कल्पना कीजिए: आप लंदन में एक चमचमाती ट्रेन में सवार होते हैं, एक कप कॉफी का आनंद लेते हैं, और अपनी पसंदीदा वेब सीरीज के कुछ एपिसोड स्क्रॉल करने से पहले ही आप न्यूयॉर्क पहुंच जाते हैं- वह भी सिर्फ 54 मिनट में. यह किसी साइंस फिक्शन फिल्म की कहानी जैसा लगता है, है ना? लेकिन यह अटलांटिक महासागर के नीचे एक सुरंग बनाने का विचार एक बार फिर चर्चा में आ गया है. हालांकि इसकी कीमत इतनी भारी है कि 20 ट्रिलियन डॉलर में पूरी होगी और इसे बनने में सैकड़ों साल लग सकते हैं. यह विचार दूरदर्शी महत्वाकांक्षा और नामुमकिन कल्पना के बीच झूलता नजर आता है.
अब कहानी में आते हैं एलन मस्क- वह शख्स जिसने कई उद्योगों में क्रांति ला दी है. एलन मस्क का दावा है कि उनकी बोरिंग कंपनी इस प्रोजेक्ट को महज एक हिस्से की कीमत में पूरा कर सकती है. तो क्या सच में लंदन से न्यूयॉर्क तक साउंड की स्पीड से भी तेज यात्रा करना मुमकिन है? या फिर यह केवल एक हवाई सपना है?
अटलांटिक महासागर के नीचे एक सुरंग
अटलांटिक महासागर के नीचे सुरंग बनाने का विचार नया नहीं है. स्विट्जरलैंड के प्रोफेसर मार्सेल जूफर ने 1970 के दशक में सबसे पहले इस विचार को सामने रखा था. लेकिन उस समय इसे हकीकत में बदलने के लिए जो तकनीक चाहिए थी, वह दूर-दूर तक उपलब्ध नहीं थी. प्रस्तावित सुरंग की लंबाई लगभग 4,900 किलोमीटर (करीब 3,000 मील) होगी और यह लंदन को न्यूयॉर्क सिटी से जोड़ेगी, जहां आज फ्लाइट से यात्रा करने में लगभग 8 घंटे लगते हैं.
इस विचार के केंद्र में है वैक्यूम ट्यूब टेक्नोलॉजी, जो ट्रेन यात्रा के स्वरूप को पूरी तरह बदल सकती है. इस तकनीक में ट्रेनें कम दबाव वाले वैक्यूम ट्यूब के अंदर चलेंगी, जिससे हवा के घर्षण में भारी कमी आएगी और ट्रेन की गति 4,800 किलोमीटर प्रति घंटा (करीब 3,000 मील प्रति घंटा) तक पहुंच सकती है. आसान भाषा में कहें, तो यह हवाई जहाज से चार गुना तेज है.
यात्रियों को बिजली की गति से अटलांटिक पार कराकर एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक महज एक घंटे से भी कम समय में पहुंचाने वाकई चौंकाने वाला विचार है. यह यात्रा, व्यापार और वैश्विक जुड़ाव को पूरी तरह से नया रूप दे सकती है.
क्या यह संभव है? हकीकत की परख
अब सवाल यह है कि क्या यह सुरंग बन पाना हकीकत में मुमकिन है? यहां से यह सपना बिखरता दिखाई देने लगता है. सबसे पहले बात करते हैं लागत की: इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में अनुमानित 20 ट्रिलियन डॉलर का खर्च आएगा. सरल शब्दों में कहें, तो यह रकम अमेरिका और चीन की संयुक्त GDP से भी ज्यादा है.
