जब भी चंद्रग्रहण होता है तो आप देखते होंगे कि वह लाल होता है. चंद्रग्रहण के दौरान चांद लाल क्यों होता है इसके बारे में नासा ने खुलासा किया है. इसके साथ ही यह भी बताया है कि किस कारण चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल होता है. बता दें कि जब चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा संरेखित होते हैं, इसलिए पृथ्वी दोनों के बीच आ जाती है और चंद्रमा कुछ समय के लिए पृथ्वी की छाया में चला जाता है. जिसे आमतौर पर समझा जाता है कि सूर्य की ऊर्जा का विकिरण के रूप में पृथ्वी पर पहुंचती है, उसे मानव आंखों द्वारा दृश्य प्रकाश के रूप में देखा जाता है, जिसकी तरंग दैर्ध्य होती है.
ग्रहण में इस कारण लाल होता है चांद
नासा ने अपने ब्लॉग पोस्ट में बताया कि कुछ रंगों की तरंग दैर्ध्य कम होती है जैसे नीला और बैंगनी, जबकि सबसे ज्यादा तरंगदैर्घ्य लाल रंग होती है. हम देखते हैं कि जब सूरज दोपहर में ऊपर की तरफ होता है तो वह हमें पीला दिखाई देता है, वहीं सुबह और शाम के दौरान हमें सूर्य लाल रंग का दिखाई देता है. इस घटना को रेले स्कैटरिंग कहा जाता है. यहीं घटना जो हमें नीले आकाश को नीला और सूर्यास्त को लाल बनाती है, उसी के चलते चंद्रग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल हो जाता है. 2022 का आखिरी पूर्ण चंद्रग्रहण 8 नवंबर को लगने जा रहा है. इस चंद्रग्रहण के बाद 2025 तक कोई दूसरा पूर्ण ग्रहण नहीं होगा. जबकि इस दौरान आंशिक चंद्र ग्रहण होंगे.
साल में दो बार होता है चंद्रग्रहण
चंद्र ग्रहण के मामले में, जब चांद उंब्रा (छाया का अंधेरा केंद्र भाग) में प्रवेश करता है तो एक ऐसी जगह जहां पर पृथ्वी द्वारा सभी प्रत्यक्ष सूर्य का प्रकाश रूक जाता है. इस दौरान सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के किनारे से होकर गुजरता है. जो वायुमंडल में बिखर जाता है. इस प्रकार वह रौशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंचती हैं, तब केवल लंबी तरंग दैर्ध्य बची रहती है, जिससे चंद्रमा लाल हो जाता है. वहीं जब चंद्रमा पूरी तरह से ग्रहण से बाहर आता है तो फिर से वह चमकने लगता है. चंद्र ग्रहण साल में लगभग दो बार होता है और इसे देखने के लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है.