कछुए की ज्यादा उम्र का क्या है राज, एक रिसर्च में हुआ खुलासा

अगर कोई पूछे कि दुनिया में सबसे ज्यादा वक्त तक जीने वाला जानवर कौन है तो फौरन आपके दिमाग में आएगा कि हाल ही में एक कछुए का 190 वां जन्मदिन मनाया गया. लेकिन सवाल है कि आखिर कछुए की उम्र इतनी ज्यादा क्यों होती है. कैसे कछुए इतने सालों तक जिंदा रहता है. इसको जानने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने एक रिसर्च किया. जिसमें हैरान करने वाले तथ्य सामने आए हैं.

कछुए की ज्यादा उम्र क्यों होती है, रिसर्च में खुलासा
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2022,
  • अपडेटेड 9:18 AM IST
  • कछुए की उम्र धीरे-धीरे बढ़ती है
  • प्रोटेक्टिव फेनोटाइप्स का उम्र पर होता है असर

हाल ही में 190 साल के एक कछुए को धरती का सबसे ज्यादा समय तक जीने वाले जानवर का तमगा मिला है. जिका नाम जोनाथन है. एक रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कुछआ या दूसरे एक्टोथर्म की कुछ प्रजातियां ज्यादा समय तक जीवित रहती हैं. ये रिसर्च चिड़ियाघर या जंगल में रहने वाले कुछ जानवरों से संबंधित है. पेन स्टेट और नॉर्थईस्टर्न इलिनोइस यूनिवर्सिटी की अगुवाई में 114 वैज्ञानिकों की एक इंटरनेशनल टीम ने दुनियाभर की सरीसृपों और उभयचरों की 77 प्रजातियों की 107 जानवरों पर रिसर्च किया. ये रिपोर्ट जर्नल साइंस में छपी है. 

क्यों होती है लंबी उम्र-
पहली बार उम्र को लेकर इतने बड़े लेवल पर रिसर्च हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक कछुए, मगरमच्छ और सैलामैंडर की उम्र बढ़ने की दर कम होती है. रिसर्च में टीम ने पाया कि प्रोटेक्टिव फेनोटाइप की वजह से कछुओं की उम्र बढ़ने की दर कम हो जाती है और उनकी उम्र धीरे-धीरे बढ़ती है.

कछुए की उम्र पर रिसर्च का क्या होगा फायदा-
पेन स्टेट के सहयोगी डेविड मिलर का कहना है कि कुछ रेप्टाइल और एंफीबियंस के लंबे जीवन और धीरे-धीरे उम्र बढ़ने के सबूत हैं. लेकिन जंगल में कई प्रजातियों में बड़े पैमाने पर अब तक रिसर्च नहीं हुआ है. उनका कहना है कि हम ये पता लगाने में कामयाब हुए कि जानवरों में धीरे-धीरे उम्र बढ़ने की क्या वजह है तो इंसानों में उम्र बढ़ने को और भी बेहतर ढंग से समझ सकते हैं. इतना ही नहीं, लुप्त होने की कगार पर पहुंचे चुके कई प्रजातियों पर ठीक से रिसर्च किया जा सकता है.

एक्टोथर्म प्रजाति के जानवरों की क्यों होते हैं लंबी उम्र-

टीम का लक्ष्य एंडोथर्म की तुलना में जंगलों में रहने वाले एक्टोथर्म प्रजाति के जानवरों के उम्र बढ़ने और लंबी उम्र को लेकर रिसर्च करना था. मिलर का कहना है कि थर्मोरेगुलेटरी मोड परिकल्पना से पता चलता है कि एक्टोथर्म प्रजाति के जानवरों की उम्र एंडोथर्म के मुकाबले धीरे-धीरे बढ़ती है. क्योंकि एक्टोथर्म बॉडी टेंपरेचर मेनटेन करने के लिए बाहरी तापमान की जरूरत होती है. जिसकी वजह से मेटाबॉलिज्म स्लो होता है. जबकि एंडोथर्म प्रजाति के जानवर इंटरनल तौर पर टेंपरेचर मेनटेन करते हैं.

मेटाबॉलिज्म पर होता है असर?-

मिलर बताते हैं कि लोग सोचते हैं कि चूहे की उम्र कम होती है, क्योंकि उसका मेटाबॉलिज्म ज्यादा होता है, जबकि कछुए का मेटाबॉलिज्म कम होता है, इसलिए उसकी उम्र ज्यादा होती है. लेकिन टीम के शोध में सामने आया है कि जरूरी नहीं कि एक्टोथर्म और एंडोथर्म की उम्र बढ़ने की दर और जीवनकाल एक जैसा हो. ये जरूरी नहीं कि जानवर के तापमान नियंत्रित करना उनकी उम्र बढ़ने की दर का संकेत हो.

यूनिक है कछुआ?-
मिलर ने कहा कि हमें रिसर्च में ऐसा कुछ नहीं मिला, जिससे ये साबित हो कि लोअर मेटाबॉलिज्म होने से एक्टोथर्म की उम्र बढ़ने की दर धीरे हुई हो. हालांकि मिलर ने ये भी कहा कि ये कॉम्बिनेशन सिर्फ कछुए के लिए सही था. जो साबित करता है कि कछुए एक्टोथर्म के बीच यूनिक हैं. प्रोटेक्टिव फेनोटाइप्स हाइपोथेसिस से पता चलता है कि भौतिक या रासायनिक लक्षणों की वजह से जानवरों की उम्र धीरे-धीरे बढ़ती है. 

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