आपके दोस्त को कम... लेकिन आपको कॉफी लगती है ज्यादा कड़वी... उसका स्वाद नहीं आपके Genes हैं कारण, वैज्ञानिकों ने बताई कड़वेपन की वजह 

स्टडी में पाया कि कॉफी के स्वाद में कड़वाहट सिर्फ कैफीन की वजह से नहीं होती, बल्कि रोस्टिंग के दौरान बनने वाले कई दूसरे केमिकल्स भी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं. इतना ही नहीं, व्यक्ति का जेनेटिक स्ट्रक्चर भी यह तय करता है कि उसे कॉफी कितनी कड़वी लगेगी.  

Coffee Bitterness reason
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:34 PM IST
  • कैफीन के अलावा भी होती है उसमें कड़वी चीजें 
  • अरैबिका बीन्स में छिपा है कड़वाहट का रहस्य

अगर आप कॉफी के शौकीन हैं, तो आपने जरूर महसूस किया होगा कि कुछ लोगों को कॉफी बेहद कड़वी लगती है, जबकि कुछ इसे टेस्टी बताते हैं. आखिर ऐसा क्यों होता है? हाल ही में जर्मनी के लीबनिज इंस्टीट्यूट फॉर फूड सिस्टम्स बायोलॉजी और *टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिक के वैज्ञानिकों ने इस रहस्य की गहराई तक जाने की कोशिश की. 

उन्होंने स्टडी में पाया कि कॉफी के स्वाद में कड़वाहट सिर्फ कैफीन की वजह से नहीं होती, बल्कि रोस्टिंग (भुनाई) के दौरान बनने वाले कई दूसरे केमिकल्स भी इसके लिए जिम्मेदार होते हैं. इतना ही नहीं, व्यक्ति का जेनेटिक स्ट्रक्चर भी यह तय करता है कि उसे कॉफी कितनी कड़वी लगेगी.  

कैफीन के अलावा भी होती है उसमें कड़वी चीजें 
बहुत से लोग मानते हैं कि कॉफी में कड़वाहट सिर्फ कैफीन के कारण होती है. लेकिन दिलचस्प बात यह है कि डिकैफिनेटेड (कैफीन-रहित) कॉफी भी कड़वी होती है. इसका मतलब यह हुआ कि कैफीन के अलावा भी इसमें कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो इसकी कड़वाहट को प्रभावित करती हैं.  

इस विषय पर गहराई से रिसर्च कर रहीं लीबनिज इंस्टीट्यूट की डॉक्टोरल छात्रा कोलीन बिशलमेयर ने बताया, "पहले भी कई रिसर्च में यह पता चला था कि रोस्टिंग के दौरान अलग-अलग प्रकार के केमिकल कंपाउंड बनते हैं, जो कड़वाहट में योगदान देते हैं. मेरे शोध में हमने कॉफी में मौजूद एक नए प्रकार के तत्व की पहचान की है, जो स्वाद को प्रभावित करता है."  

अरैबिका बीन्स में छिपा है कड़वाहट का रहस्य
शोधकर्ताओं ने पाया कि अरैबिका कॉफी बीन्स में "मोजाम्बियोसाइड" नामक एक तत्व होता है, जो कैफीन की तुलना में दस गुना ज्यादा कड़वा होता है. यह TAS2R43 और TAS2R46 नाम के बिटर टेस्ट रिसेप्टर्स को एक्टिव कर देता है. लेकिन रोस्टिंग के दौरान इसकी मात्रा कम हो जाती है, जिससे यह अकेले कॉफी की कड़वाहट को ज्यादा प्रभावित नहीं करता.  

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती!
शोधकर्ताओं ने देखा कि रोस्टिंग के दौरान मोजाम्बियोसाइड के टूटने से सात अलग-अलग नए कंपाउंड बनते हैं, जो अलग-अलग मात्रा में कॉफी में मौजूद रहते हैं. ये तत्व भी कड़वाहट बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं.  

वैज्ञानिकों ने इन नए कंपाउंड की टेस्टिंग 11 लोगों पर की. उन्होंने पाया कि सिर्फ मोजाम्बियोसाइड अकेले कड़वाहट पैदा नहीं करता, बल्कि इसके रोस्टिंग प्रोडक्ट्स का कॉम्बिनेशन इफेक्ट ही कड़वे स्वाद को महसूस कराता है. इस टेस्टिंग के दौरान, 8 प्रतिभागियों ने कॉफी को कड़वा बताया. 1 व्यक्ति को इसका स्वाद कसैला (अस्ट्रिंजेंट) लगा. 2 प्रतिभागियों को किसी खास स्वाद का अनुभव नहीं हुआ.

डीएनए भी करता है स्वाद तय!
अब सबसे दिलचस्प बात! वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों का जेनेटिक टेस्ट किया और पाया कि कड़वाहट महसूस करने की क्षमता उनके जीन (Genes) पर निर्भर करती है.  

TAS2R43 जीन की जांच करने पर पता चला कि 2 लोगों के दोनों जीन वेरिएंट (कॉपी) खराब थे, जिससे वे कड़वाहट महसूस नहीं कर पाए. 7 लोगों में एक अच्छा और एक खराब वेरिएंट था, जिससे उन्हें हल्की कड़वाहट महसूस हुई. 2 प्रतिभागियों के दोनों जीन वेरिएंट एक्टिव थे, जिससे उन्हें कॉफी सबसे ज्यादा कड़वी लगी.  

इससे यह स्पष्ट हुआ कि कुछ लोगों को कॉफी ज्यादा कड़वी इसलिए लगती है क्योंकि उनका जेनेटिक कोड कड़वाहट को ज्यादा महसूस करने के लिए तैयार होता है.  

कॉफी प्रेमियों के लिए क्या है इसका मतलब? 
इस स्टडी के नतीजे कई अहम जानकारियां देते हैं,

  • रोस्टिंग प्रक्रिया को कंट्रोल कर कॉफी के स्वाद को बदला जा सकता है. 
  • भविष्य में विशेष प्रकार की कॉफी बनाई जा सकती हैं, जिनका स्वाद लोगों की टेस्ट सेंसिटिविटी के हिसाब से हो.
  • बिटर टेस्ट रिसेप्टर्स का असर सिर्फ स्वाद तक सीमित नहीं है, बल्कि इनका शरीर में दूसरा काम भी हो सकता है, जिसे समझना अभी बाकी है.  

अगर आपको कॉफी ज्यादा कड़वी लगती है, तो इसका कारण आपकी जीन्स और टेस्ट रिसेप्टर्स हो सकते हैं. 
 

 

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