Sunita Williams Earth return: एस्ट्रोनॉट धरती पर आता है तो क्या होता है? नॉर्मल होने में कितना समय लगता है? कबतक रिकवरी होती है?

नासा के रिसर्च के मुताबिक, 45 दिनों की ट्रेनिंग के बाद अधिकतर अंतरिक्ष यात्री फिर से सामान्य फिटनेस हासिल कर लेते हैं. लेकिन हड्डियों की पूरी रिकवरी में सालों लग सकते हैं, और कई बार यह पहले जैसी नहीं हो पाती. रेडिएशन के कारण कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, जिसके लिए लंबी अवधि की स्क्रीनिंग जरूरी होगी.

Sunita Williams Earth return
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 12:26 PM IST
  • 9 महीने तक फंसे रहे अंतरिक्ष में
  • नॉर्मल होने में लगेगा समय

नासा (NASA) के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर 19 मार्च को धरती पर लौट सकते हैं. हालांकि, जब वे लौटकर आएंगे तो उनके लिए सबकुछ आसान नहीं होने वाला है. 9 महीने तक बिना गुरुत्वाकर्षण के जीना आसान नहीं है, इसका असर उनके पूरे शरीर पर दिखाई देने वाला है. इतना ही नहीं बल्कि कुछ समय के लिए वे अपने पैरों पर खड़े भी नहीं हो पाएंगे. उन्हें सीधा स्ट्रेचर पर लेटाकर मेडिकल जांच के लिए ले जाया जाएगा.

क्यों? क्योंकि कम गुरुत्वाकर्षण (Microgravity) में रहने से शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं- मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, हड्डियां सिकुड़ने लगती हैं और खून का प्रवाह तक प्रभावित होता है. नासा के मुताबिक, लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने के बाद इंसान का शरीर पूरी तरह से रिकवरी करने में 6 हफ्ते तक का समय ले सकता है! 

9 महीने तक फंसे रहे अंतरिक्ष में
दरअसल, सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर को 8 दिन बाद धरती पर लौटना था, लेकिन तकनीकी खराबियों की वजह से उनकी वापसी में देरी हो गई. अब जब वे लौटेंगे, तो उनके शरीर को फिर से धरती के गुरुत्वाकर्षण के साथ तालमेल बिठाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी. जमीन पर उतरते ही वे चल नहीं पाएंगे! उन्हें स्ट्रेचर पर मेडिकल टीम के पास ले जाया जाएगा. पहले ही दिन से उनके लिए एक सख्त रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम शुरू किया जाएगा.
नासा के डॉक्टरों के मुताबिक, कम गुरुत्वाकर्षण में रहने से इंसानी शरीर में 20% तक मांसपेशियों का नुकसान हो सकता है और हड्डियां हर महीने 1-1.5% घनत्व (Density) खो देती हैं. यानी 9 महीने बाद जब वे लौटेंगे, तो उनकी हालत एक कमजोर बुजुर्ग इंसान जैसी होगी, जिसे दोबारा ताकतवर बनने में हफ्तों लगेंगे.

कौन-कौन से बदलाव आएंगे शरीर में?

  1. मांसपेशियों की कमजोरी- बिना गुरुत्वाकर्षण के मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं.
  2. हड्डियों की डेंसिटी घट जाएगी- लंबे समय तक स्पेस में रहने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं.
  3. दिल और खून का बहाव प्रभावित होगा- क्योंकि बिना ग्रेविटी के खून ऊपर की तरफ खिंचता है.
  4. ब्लड प्रेशर में गिरावट- जब शरीर दोबारा गुरुत्वाकर्षण महसूस करेगा, तो खून का प्रवाह सामान्य करने में वक्त लगेगा.
  5. स्पेस रेडिएशन के खतरे- हर हफ्ते अंतरिक्ष में बिताया गया समय, धरती पर एक साल की रेडिएशन एक्सपोजर के बराबर है.

अब कैसा होगा उनकी रिकवरी का सफर?
नासा के मुताबिक, अंतरिक्ष यात्रियों को तीन फेज में रिकवरी करवाई जाती है. धरती पर लैंडिंग के तुरंत बाद. दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को स्ट्रेचर पर बाहर निकाला जाएगा. सबसे पहले उनके ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट और न्यूरोलॉजिकल टेस्ट किए जाएंगे. शरीर की फ्लूड शिफ्ट (खून और फ्लूइड का मूवमेंट) को बैलेंस करने के लिए दवाएं दी जाएंगी.

फेज 1: धरती पर लौटते ही क्या होगा? (पहले 7 दिन)

  • दोनों एस्ट्रोनॉट के लिए पहला टास्क दोबारा चलना सीखना होगा. 
  • इसमें सबसे पहले पैरों में ताकत लाने के लिए हल्के स्ट्रेचिंग और फिजियोथेरेपी शुरू होगी. 
  • शुरुआती कुछ दिनों तक उन्हें बिना किसी सपोर्ट के खड़ा भी नहीं किया जाएगा. धीरे-धीरे मशीनों की मदद से चलने की कोशिश करवाई जाएगी.

फेज 2: मांसपेशियों को फिर से मजबूत बनाना (2-3 हफ्ते)

  • इस फेज में मुख्य फोकस फ्लेक्सिबिलिटी और कार्डियो रिहैब पर होगा.
  • प्रोप्रियोसेप्टिव एक्सरसाइज- यानी शरीर की मूवमेंट को पहचानने और कंट्रोल करने की एक्सरसाइज.
  • वेट लिफ्टिंग और मसल ट्रेनिंग - ताकि सिकुड़ी हुई मांसपेशियों को फिर से विकसित किया जा सके.
  • दिल और फेफड़ों की ट्रेनिंग- स्पेस से लौटने के बाद कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम को फिर से मजबूत बनाना जरूरी है.

फेज 3: नॉर्मल लाइफ में लौटना (5-6 हफ्ते)

  • अब आखिरी फेज आता है- फुल रिकवरी और बॉडी को पहले जैसी स्थिति में लाना.
  • डॉक्टरों के मुताबिक, स्पेस में रहने से हड्डियों की मजबूती पर बुरा असर पड़ता है. इसे ठीक करने के लिए ओस्टियोजेनिक लोडिंग (Osteogenic Loading) एक्सरसाइज कराई जाएगी.
  • इस एक्सरसाइज में हड्डियों पर चार गुना ज्यादा वजन डालकर उन्हें मजबूत बनाया जाता है.
  • डॉक्टर्स दोनों की मेंटल हेल्थ पर भी ध्यान देंगे. स्पेस में लंबा वक्त बिताने के बाद मानसिक तनाव बढ़ जाता है.

क्या सुनीता और विलमोर पूरी तरह से रिकवर हो पाएंगे?
नासा के रिसर्च के मुताबिक, 45 दिनों की ट्रेनिंग के बाद अधिकतर अंतरिक्ष यात्री फिर से सामान्य फिटनेस हासिल कर लेते हैं. लेकिन हड्डियों की पूरी रिकवरी में सालों लग सकते हैं, और कई बार यह पहले जैसी नहीं हो पाती. रेडिएशन के कारण कैंसर का खतरा बढ़ सकता है, जिसके लिए लंबी अवधि की स्क्रीनिंग जरूरी होगी. मानसिक तनाव और डिप्रेशन से उबरने में महीनों या सालों तक लग सकते हैं.

 

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