Climate change क्या है, क्या हैं जलवायु परिवर्तन के खतरे और उनसे बचने के उपाय

जलवायु परिवर्तन किसी स्थान पर पाए जाने वाले सामान्य मौसम में होने वाला परिवर्तन है. मौसम कुछ ही घंटों में बदल सकता है लेकिन जलवायु को बदलने में सैकड़ों या लाखों साल लगते हैं. 

gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 14 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 2:39 PM IST
  • जलवायु परिवर्तन किसी स्थान के सामान्य मौसम में होने वाला परिवर्तन है
  • अगले 100 साल तक बढ़ सकता है पृथ्वी का तापमान

जीवाश्म ईंधनों का उपयोग ‘चरणबद्ध तरीके से बंद करने के बजाय, इसके उपयोग को चरणबद्ध तरीके से कम करने’ के भारत के सुझाव को महत्व देते हुए ग्लासगो में COP26 शिखर सम्मेलन में लगभग 200 देश शनिवार को एक जलवायु समझौते के लिए तैयार हो गए. इन सबके बीच एक सवाल जो सबसे ज्यादा लोगों के दिमाग में उठ रहा है कि आखिर क्या है ये जलवायु परिवर्तन (Climate Change)? इसका पर्यावरण और इंसानों पर क्या असर पड़ेगा और इससे निपटने के लिए क्या-क्या उपाय किए जा सकते हैं? 

जलवायु परिवर्तन से तात्पर्य तापमान और मौसम के पैटर्न में दीर्घकालिक बदलाव से है. ये बदलाव स्वाभाविक हो सकते हैं, लेकिन 1800 के दशक से मानव गतिविधियां जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण रही हैं. खासकर जीवाश्म ईंधन (कोयला, तेल और गैस) के जलने के कारण, जो गर्म गैसों का उत्पादन होता है, जिससे क्लाइमेट चेंज होता है.  

जलवायु परिवर्तन किसी स्थान पर पाए जाने वाले सामान्य मौसम में होने वाला परिवर्तन है. यह एक बदलाव हो सकता है, जैसे किसी जगह पर एक साल में आमतौर पर कितनी बारिश होती है. या एक महीने में किसी जगह के सामान्य तापमान में बदलाव हो सकता है. जलवायु परिवर्तन एक तरह से पृथ्वी की जलवायु में परिवर्तन है. यह पृथ्वी के सामान्य तापमान में बदलाव या फिर मौसम और बारिश में अंतर हो सकता है. मौसम कुछ ही घंटों में बदल सकता है लेकिन जलवायु को बदलने में सैकड़ों या लाखों साल लगते हैं. 

पृथ्वी की जलवायु में परिवर्तन का कारण क्या है?

कई चीजें जलवायु पर असर डालती हैं. सूर्य से पृथ्वी की दूरी बदल सकती है. सूरज कम या ज्यादा ऊर्जा भेज सकता है. समुद्र बदल सकते हैं. जब कोई ज्वालामुखी फटता है तो वह हमारी जलवायु को बदल सकता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि मनुष्य की गतिविधियां भी जलवायु को बदल सकती हैं. कार चलाने, अपने घरों को गर्म-ठंडा करने, खाना बनाने जैसे सभी काम ऊर्जा लेते हैं. ऊर्जा कोयला, तेल और गैस जलाने से मिलती है. इन चीजों को जलाने से हवा में गैसें बनती हैं. ये गैसें हवा को गर्म करती हैं, जिससे किसी स्थान की जलवायु बदल सकती हैं. 
 
पृथ्वी की जलवायु पर असर 

वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि अगले 100 साल तक पृथ्वी का तापमान बढ़ता रहेगा. इससे ज्यादा बर्फ पिघलेगी, महासागर बढ़ेंगे और कुछ जगहों पर गर्मी बढ़ेगी. कई जगहों  पर ज्यादा बर्फबारी के साथ-साथ ठंड बढ़ सकती है. कुछ जगहों पर ज्यादा बारिश हो सकती है तो कहीं कम. वहीं कुछ जगहों पर तेज तूफान आ सकता है.  

क्या है इससे निपटने के उपाय?

COP26 शिखर सम्मेलन में जीवाश्म ईंधनों का उपयोग ‘चरणबद्ध तरीके से बंद करने के बजाय, इसके उपयोग को चरणबद्ध तरीके से कम करने’ के भारत के सुझाव को महत्व देते हुए ग्लासगो में 200 देशों ने जलवायु समझौता किया. इसके साथ ही ग्लासगो जलवायु समझौता हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों के लिए जिम्मेदार कोयले के इस्तेमाल को कम करने की योजना बनाने वाला पहला संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौता बन गया है. समझौते में शामिल देश अगले साल कार्बन कटौती पर चर्चा करने के लिए भी सहमत हुए हैं ताकि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लक्ष्य तक पहुंचा जा सके. 

इसके साथ ही वैज्ञानिकों को लगता है कि क्लाइमेट चेंज को रोकने के लिए आम इंसान भी बहुत कुछ कर सकता है.  आप कम ऊर्जा और कम पानी का इस्तेमाल कर इस दिशा में काम कर सकते हैं. जब आप कमरे से बाहर निकलें तो लाइट और टीवी बंद कर दें.  ब्रश करते समय पानी बंद कर दें. आप पेड़ लगाकर भी मदद कर सकते हैं. जितना ज्यादा आप पृथ्वी के बारे में जानेंगे, उतना ही आप जलवायु की दिक्कतों को हल करने में मदद कर सकते हैं. 

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