समय-समय पर, वैज्ञानिकों अंतरिक्ष को लेकर नए रहस्यों को हमारे सामने लेकर आते हैं. जिसकी वजह से पृथ्वी से बाहर के स्पेस को जानना और भी दिलचस्प हो जाता है. अब सूरज तो लेकर एक नई बात सामने आई है. दरअसल, सौर ज्वाला (solar flares) और भू-चुंबकीय तूफानों (geomagnetic storms) के लिहाज से इस साल सूरज काफी एक्टिव रहा है. हालांकि, हमेशा से ऐसा नहीं रहा है. ऐसे कई उदाहरण हमारे सामने हैं जब सूर्य सोता (Sun Asleep) हुआ प्रतीत होता है और उसकी सतह पर धब्बे पूरी तरह से गायब हो जाते हैं.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर सूरज पूरी तरह से इनएक्टिव हो जाये या जिसे हम सोना कहते हैं तो क्या होता है? इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER), कोलकाता ने इसपर एक रिसर्च की है. चलिए पढ़ते हैं इस रिसर्च में क्या सामने आया…
क्या आया रिसर्च में सामने?
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (IISER), कोलकाता के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन स्पेस साइंसेज इंडिया ने इस रिसर्च को किया है. इस रिसर्च में उन्होंने पता लगाया है कि आखिर सूर्य पूरी तरह से निष्क्रिय होता है तो क्या होता है और कैसे ये तारा अपनी ऊर्जा को पुनर्जीवित करता है.
बताते चलें कि ये शोध रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी की मासिक नोटिस पत्रिका में छापा गया है. शोध के अनुसार, तारे के ध्रुवीय और आंतरिक क्षेत्र तब भी घूमते रहते हैं, जब सूर्य गहरी नींद में होता है. वैज्ञानिकों ने पाया कि इस झपकी के दौरान भी, सूर्य का कोर डायनेमो सिस्टम, जो सोलर साइकिल को सपोर्ट करता है, वो तब भी इसे एक्टिव करने के लिए मेहनत कर रहा होता है.
क्या होता है जब सूरज सोता है?
अतीत में कई ऐसे मौके आए हैं जब सूर्य की गतिविधि अपने निम्न स्तर पर पहुंच गई थी और कोई सनस्पॉट नहीं थे. इस अवधि के दौरान सूर्य की ऊर्जा और पार्टिकल एमिशन में काफी कमी आई थी, जिसे हम विज्ञान की भाषा में ग्रैंड मिनिमम के रूप में जानते हैं. खगोलविदों के अनुसार, 1645 और 1715 के बीच तारे की सतह पर देखे जाने वाले सनस्पॉट की बढ़ती संख्या अचानक बंद हो गई था. इस तरह के मिनीमा को पूरे सूर्य के 4.6 अरब साल के जीवन में कई बार देखा जा चुका है, इसलिए यह एक अलग घटना नहीं है.
सो कर भी नहीं सोता सूरज
मौैजूदा समय में सूर्य के ध्रुवीय और गहरे क्षेत्रों में गतिविधि के बारे में हमें बहुत कम जानकारी है, भले ही हम इसकी सतह पर क्या होता है, इसके बारे में जानते हों. आम तौर पर हम यह समझते हैं कि इन चरणों के दौरान सूर्य का बड़े पैमाने पर चुंबकीय चक्र या मैग्नेटिक साइकिल कट जाती है, लेकिन नए अध्ययन में सामने आया है कि यह जरूरी नहीं है.
इंडिया टुडे से बात करते हुए, आईआईएसईआर पीएच.डी. कैंडिडेट चित्रदीप साहा, संघिता चंद्रा, और प्रोफेसर दिब्येंदु ने यह पाया कि सूरत के आंतरिक हिस्से में जो मैग्नेटिक फील्ड होता है वो कभी इनएक्टिव नहीं होता है. हालांकि हमें ऐसा लग सकता है कि यह इनएक्टिव है लेकिन ऐसा नहीं है.