क्या है नासा का Mission DART? जिससे तहत नष्ट किए जा सकेंगे एस्टेरॉयड, पहली बार किसी सिविल मिशन के लिए हो रहा है डिफेंस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

Nasa's Mission DART: नासा पहला प्लेनेटरी डिफेंस टेस्ट मिशन लॉन्च करने जा रहा है. इसका नाम मिशन डार्ट रखा गया है. इस मिशन के तहतये देखा जाएगा कि क्या यह मिशन भविष्य में होने वाले किसी भी एस्टेरॉयड के खतरे से धरती को बचा सकता है या नहीं.

Asteroid
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST
  • 27 सितंबर को लॉन्च हो रहा है मिशन 
  • पहला प्लेनेटरी डिफेंस टेस्ट मिशन

अगर Sci-Fi मूवी के शौकीन हैं तो आपने अर्मागेड्डोन (Armageddon) देखी होगी. उसमें धरती को एक एस्टेरॉयड से बचाने के लिए मिशन लॉन्च किया जाता है. अब इसी तरह का मिशन असल जिंदगी में लॉन्च होने वाला है. नासा 27  सितंबर को अपना डार्ट मिशन (DART MISSION) लॉन्च करने वाली है. इस मिशन के तहत नासा क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड ) को टक्कर मारकर नष्ट करने की योजना बना रहा है.

27 सितंबर को लॉन्च हो रहा है मिशन 

नासा अपना डार्ट स्पेसक्राफ्ट 26 सितंबर को लगभग 7.14 बजे ईडीटी यानी भारत के 27 सितंबर को सुबह 4.44 बजे इस मिशन को लॉन्च करने वाली है. मिशन एक ऐसे मेथड का टेस्ट किया जाएगा जिसका उपयोग करके हमारे ग्रह के लिए खतरा पैदा करने वाले किसी भी एस्टेरॉयड की दिशी को मोड़ा या नष्ट किया जा सकेगा. किसी स्पेसक्राप्ट का इस्तेमाल करके एस्टेरॉयड को मोड़ने वाले इस मेथड को "काइनेटिक इंपेक्ट मेथड” कहा जाता है. 

क्या है डार्ट मिशन?

दरअसल, डार्ट मिशन का मतलब है- डबल एस्टेरॉयड रिडायरेक्शन टेस्ट (The Double Asteroid Redirection Test). यह टेस्ट भविष्य में किसी भी एस्टेरॉयड बचने के लिए किया जा रहा है. ये टेस्ट इसलिए किया जा रहा है ताकि यह पता किया जा सके कि अगर भविष्य में कोई एस्टेरॉयड तरफ बढ़ता है तो क्या हम उसे इस तकनीक से नष्ट कर सकेंगे या नहीं. 

बता दें, जिस एस्टेरॉयड को रिडायरेक्ट करने की तैयारी है वो 160 मीटर चौड़ा है. इसका नाम डिमोर्फोस है, जो बहुत बड़े एस्टेरॉयड डिडिमोस की परिक्रमा करता है, जो लगभग 780 मीटर चौड़ा है. धरती पर अंतरिक्ष में वेब टेलीस्कोप और हबल टेलीस्कोप को इस एस्टेरॉयड सिस्टम पर ट्रेन किया जाएगा, ताकि वे सिस्टम में हो रहे परिवर्तनों का माप ले सकें. 

पहला प्लेनेटरी डिफेंस टेस्ट मिशन

नासा प्रेस कांफ्रेंस में रॉबर्ट ब्रौन कहते हैं, "यह इंसानों का पहला प्लेनेटरी डिफेंस टेस्ट मिशन है. यह पहली बार है जब किसी सिविल मिशन में डिफेंस टेक्नोलॉजी का टेस्ट किया जाएगा. हम यह नहीं जानते कि टारगेट का सही आकार क्या है या यह किस चीज से बना है. हालांकि, डिमोर्फोस से पृथ्वी को कोई वास्तविक खतरा नहीं है. इससे यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि अगर भविष्य में किसी एस्टेरॉयड से धरती को खतरा होता है तो ये तकनीक प्रभावी होगी या नहीं."

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