इसके बाद समय का सवाल आता है. इंग्लैंड और फ्रांस को जोड़ने वाली चैनल सुरंग को बनाने में 6 साल लगे थे. लेकिन यह सुरंग महज 37 किलोमीटर लंबी है. इसी दर से अगर अटलांटिक महासागर के नीचे सुरंग बनाई जाए, तो एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसे बनने में 500 से 800 साल लग सकते हैं. जी हां, सदियां. जब तक यह प्रोजेक्ट पूरा होगा, तब तक इंसान शायद मंगल ग्रह पर बस्तियां बसा चुका होगा. और यही नहीं, इंजीनियर अभी तक यह तय नहीं कर पाए हैं कि इस सुरंग को कैसे बनाया जाएगा. इसके लिए कई प्रस्ताव सामने आ चुके हैं:
1. स्टिल्ट्स पर सुरंग: सुरंग को महासागर की सतह से ऊंचा उठाकर स्टिल्ट्स (पायों) पर रखा जाए. यह एक इंजीनियरिंग चमत्कार होगा, लेकिन तूफानों और दुर्घटनाओं की आशंका को देखते हुए यह बहुत जोखिम भरा है.
2. तैरती हुई सुरंग: एक और डिजाइन के अनुसार, सुरंग को पानी के अंदर तैरता हुआ रखा जाए और उसे समुद्र तल से जुड़े तारों से स्थिर किया जाए. इसे आप एक विशाल, तैरते हुए ट्यूब की तरह सोच सकते हैं.
3. समुद्र तल के नीचे दबी सुरंग: यह सबसे पारंपरिक विचार है, जिसमें सुरंग को महासागर तल के नीचे बनाया जाए. लेकिन अटलांटिक महासागर की गहराई (कई स्थानों पर 12,000 फीट से अधिक) को देखते हुए यह विचार अविश्वसनीय रूप से कठिन और खतरनाक है.
हर एक डिजाइन के अपने अलग-अलग जोखिम और चुनौतियां हैं- दबाव, सुरक्षा, और पर्यावरण पर प्रभाव जैसी समस्याएं सामने आती हैं.
एलन मस्क: सस्ता समाधान लाने का दावा?
जहां कहीं भी भविष्य की परिवहन तकनीक की बात होती है, वहां एलन मस्क का नाम जरूर आता है. 2012 में, एलन मस्क ने हाइपरलूप का विचार पेश किया था. ये एक तेज रफ्तार, वैक्यूम ट्यूब ट्रेन को लेकर था और दावा किया कि यह तकनीक छोटे और कम दूरी की यात्राओं में क्रांति ला सकती है.
अटलांटिक सुरंग की चर्चा के दौरान, एलन मस्क ने यह दावा किया कि उनकी बोरिंग कंपनी इस प्रोजेक्ट को 1,000 गुना कम कीमत पर पूरा कर सकती है. हालांकि, उनकी कंपनी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. उदाहरण के लिए, उनका हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक हाल ही में पार्किंग लॉट में बदल दिया गया.
इसके बावजूद, दुनिया भर में लगभग 10 कंपनियां हाइपरलूप तकनीक पर काम कर रही हैं. भारत, चीन, और अमेरिका जैसे देश इस तकनीक को वास्तविकता में बदलने के लिए टेस्टिंग कर रहे हैं.
क्या यह सपना सच होगा?
लंदन से न्यूयॉर्क तक 54 मिनट में यात्रा करने का विचार बेहद रोमांचक है. यह इंसानों की कल्पना और तकनीकी संभावनाओं का प्रतीक है. लेकिन मौजूदा समय में, यह सुरंग केवल एक दूर का सपना है- जो लागत, तकनीकी सीमाओं और समय के कारण नामुमकिन सा लगता है.
हालांकि एलन मस्क और कई दूसरे इनोवेटर्स लगातार असंभव को संभव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. भविष्य अजीबो-गरीब तरीके से हमें चौंका देता है. शायद एक दिन, अटलांटिक महासागर को 54 मिनट में पार करना इतना सामान्य लगे कि लोग हवाई जहाज की आठ घंटे की यात्रा को इतिहास मान बैठें.