आसमान में आज पूरा चांद नजर आएगा. आज दिखने वाला चांद बेहद बड़ा और चमकीला दिखाई देता है. इसे वर्म मून के नाम से जाना जाता है. इस चांद को गर्मियां शुरू होने का प्रतीक माना जाता है. इसके नजर आने के बाद होली मनाई जाती है. भारत में शाम 6:30 पर लोग बिना टेलीस्कोप या उपकरण की मदद के अपनी आंखों से सीधे इस दुर्लभ खगोलीय घटना को देख सकेंगे. वर्म मून के समय दुनियाभर में त्योहारों की धूम रहती है. जहां भारत में इस दौरान होली मनाई जाती है वहीं दूसरे देशों में ईस्टर से पहले व्रत का समय होता है. वहीं बौद्ध इस मौके पर माघ पूजा का आयोजन करते हैं.
वर्म मून सिर्फ एक प्राकृतिक घटना से कहीं ज्यादा है. इसे ऊर्जा और अभिव्यक्ति का प्रतीक भी माना जाता है. कई आध्यात्मिक परंपराओं के अनुसार पूर्णिमा ऊर्जा का समय होता है और वर्म मून कई मामले में शक्तिशाली माना जाता है. पहली बार ये नाम अस्तित्व में तब आया था जब 1930 में माएन फार्मर्स अल्मानैक में इसके बारे में रिपोर्ट छपी थी. यूरोप में इसे Lenten Moon के नाम से जाना जाता है.
दिलचस्प बात यह है कि इस साल अगस्त में दो सुपरमून दिखाई देंगे. इस तरह साल 2023 में 12 की जगह 13 सुपरमून का नजारा आप देख पाएंगे. सुपरमून आम तौर पर चमकीला और पृथ्वी के करीब होता है. आज शनि, बुध और सूर्य का त्रिग्रही योग कुंभ राशि में होगा. पूर्णिमा का दिन वृष और कर्क राशि के जातकों के लिए शुभ रहेगा. मिथुन राशिवाले लोगों को आज कार्यक्षेत्र में धैर्य से काम लेना पड़ेगा क्योंकि जल्दबाजी में किया गया काम बिगड़ सकता है, जिससे आपका नुकसान हो सकता है.
क्यों कहा जाता है Worm Moon
बंसत ऋतु में दिखने वाले फुल सुपरमून को साइंटिस्ट और लोग वर्म मून कहते हैं क्योंकि इस महीने गर्मी की शुरुआत की वजह से रेंगने वाले कीड़े यानी कि वर्म धरती की सतह पर आ जाते हैं. दुनिया के अलग-अलग इलाकों में इसका अलग महत्त्व है.
शुगर मून के नाम से भी जाना जाता है
दरअसल साल में सभी पूर्णिमाओं का नामकरण मौसम की घटनाओं के आधार पर किया जाता है. जब आसमान में वर्म मून नजर आता है तब उत्तरी गोलार्घ में सर्दियों का मौसम खत्म होता है. इसके अलावा पेड़ों में जमी छाल हटने लगती है और उस जगह नई छाल आने लगती है. इसे शुगर मून भी कहा जाता है.