World Ozone Day 2023: क्यों मनाया जाता है 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस, क्या है इसका इतिहास, हमें कैसे बचाती है ओजोन लेयर, यहां जानें सबकुछ

ओजोन परत सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों को रोकने में मदद करती है. अल्ट्रावायलेट किरणों के सीधे संपर्क में आने से स्किन कैंसर जैसी बीमारी होने का खतरा रहता है. मोतियाबिंद और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं.

विश्व ओजोन दिवस 2023
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST
  • 1995 में मनाया गया था पहला वर्ल्ड ओजोन डे 
  • ओजोन परत हमारे धरती के लिए है महत्वपूर्ण

हर साल 16 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है. धरती के चारों ओर स्थित ओजोन परत के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है. जितना जरूरी हमारे शरीर के लिए ऑक्सीजन है, उतनी ही ओजोन परत भी. इसलिए समय-समय पर वैज्ञानिक इस परत को लेकर लोगों को जागरूक करते हैं. आइए आज इस दिवस के मौके पर ओजोन लेयर से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में जानते हैं.

ओजोन दिवस का इतिहास
वैज्ञानिकों ने 1970 में ओजोन लेयर में छेद होने के बारे में दुनिया को बताया था. इसके बाद दुनिया भर में इसके उपाय को  लेकर बैठक हुई. साल 1985 में ओजोन लेयर की रक्षा के लिए वियना कन्वेंशन को अपनाया. इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र और 45 अन्य देशों ने ओजोन लेयर को खत्म करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर 16 सितंबर 1987 को हस्ताक्षर किए थे. इसके बाद 19 दिसंबर 1994 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 16 दिसंबर की तारीख को अंतरराष्ट्रीय ओजोन डे मनाने का फैसला किया. साल 1995 में पहला वर्ल्ड ओजोन डे मनाया गया.

ओजोन लेयर क्या है
ओजोन लेयर धरती के वायुमंडल की एक परत है जो सूरज से सीधी आती किरणों को रोकती है. ओजोन परत सूरज की खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों को छानकर धरती पर भेजता है. ओजोन लेयर धरती और उस पर रहने वाले सभी जीवों की रक्षा हानिकारक किरणों से करती है.ओजोन लेयर ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं (O3) से मिलकर बनने वाली गैस है. ओजोन एक हल्का नीला, जीवन के लिए हानिकारक, बदबूदार और अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस है, जो समताप मंडल में ऊपर मौजूद है. ओजोन का बहुत ऊपर होना ही इसे हमारे लिए हानिकारक होने के बजाय फायदेमंद बनाता है. यदि यह पृथ्वी के वायुमंडल के करीब होती तो, इसका ग्रीनहाउस प्रभाव हमारे लिए हानिकारक होता, जिससे ग्लोबल वार्मिंग और इससे जुड़ी अन्य आपदाएं होतीं.

मोटाई हर जगह एक सी नहीं
ओजोन परत एक सुरक्षात्मक परत है जो पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (UV) किरणों से बचाती है. UV किरणें त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती हैं. फ्रांस के भौतिकविदों फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने 1913 में इस परत की खोज की थी. ओजोन परत वायुमंडल में समताप मंडल के निचले हिस्से में पृथ्वी की सतह के 10 से 22 मील की ऊंचाई पर होती है. इसकी मोटाई हर जगह एक सी नहीं है. जहां यह भूमध्य रेखा के ऊपर सबसे मोटी है तो वहीं ध्रुवों पर यह सबसे पतली होती है. 

ऐसे पहुंचता है ओजोन परत को नुकसान
हम घर पर एसी और फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं और इनसे जो गैस निकलती है वो ओजोन परत को नुकसान पहुंचाती है. वहीं, प्राकृतिक कारकों में सौर क्रिया, वायुमंडलीय संरचरण, पृथ्वी के रचनात्मक प्लेट किनारों से निकलने वाली गैस, नाइट्रस ऑक्साइड, प्राकृतिक क्लोरीन और केंद्रीय ज्वालामुखी उद्गार से निकलने वाली गैसों से भी ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है. पेड़-पौधों को काटना भी ओजोन लेयर के लिए हानिकारक है.

क्या है थीम 
साल 2023 में विश्व ओजोन दिवस की थीम 'मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: फिक्सिंग द ओजोन लेयर एंड रिड्यूसिंग दे क्लाइमेंट चेंज' यानी 'मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: ओजोन परत की मरम्मत और जलवायु परिवर्तन को कम करना' रखी गई है. यह थीम मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के सफल प्रभाव को रेखांकित करने के साथ दोहराती है कि इसका जलवायु परिवर्तन पर कितना अच्छा असर देखने को मिला था. इसमें हाइड्रोफ्लोरोकार्बन जैसे पदार्थों के उपयोग को चरणबद्ध किंतु निश्चित तरीकों से खत्म किया गया था.

हमें कैसे बचाती है ओजोन लेयर
मान लीजिए यदि घर की छत न हो या टूट जाए तो क्या होगा? गर्मी, बारिश और सर्दी की सीधी मार आप पर पड़ेगी. यह किसी को भी बीमार बनाने या जान लेने के लिए काफी हो सकता है. जिस तरह छत आपको बचाने का काम करती है, उसी तरह ओजोन लेयर भी हमारी पृथ्वी को सोलर रेडिएशन से बचाने का काम करती है. 

