रिसर्च में बनाया गया अनोखा कंप्यूटर टूल, ऑनलाइन ही पता लग जाएगा अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियों के बारे में

बोस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नया डिवाइस बनाया है, जिससे अल्जाइमर और डिमेंशिया का पता लगाया जा सकेगा, वो भी ऑनलाइन. इस टूल की मदद से मराजों को बार-बार डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ये रिसर्च अल्जाइमर एंड डिमेंशिया: जर्नल ऑफ द अल्जाइमर एसोसिएशन में प्रकाशित की गई है.

Boston University research (Photo: Representative)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 6:42 PM IST
  • बीमारी का जल्द लग सकेगा पता
  • 1000 मरीजों की मदद से की गई है रिसर्च

अल्जाइमर (Alzheimer) और डिमेंशिया (Dementia) की बीमारी को पहचानने में बहुत समय और पैसा लगता है. वहीं, इसमें कई टेस्ट भी होते हैं जिसके लिए मरीज को बहुत बार डॉक्टर के पास जाना पड़ता है और समय समय पर अपना चेकअप करवाना पड़ता है. लेकिन बोस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक नया डिवाइस बनाया है, जिससे अल्जाइमर और डिमेंशिया की बीमारी की हम इस टूल के जरिए जांच कर पाएंगे. इस डिवाइस की सबसे अच्छी बात है कि इसके लिए मरीज को डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं होगी बल्कि सबकुछ ऑनलाइन ही हो जाएगा. इस डिवाइस के जरिए ऑडियो रिकॉर्डिंग से बीमारी का पता लगाया जा सकेगा. इस रिसर्च को अल्जाइमर एंड डिमेंशिया: जर्नल ऑफ द अल्जाइमर एसोसिएशन में प्रकाशित किया गया है. 

बीमारी का जल्द लग सकेगा पता

इस पेपर को लिखने वाले सह-लेखक और बीयू कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के प्रोफेसर Ioannis Paschalidis कहते हैं कि इस डिवाइस के जरिए अल्जाइमर का जल्द पता लग जाएगा. इससे ये फायदा होगा कि रोगियों का शुरुआत में ही इलाज हो सकेगा और इसके लिए उन्हें समय-समय पर डॉक्टर या हॉस्पिटल के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.

1000 मरीजों की मदद से की गई है रिसर्च

ये रिसर्च फ्रामिंघम हार्ट स्टडी में की गई. इसमें करीब 1,000 से अधिक मरीजों को शामिल किया गया. उन मरीजों का न्यूरोसाइकोलॉजिकल इंटरव्यू लिया और उनकी ऑडियो रिकॉर्डिंग के इस्तेमाल से अपने टूल को ट्रेनिंग दी गई. इसमें गूगल अस्सिटेंट जैसा ऑनलाइन स्पीच रिकग्निशन फीचर और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग का इस्तेमाल किया गया. इन दोनों फीचर की मदद से इन इंटरव्यूज को कंप्यूटर की भाषा यानी बाइनरी लैंग्वेज में एनकोड किया गया. और ऑडियो रिकॉर्डिंग को नंबर्स में ट्रांसक्राइब किया गया. 

कैसे बताएगा रिजल्ट?

प्रोफेसर Ioannis Paschalidis के अनुसार, यह टूल न सिर्फ स्वस्थ व्यक्तियों और डिमेंशिया के मरीजों के बीच में अंतर बता सकेगा बल्कि मरीज को माइल्ड यानि हल्का डेमेंशिया है या फिर गंभीर ये भी बता सकेगा. बता दें, ये मशीन कौन रुककर बोल रहा है और कौन आराम से बोल रहा है यानि व्यक्ति के बोलने के हिसाब से ये बीमारी के बारे में बता सकेगा. हालांकि, स्टडी में ये भी कहा गया है कि इसमें अभी आगे और भी रिसर्च करने की आवश्यकता है.
 

 

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