट का हिस्सा है. इसका उद्देश्य दूसरे ग्रहों पर जीवन और संसाधनों की खोज करना है.
बर्ट और औ-स्पॉट जैसे रोबोटिक कुत्तों का लचीलापन कहीं न कहीं न जाने कितनी सारी रिसर्च में मदद कर रहा है. रोबोट के फीचर्स इन इलाकों और सामने आने वाली बाधाओं से निपटने का काम करते हैं. इसके अलावा, ड्रोन और रोवर्स जैसे दूसरे रोबोटिक सिस्टम के साथ सहयोग की उनकी क्षमता, स्पेस में कई तरह के एक्सपेरिमेंट करने में साथ दे सकती है.