Dr Akshata Krishnamurthy: कौन हैं भारतीय महिला अक्षता कृष्णमूर्ति, जिन्होंने NASA के मंगल मिशन में रोवर चलाकर रच दिया इतिहास

अक्षता कृष्णमूर्ति नासा में काम करने वाली पहली भारतीय महिला हैं. उन्होंने मंगल (Mars) ग्रह पर रोवर चलाया है. अक्षता ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए कई बार लोगों ने उनसे कहा कि उन्हें नासा जाने का सपना छोड़कर किसी और फील्ड में काम करना चाहिए क्योंकि वह जो करना चाहती हैं वो नामुमकिन है.

Akshata Krishnamurthy
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:49 PM IST

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) में काम करना कई अंतरिक्ष प्रेमियों और वैज्ञानिकों के लिए सपना होता है. इसी सपने को एक भारतीय महिला ने साकार किया है. ये नासा के मार्स रोवर मिशन में मदद करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं हैं जिन्होंने मंगल ग्रह पर रोवर चलाया है. अक्षता नासा के उस मिशन का हिस्सा थीं, जिसके तहत स्पेस एजेंसी मंगल ग्रह पर कुछ नमूने इकट्ठा कर रही थी. अब इन नमूनों को पृथ्वी पर लाया जाएगा. मंगल 2020 दृढ़ता मिशन नासा के चंद्रमा से मंगल अन्वेषण दृष्टिकोण का हिस्सा है, जिसमें चंद्रमा पर आर्टेमिस मिशन शामिल है जो लाल ग्रह के मानव अन्वेषण के लिए तैयार होने में मदद करेगा.

रॉकेट वैज्ञानिक डॉ अक्षता कृष्णमूर्ति ने अंतरिक्ष एजेंसी में अपनी प्रेरणादायक और प्रेरक यात्रा को साझा करने के लिए इंस्टाग्राम का सहारा लिया. उन्होंने मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिक्स और एस्ट्रोनॉटिक्स में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की है. डॉ. कृष्णमूर्ति ने जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी, जो कि नासा के स्वामित्व वाली एक अनुसंधान प्रयोगशाला है, में शामिल होकर नासा परियोजनाओं पर काम किया. लैबोरेटरी की वेबसाइट के अनुसार, यह अमेरिकी नागरिकों और विदेशी नागरिकों दोनों को काम पर रखता है.

लोगों ने कहा- नामुमकिन है
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, 'मैं 13 साल पहले अमेरिका स्थित नासा में काम करने आई थी. जमीन और मंगल ग्रह पर विज्ञान और रोबोटिक ऑपरेशन की अगुवाई करने के सपने के अलावा मेरे पास कुछ नहीं था. कई लोगों ने कहा कि मेरे लिए यह नामुमकिन है. ऐसा इसलिए क्योंकि मेरे पास विदेशी वीजा है इसलिए उन्हें प्लान बी तैयार रखना चाहिए या फिर अपना फील्ड ही बदल देनी चाहिए.' अक्षता ने कहा कि वो खुश हैं कि उन्होंने हार नहीं मानी और डटी रहीं. पीएचडी पूरी करने के बाद उन्हें नासा में नौकरी मिल गई. उन्होंने कहा काम करना है तो पागलपन जरूरी है.

हालांकि इस जर्नी में उन्हें कई सारी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि इस सफर में उन्होंने बहुत स्ट्रगल भी झेला. डिग्री लेना और फिर नासा में फुलटाइम काम करने तक कुछ भी आसान नहीं था. उन्होंने कहा, '' आज मैं कई तरह के स्पेस मिशन के लिए काम करती हूं. कोई भी सपना मुश्किल नहीं होता है. खुद पर विश्वास करो और कड़ी मेहनत करे. आप मंजिल तक जरूर पहुंचेंगे. मेरा उद्देश्य दस लाख लोगों को बड़ा सपना देखने और बेहतर जिंदगी जीने के लिए प्रेरित करना है.    

 

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