Study on Sleep: हम क्यों सोते हैं? क्यों हमारे लिए नींद है इतनी जरूरी? वैज्ञानिकों को स्टडी में मिले चौंकाने वाले परिणाम

इंपीरियल कॉलेज लंदन के यूके डिमेंशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के नए शोध में नींद और हमारी पूरी ब्रेन हेल्थ थ्योरी को लेकर कई बातें सामने आई हैं. नए शोध से पता चलता है कि नींद को लेकर जो थ्योरी आज तक बताई गई है, वैसे ब्रेन फंक्शन नहीं करता है.

Study on Sleep (Photo: Getty Images)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 16 मई 2024,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST
  • नए शोध में आई कई बातें सामने  
  • दिमाग से कचरा हटाने वाला सिस्टम करता है काम 

क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर हमें नींद क्यों आती है? या हम सोते क्यों हैं? दरअसल, लंबे समय से, वैज्ञानिकों का मानना है कि नींद हमारे दिमाग की सेहत के लिए जरूरी है. ये हमारी ब्रेन हेल्थ को प्रभावित करती है. जब हम सो रहे होते हैं तब हमारे दिमाग में जो हानिकारक मॉलिक्यूल्स होते हैं, उन्हें बाहर निकालने में नींद हमारी मदद करती है. लेकिन एक हालिया स्टडी में इसे लेकर चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं. 

नए शोध में आई ये बात सामने  

इंपीरियल कॉलेज लंदन के यूके डिमेंशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के नए शोध में इस पूरी ब्रेन हेल्थ थ्योरी को लेकर कई बातें सामने आई हैं. नए शोध से पता चलता है कि नींद को लेकर जो थ्योरी आज तक बताई गई है, वैसे ब्रेन फंक्शन नहीं करता है. ये स्टडी अभी चूहों पर की गई है. वैज्ञानिकों ने पाया कि नींद और ब्रेन के हानिकारक मॉलिक्यूल्स का कोई संबंध नहीं है. बल्कि वैज्ञानिकों ने पाया कि एक्टिव और जागे रहना वास्तव में बेहतर हो सकता है. इसका मतलब यह है कि घूमने-फिरने और जागते रहने से मस्तिष्क को सोने की तुलना में हानिकारक पदार्थों को अधिक प्रभावी ढंग से बाहर निकालने में मदद मिल सकती है.

स्टडी क्या कहती है

हालांकि, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि मनुष्यों में ऐसा होता है या नहीं इसके लिए अभी और अधिक शोध की जरूरत है. इस स्टडी ने हमारे दिमाग की सेहत के लिए नींद और जगे रहने के महत्व के बारे में नए सवाल पैदा कर दिए हैं. 

शोधकर्ताओं ने पाया कि चूहा जब सो रहा था तब उसके दिमाग में हानिकारक मॉलिक्यूल्स कम साफ हुए. जबकि जब वह उठा हुआ था तब ये हानिकारक मॉलिक्यूल्स 30% ज्यादा तेजी से खत्म हुए थे. 

दिमाग से कचरा हटाने वाला सिस्टम करता है काम 

नेचर न्यूरोसाइंस जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी में बताया गया है कि हमारा दिमाग कचरे से कैसे छुटकारा पाता है. इस स्टडी से पहले वैज्ञानिक सोचते थे कि दिमाग से कचरा हटाने वाला हमारा सिस्टम, जिसे ग्लाइम्फैटिक सिस्टम कहते हैं, सबसे अच्छा तब काम करता है जब हम सो रहे होते हैं. लेकिन नए परिणाम इससे अलग आए हैं. अब कहा जा रहा है कि जब हम जागते और सक्रिय होते हैं जब ये सिस्टम बेहतर काम करता है. 


 

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