3D model of human conjunctiva: वैज्ञानिकों ने लैब में बनाया ऐसा 3D कंजंक्टिवा जो आंखों से निकाल पाएगा असली आंसू

रेप्लिका कंजंक्टिवा लैब में विकसित किया गया "ऑर्गनॉइड" है. ऑर्गेनॉइड आमतौर पर स्टेम सेल्स से उगाए जाते हैं और वैज्ञानिकों को मानव अंगों की संरचना और कार्य को फिर से करने में सक्षम बनाते हैं.

conjunctiva
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:52 PM IST
  • टिशूज को आंसू बनाने में सक्षम बनाती हैं.
  • रेप्लिका कंजंक्टिवा लैब में विकसित किया गया "ऑर्गनॉइड" है.

वैज्ञानिकों ने लैब में मानव कंजंक्टिवा का पहला 3डी मॉडल बनाया है. इसकी खास बात ये है कि इंसानों की तरह असली आंसू भी पैदा कर  सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इस नए मॉडल का इस्तेमाल कंजंक्टिवाइटिस या पिंक आई जैसी बीमारियों का अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है. वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में अपने निष्कर्षों की जानकारी दी है.

लैब में विकसित किया गया "ऑर्गनॉइड"
रेप्लिका कंजंक्टिवा लैब में विकसित किया गया "ऑर्गनॉइड" है. ऑर्गेनॉइड आमतौर पर स्टेम सेल्स से उगाए जाते हैं और वैज्ञानिकों को मानव अंगों की संरचना और कार्य को फिर से करने में सक्षम बनाते हैं. एनिमल ड्रग टेस्टिंग के लिए ये मॉडल बेहतरीन विकल्प के तौर पर उभर रहे हैं. अब तक मानव कंजंक्टिवा का कोई लैब मॉडल नहीं बना है. इतना ही नहीं इस क्षेत्र में शोध भी बेहद कम किए गए हैं. 

इस मॉडल को बनाने के लिए रिसर्चर्स ने ऑर्गन डोनर और आंखों की सर्जरी कराने वाले मरीजों द्वारा दिए कंजंक्टिवल टिशू से स्टेम सेल्स इकट्ठा किए. वैज्ञानिकों ने कैमिकल्स का इस्तेमाल करके कोशिकाओं को 3डी संरचनाओं में बदल दिया जो ह्यूमन कंजंक्टिवा की तरह थे.

टिशूज को आंसू बनाने में सक्षम बनाती हैं
इन ऑर्गेनॉइड्स में आम तौर पर कंजंक्टिवा में पाई जाने वाली कोशिकाएं जैसे गॉब्लेट कोशिकाएं और केराटिनोसाइट्स शामिल थीं. ये कोशिकाएं टिशूज को बलगम युक्त आंसू बनाने में सक्षम बनाती हैं और आंखों की झिल्ली की रक्षा करती है. ये Antimicrobial Proteins भी रिलीज करती हैं. कंजंक्टिवा Antimicrobial कंपोनेंट बनाता है. जोकि बलगम बनाने के अलावा और भी कई तरीकों से आंसू उत्पादन में मदद करता है. आंसूओं के अलावा ये मॉडल टफ्ट कोशिकाओं की पहचान करने में मदद करेगा. 

नई दवाओं की टेस्टिंग के लिए होगा इस्तेमाल
वैज्ञानिकों ने टेस्टिंग के दौरान पाया कि ऑर्गेनोइड्स ने आंसू रिलीज करना शुरू कर दिया. ये ज्यादा बलगमयुक्त था लेकिन लेकिन इसमें रोगाणुरोधी घटक भी ज्यादा थे. नए खोजे गए टफ्ट सेल्स भी ऑर्गेनॉइड के अंदर ज्यादा मात्रा में हो गए, इससे पता चलता है कि वे इस बात को प्रभावित कर सकती हैं कि हमारी आंखें एलर्जी पर कैसे प्रतिक्रिया करती हैं. वैज्ञानिकों का दावा है कि मॉडल का इस्तेमाल कंजंक्टिवा की बीमारियों के इलाज के लिए नई दवाओं की टेस्टिंग के लिए किया जाएगा.

रिप्लेसमेंट कंजंक्टिवा बनाई जा सकेगी
रिसर्च में शोधकर्ताओं ने ऑर्गेनॉइड को अलग-अलग वायरस से संक्रमित किया. जोकि conjunctivitis का कारण बनते हैं. इसपर और रिसर्च की जरूरत है, लेकिन लेखकों को उम्मीद है कि एक दिन वे इसका इस्तेमाल करके आंखों में जलन, कैंसर या आनुवांशिक विकारों से पीड़ित लोगों के लिए रिप्लेसमेंट कंजंक्टिवा बना सकेंगे.

 

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