ओजोन लेयर हानिकारक यूवी रेडिएशन या सोलर रेडिएसन को कम करता है, विशेष रूप से यूवी-बी वेरिएंट को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने से और हमें कई अन्य बीमारियों जैसे सनबर्न, त्वचा कैंसर और मोतियाबिंद आदि से बचाती है. ओजोन लेयर के बिना, सभी इंसानों और जानवरों की इम्यून सिस्टम खराब हो जाएगा और महासागरों में फाइटोप्लांकटन उत्पादकता में हस्तक्षेप होगा.

अल्ट्रावायलेट किरणों से नुकसान
आज हर घर में फ्रिज और एसी है. इससे निकलने वाली गैस से ओजोन लेयर को काफी नुकसान होता है. अल्ट्रा-वॉयलेट किरणों से हमारे स्किन का मेलेनिन बढ़ जाता है. यहां आपको बता दें कि किसी के स्किन का कलर उसके बॉडी में मेलेनिन पर डिपेंड करता है. जिसकी बॉडी में मेलानिन पिंगमेंट ज्यादा होगा, उस इंसान का स्किन कलर डार्क होगा. ये मेलानिन पिगमेंट कैंसर की वजह भी बन सकता है. यूवी किरण से स्किन का कसाव कम होने लगता है. इसकी वजह से स्किन डैमेज से त्वचा का कसाव कम होने लगता है जिससे, त्वचा ढीली पड़ जाती है और सिकुड़ने लगती है. 

अल्ट्रावायलेट की वजह से चेहरे पर फाइन लाइन्स और झुर्रियां दिखने लगती हैं, जिसके कारण लोग समय से पहले बूढ़े नजर आने लगते हैं. यूवी किरण हमारी आंखों को भी नुकसान पहुंचाती हैं. इनसे मोतियाबिंद जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ये किरणें हमारे इम्यून सिस्टम को भी नुकसान पहुंचाती हैं, जिससे रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और लोग आसानी से इंफेक्शन और बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं.

फसलों को भी हो सकता है नुकसान
ओजोन लेयर न रहे तो फसलों को कई तरह के नुकसान हो सकते हैं. यहां तक कि फसलों पर रेडिएशन का खतरनाक असर देखा जा सकता है. ऐसे में यह लेयर फसल को बचाकर पूरे फसल चक्र को सुरक्षित करती है. रिसर्च में यह भी पता चला है कि ओजोन लेयर क्षतिग्रस्त हो तो धरती पर खाद्य उत्पादन में भारी कमी आ सकती है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि खतरनाक किरणें फसलों की पैदावार को प्रभावित करती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, सोयाबीन, गेहूं और धान पर सबसे खतरनाक असर देखा जाता है.

ओजोन की सुरक्षा के उपाय
1. वाहन, फ्रिज और एसी का इस्तेमाल कम से कम करें.
2. रबर और प्लास्टिक के टायर जलाने पर रोक लगाएं.
3. ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं.
4. पौधे को नुकसान पहुंचाने वाले पेस्टीसाइड का उपयोग कम करें.

1987 में हुई थी मॉन्ट्रियल संधि
हमारी पृथ्वी पर बढ़ते प्रदूषण के कारण ओजोन गैस की इस परत को लगातार क्षति हो रही है. ओजोन परत की क्षति को रोकने के लिए दुनियाभर के देशों ने 14 सितंबर 1987 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल नाम से एक संधि की थी. इस संधि के मुताबिक, दुनिया के सभी देश ओजोन परत को संरक्षण के लिए एक साथ आए. 

मॉन्ट्रियल संधि की खास बातें
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत हाइड्रो फ्लोरो कार्बन (HFC) के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से कम किया जा रहा है. क्लोरो फ्लोरो कार्बन के कारण ही ओजोन परत को नुकसान पहुंचता है. हाइड्रो फ्लोरो कार्बन को चरणबद्ध तरीके से कम करके धरती के तापमान को कम किया जा सकता है. 

मॉन्ट्रियल संधि के लागू होने के बाद लगातार ओजोन संकट कम हो रहा है. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के वैज्ञानिक मूल्यांकन पैनल के ताजा अपडेट के अनुसार ओजोन परत की रिकवरी ट्रैक पर है और अंटार्कटिका पर 2066 तक ओजोन का स्तर 1980 के स्तर पर लौटने की उम्मीद है.

ओजोन परत के महत्व के बारे में बढ़ाएं जागरूकता 
1. विश्व ओजोन दिवस एक अवसर है कि हम ओजोन परत के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाएं और लोगों को इसके संरक्षण के लिए प्रेरित करें.
2. ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs), हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs), और ब्रोमीनयुक्त हाइड्रोकार्बन (HBHCs) शामिल हैं. ये पदार्थ रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, स्प्रे कैन और अन्य उत्पादों में उपयोग किए जाते हैं. विश्व ओजोन दिवस एक अवसर है कि हम ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के उपयोग को कम करने के लिए अभियान चलाएं.
3. ओजोन परत एक वैश्विक संपत्ति है. इसके संरक्षण के लिए वैश्विक सहयोग आवश्यक है. विश्व ओजोन दिवस एक अवसर है कि हम ओजोन परत के संरक्षण के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दें.
4. विश्व ओजोन दिवस 2023 का महत्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि ओजोन परत अभी भी पूरी तरह से ठीक नहीं हुई है. हमें ओजोन परत के संरक्षण के लिए लगातार काम करना चाहिए.
5. विश्व ओजोन दिवस के अवसर पर, हम सभी को ओजोन परत के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करने की आवश्यकता है.

 

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