कानपुर के वैज्ञानिकों का कमाल! दिल की धड़कन को बरकरार रखने वाला डिवाइस बनाया, 2025 तक करने लगेगा काम

कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिकों ने एक हृदय यंत्र विकसित किया है. जिसकी मदद से इंसान की दिल की धड़कन को बरकरार रखा जा सकता है. इसको बनाने में सिर्फ 10 लाख रुपए का खर्च आया है. अगर सबकुछ ठीक रहा तो साल 2025 तक यह हृदय यंत्र इंसानों को दिल में धड़कने लगेगा.

कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिकों ने धड़कनों को बरकरार रखने वाला यंत्र बनाया
gnttv.com
  • कानपुर,
  • 27 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:40 PM IST
  • वैज्ञानिकों ने दिल की धड़कन बरकरार रखने वाला डिवाइस बनाया
  • साल 2025 तक होने लगेगा इसका इस्तेमाल

कहते हैं इंसान के शरीर में सबसे कीमती चीज दिल ही होती है. अगर दिल की धड़कन चलाने वाला हृदय काम ना करें, तो सब खत्म हो जाता है. लेकिन वैज्ञानिकों ने इसका समाधान निकाल लिया है. कानपुर आईआईटी के वैज्ञानिक मनदीप ने ऐसा हृदय तंत्र विकसित किया है. जो इंसान के शरीर में दिल की धड़कनों को बरकरार रखेगा. अगर किसी इंसान का हार्ट खराब हो गया हो तो उसकी जगह इस यंत्र को लगाकर काम चलाया जा सकता है.

कानपुर के वैज्ञानिक का कमाल-
कानपुर के वैज्ञानिक मनदीप ने इस हृदय तंत्र को बनाया है. इसकी मदद से हार्ट खराब होने पर इंसान जिंदा रह सकता है. ये हृदय तंत्र इंसान की धड़कनों को बरकरार रखेगा. इस तंत्र को कई सालों की मेहनत के बाद विकसित किया गया है. इस हृदय तंत्र को विकसित करने में देश के चुनिंदा कार्डिक डॉक्टरों और कई अन्य आईआईटी के वैज्ञानिकों ने मनदीप की मदद की. इस यंत्र को बनाने में 10 लाख रुपए का खर्च आया है.

2025 तक मिल सकता है हृदय तंत्र-
इंसानों की जिंदगी देने वाले इस यंत्र को हृदय तंत्र दिया गया है. वैज्ञानिक मनदीप का कहना है कि अभी इसे सबसे पहले जानवरों पर टेस्ट किया जाएगा. उसके बाद इसको इंसानों पर टेस्ट किया जाएगा. अगर सबकुछ ठीक रहा तो साल 2025 तक ये यंत्र दुनिया को मिल जाएगा और इंसान की दिल की धड़कन को हमेशा बरकरार रखा जा सकेगा. 

दुनिया का सबसे सस्ता होगा हृदय यंत्र-
भारत के वैज्ञानिक मनदीप ने जो हृदय तंत्र विकसित किया है, वो दुनिया का सबसे सस्ता हृदय तंत्र होगा. इससे पहले अमेरिका की दो कंपनियां हृदय तंत्र बनाती हैं. लेकिन उसकी कीमत डेढ़ करोड़ से ज्यादा है. ऐसे में मध्यवर्गीय लोग इस यंत्र को लगाने की सोच भी नहीं सकते हैं.

कई वैज्ञानिकों ने की मदद-
प्रोफेसर मनदीप का कहना है हमारी टीम में 80 से ज्यादा कई विभागों के वैज्ञानिक शामिल थे. जिसमें डॉक्टर के मुरलीधर, डॉक्टर प्रणव जोशी, डॉ.  बंधोपाध्याय, डॉ. शांतनु, डॉक्टर के बालानी और दूसरे कई वरिष्ठ प्रोफेसर शामिल हैं. इस यंत्र को विकसित करने में आईटी के कई विभागों की भी भागीदारी है.

(कानपुर से रंजय सिंह की रिपोर्ट)

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