Artemis Accords: क्या है आर्टेमिस समझौता, जिसके तहत भारत स्पेस में करेगा काम, चांद से होगी मंगल पर मानव मिशन की तैयारी

Artemis Program: भारत आर्टेमिस एकॉर्ड में शामिल हो गया है. इस समझौते में भारत के अलावा 26 देश शामिल हैं. इसकी शुरुआत साल 2020 में 8 देशों ने मिलकर की थी. आर्टेमिस प्रोग्राम का मकसद चांद की सतह के बारे में और भी जानकारी हासिल करना है. इसके अलावा यहां से मंगल ग्रह के लिए मानव मिशन की तैयारी करना है.

साल 2020 में 8 देशों ने शुरू किया था आर्टेमिस समझौता (Photo/NASA)
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2023,
  • अपडेटेड 6:31 PM IST

भारत ने आर्टेमिस समझौते (artemis accords) पर दस्तखत कर दिया है. इसके साथ ही भारत उन 26 देशों के ग्रुप में शामिल हो गया, जो चंद्रमा, मंगल और स्पेस (अंतरिक्ष) में उससे आगे की खोज में पार्टनर होगा. नासा की मदद से साल 2024 में इसरो के एस्ट्रोनॉट्स की स्पेस स्टेशन की यात्रा की मुमकिन है. भारत जिस आर्टेमिस एकॉर्ड में शामिल हुआ है, उसे साल 2020 में 8 देशों ने शुरू किया था. इस आर्टेमिस एकॉर्ड के बारे में सबकुछ जानते हैं.

क्या है आर्टेमिस एकॉर्ड-
आर्टेमिस एकॉर्ड अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के आर्टेमिस कार्यक्रम का एक हिस्सा है. आर्टेमिस प्रोग्राम के तहत नासा चंद्रमा पर पहली महिला को उतारेगा. इस कार्यक्रम का मकसद चंद्रमा की सतह को और ज्यादा जानना है. इस इंटरनेशनल सहयोग से नासा चांद पर स्थाई तौर पर मौजूद होगा. यहीं से मंगल ग्रह पर पहले मानव मिशन की तैयारी की जाएगी.

2020 में शुरू हुआ था आर्टेमिस समझौता-
साल 2020 में नासा ने अमेरिकी विदेश विभाग की मदद से 7 दूसरे देशों के साथ मिलकर आर्टेमिस समझौते की शुरुआत की थी. इन 8 देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, यूएई, लक्जमबर्ग, जापान, इटली, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया शामिल थे. लेकिन जल्द ही इस समझौते में शामिल होने वाले देशों की संख्या बढ़ने लगी और आज 26 देश इस समझौते में शामिल हैं. इन 8 देशों के अलावा इसमें बहरीन, ब्राजील, कोलंबिया, चेक रिपब्लिक, क्वाडोर, फ्रांस, इजरायल, मैक्सिको, न्यूजीलैंड, नाइजीरिया, पोलैंड, साउथ कोरिया, रोमानिया, रवांडा, सिंगापुर, साउदी अरब, स्पेन, यूक्रेन, आइल ऑफ मैन शामिल है.

क्या है आर्टेमिस समझौते का मकसद-
आर्टेमिस समझौते का मकसद स्पेस में आपसी सहयोग से नई खोज करना है. इसमें शामिल देशों के लिए नियम बनाना, ताकि वो भविष्य में स्पेस में सहयोग के लिए इस समझौते का पालन करें. इस समझौते से स्पेस और धरती पर आपसी संघर्ष से बचने में मदद मिलेगी. आर्टेमिस समझौता एक पुरानी संधि पर आधारित है, जिसे Outer Space Treaty 1967 कहा जाता है. चलिए आपको बताते हैं कि इस समझौते के क्या नियम हैं.

इन नियमों का करना होगा पालन-
आर्टेमिस समझौते में शामिल सभी देशों को कुछ सिद्धांतों का पालन करना होगा. चलिए आपको उन कायदे-कानूनों के बारे में बताते हैं.

  • आर्टेमिस कार्यक्रम के तहत होने वाली सभी गतिविधियां शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए होनी चाहिए.
  • इस समझौते में शामिल देश किसी भी भ्रम या संघर्ष से बचने के लिए अपने कामकाज में पारदर्शिता बरतेंगे.
  • सुरक्षा और स्थिरता बढ़ाने के लिए इस समझौते में शामिल देश इंटरऑपरेबल सिस्टम के समर्थन की कोशिश करेंगे.
  • इस समझौते में शामिल देश संकट के फंसे कर्मचारियों को इमरजेंसी सहायता पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
  • इसमें शामिल देश को रजिस्ट्रेशन कन्वेंशन में शामिल होना चाहिए.
  • इसमें शामिल देशों को वैज्ञानिक जानकारी सार्वजनिक करनी होगी, ताकि पूरी दुनिया आर्टेमिस की यात्रा में शामिल हो सके.
  • इसमें शामिल सभी देश आउटर स्पेस विरासत के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध हैं.
  • स्पेस रिसोर्स को निकालना और उसका इस्तेमाल करना सुरक्षित और टिकाऊ खोज की कुंजी है. इस समझौते में शामिल सभी देशों को इन चीजों का ध्यान रखना होगा.
  • इस समझौते में शामिल सभी देश आउटर स्पेस ट्रीटी के मुताबिक नुकसानदायक इंटरफेरेंस को रोकना और उचित सम्मान के सिद्धांत का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
  • आर्टेमिस समझौते के सभी देश स्पेस में मलबे को सेफ डिस्पोजल की योजना बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

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