पृथ्वी से लगभग 1,300 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर दूसरी गैलेक्सी में मिले पानी के संकेत, वैज्ञानिकों की बड़ी खोज

वैज्ञानिकों ने दो आकाशगंगाओं से बने SPT0311-58 में कार्बन मोनोऑक्साइड के साथ पानी का पता लगाया है. पृथ्वी से लगभग 1,288 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. SPT0311-58 को पहली बार ALMA वैज्ञानिकों ने 2017 में इसके स्थान या समय पर देखा था, तब ब्रह्मांड सिर्फ 780 मिलियन वर्ष पुराना था.

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अंजनी
  • नई दिल्ली,
  • 04 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 8:27 PM IST
  • पानी ब्रह्मांड में तीसरा सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला मॉलिक्यूल
  • ये जोड़ी विलीन होकर बन सकती है विशाल इलिप्टिकल गैलेक्सी
  • एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में हुआ प्रकाशित
  • मॉलिक्यूलर गैस कंटेंट का अब तक का सबसे विस्तृत अध्ययन

ब्रह्मांड की और ब्रह्मांड के रहस्यों की कोई सीमा नहीं है. आए दिन वैज्ञानिक इसमें नई संभावनाएं तलाशते रहते हैं. इस कड़ी में वैज्ञानिकों को एक नई सफलता मिली है. वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से करोड़ों प्रकाश वर्ष दूर गैलेक्सीस की एक जोड़ी में पानी की खोज की है. ये अर्ली गैलेक्सीस में से एक है. ब्रह्मांड में बनने वाली अर्ली गैलेक्सीस का अध्ययन करने से वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के जन्म और विकास को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है. 

पानी ब्रह्मांड में तीसरा सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला मॉलिक्यूल

अटाकामा लार्ज मिलिमीटर/सबमिलीमीटर एरे (एएलएमए) के नए अवलोकनों के अनुसार, अर्ली यूनिवर्स में सबसे विशाल आकाशगंगा, की जोड़ी में पानी का पता चला है. वैज्ञानिकों ने दो आकाशगंगाओं से बने SPT0311-58 में कार्बन मोनोऑक्साइड के साथ पानी का पता लगाया है पृथ्वी से लगभग 1,288 करोड़ प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है. पानी, विशेष रूप से, मॉलिक्यूलर हाइड्रोजन और कार्बन मोनोऑक्साइड के बाद ब्रह्मांड में तीसरा सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला मॉलिक्यूल है.

ये जोड़ी विलीन होकर बन सकती है विशाल इलिप्टिकल गैलेक्सी

SPT0311-58 को पहली बार ALMA वैज्ञानिकों ने 2017 में इसके स्थान या समय पर देखा था, तब ब्रह्मांड सिर्फ 780 मिलियन वर्ष पुराना था, जो इसकी वर्तमान आयु का 5 प्रतिशत है. उस वक़्त अन्य सितारों और आकाशगंगाओं का जन्म हो रहा था. वैज्ञानिकों का मानना ​​​​है कि दो आकाशगंगाएं विलीन हो सकती हैं, और उनके अंदर तेजी से तारों का निर्माण न केवल उनकी गैस, या तारा बनाने वाले ईंधन का उपयोग कर रहा है, बल्कि अंततः यह जोड़ी लोकल यूनिवर्स में देखी जाने वाली विशाल इलिप्टिकल गैलेक्सी में विकसित हो सकती है.

एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में हुआ प्रकाशित

"आकाशगंगाओं की जोड़ी, SPT0311-58 में मॉलिक्युलर गैस के हाई-रिज़ॉल्यूशन एएलएमए अवलोकनों का उपयोग करके हमने दो आकाशगंगाओं के बड़े हिस्से में पानी और कार्बन मोनोऑक्साइड अणुओं दोनों का पता लगाया. जैसा कि हम जानते हैं, ऑक्सीजन और कार्बन, पहली पीढ़ी के तत्व हैं, और कार्बन मोनोऑक्साइड और पानी के मॉलिक्युलर रूपों में, वे जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं," इलिनोइस विश्वविद्यालय के एक खगोलशास्त्री और प्रमुख साइंटिस्ट श्रीवानी जारुगुला ने नए शोध पर कहा. "अर्ली यूनिवर्स में अन्य आकाशगंगाओं की तुलना में इसमें अधिक गैस और धूल है, जो हमें प्रचुर मात्रा में अणुओं का निरीक्षण करने और बेहतर ढंग से समझने के लिए संभावित अवसर प्रदान करती है कि इन जीवन-कारक तत्वों ने प्रारंभिक ब्रह्मांड के विकास को कैसे प्रभावित किया”,जरुगुला ने कहा. यह शोध एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

मॉलिक्यूलर गैस कंटेंट का अब तक का सबसे विस्तृत अध्ययन

इन दोनों का बहुतायत में पता लगना यह संकेत देता है कि प्रारंभिक तारों में तत्वों के बनने के तुरंत बाद मॉलिक्युलर यूनिवर्स स्ट्रांग हो रहा था. यह शोध अर्ली यूनिवर्स में एक आकाशगंगा के  मॉलिक्यूलर गैस कंटेंट का अब तक का सबसे विस्तृत अध्ययन और एक नियमित तारा बनाने वाली आकाशगंगा में पानी का सबसे दूर का पता लगाने वाला अध्ययन है. पिछले अध्ययनों ने लोकल और अर्ली यूनिवर्स में आकाशगंगाओं के वाटर इमिशन और धूल से फार-इंफ्रारेड इमिशन को रिलेट किया है.

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