अब मिलेगा पीने का पूरी तरह से साफ पानी, वैज्ञानिकों ने बनाया नया Water Filter

दुनिया में पीने के साफ पानी की समस्या दूर हो सकती है. कोरिया के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक ईजाद की है. जिसकी मदद से पानी से 99.9 फीसदी गंदगी को साफ किया जा सकता है. इतना ही नहीं, इस वाटर फिल्टर को सोलर सिस्टम से भी चलाया जा सकता है.

वैज्ञानिकों ने 99.9 फीसदी गंदगी साफ करने वाला वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम बनाया है (फाइल फोटो)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 02 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 6:43 PM IST
  • साउथ कोरिया के वैज्ञानिकों ने बनाया वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम
  • पानी को 99.9 फीसदी साफ करने का निकाला तरीका

अब आपको पीने के लिए करीब 100 फीसदी साफ पानी मिल सकता है. वैज्ञानिकों ने पानी को साफ करने की नई तकनीक ईजाद की है. साउथ कोरिया के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा वाटर प्यूरीफायर सिस्टम बनाया है, जो पानी में से छोटे से छोटे प्लास्टिक के कणों को भी निकाल देगा और पानी को पूरी तरह से साफ कर देगा. इस प्यूरीफायर के जरिए बाकी प्यूरीफायरों के मुकाबले पानी को तेजी से भी साफ किया जाएगा.

करीब 99.9 फीसदी गंदगी हो जाती है दूर-
कोरिया के डेगू ग्योंगबुक इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर पार्क ची यंग ने कहा कि इस तकनीक में दुनिया की सबसे बेहतरीन प्यूरिफिकेशन की क्षमता है. ये पानी में मौजूद फेनोलिक माइक्रोप्लास्टिक्स और वोलेटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड (VOC) के दूषित कणों को 99.9 फीसदी तक साफ कर देती है. इतना ही नहीं, ये वाटर फिल्टर इस काम को तेजी से करता है. 

बिना बिजली के हो सकता है इस्तेमाल-
इस वाटर फिल्टर को बिना बिजली के चलाया जा सकता है. इसका इस्तेमाल सोलर सिस्टम से भी किया जा सकता है. वैज्ञानिक ची यंग का कहना है कि हम उम्मीद करते हैं कि इस वाटर फिल्टर की मदद से उन जगहों पर साफ पानी की सप्लाई की जा सकती है, जहां पर बिजली की सुविधा नहीं है.

मौजूदा टेक्नोलॉजी में कई समस्याएं-
केमिकल इंडस्ट्री की वजह से पानी का प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जो पर्यावरण पॉल्यूशन के लिए बड़ी समस्या है. वाटर पॉल्यूशन को ठीक करने के लिए कई टेक्नोलॉजी का विकास किया गया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि मौजूदा समय में पानी को साफ करने वाली जो तकनीक है, उसकी भी सीमाएं हैं. पानी को साफ करने की दर बहुत ही स्लो है. इतन ही नहीं, रीसाइकिलिंग के लिए ज्यादा थर्मल एनर्जी की जरूरत होती है.

रीसाइकिलिंग के लिए हाई थर्मल एनर्जी की जरूरत नहीं-
पहले भी कई बार पानी साफ करने में आने वाली समस्याओं को दूर करने की कोशिश की गई है. लेकिन ऐसी तकनीक को विकसित करना मुश्किल रहा, जो पानी को बार-बार साफ करने, उच्च क्षमता, कच्चे माल की इकॉनमिक इफिसिएन्सी और औद्योगीकरण की क्षमता को पूरा करती हो. लेकिन इस बार वैज्ञानिकों की टीम ने इन सारी समस्याओं को बेहतर तरीके से एड्रेस किया और एक नई तकनीक विकसित की. इस नई तकनीक में पानी को साफ करने की क्षमता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि रिसर्च से साफ हो गया है कि पॉलीमर को रीसाइकिलिंग के लिए हाई थर्मल एनर्जी की जरूरत नहीं है. इतना ही नहीं, इसको बार-बार भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

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