12th April in Space History: यूरी गागरिन अंतरिक्ष में जाने वाले पहले इंसान, रहस्य से उठाया पर्दा, जानें कितनी खतरनाक थी वह यात्रा

International Day of Human Space Flight: यूरी गागरिन को कड़ी मानसिक और शारीरिक परीक्षा के बाद अंतरिक्ष में भेजने के लिए चुना गया था. गागरिन ने अंतरिक्ष में 108 मिनट की उड़ान भरी थी. वह जब वापस लौटे तो उनका जोरदार स्वागत किया गया.

Yuri Gagarin (photo twitter)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 12 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST
  • यूरी गागरिन ने 12 अप्रैल, 1961 को वोस्ताक-1 एयरक्राफ्ट में बैठकर भरी थी अंतरिक्ष की उड़ान 
  • अंतरिक्ष से धरती पर मैसेज भेजा था-भारशून्यता लग रही है बहुत अच्छी 

अंतरिक्ष में जाने वाले सबसे पहले इंसान यूरी गागरिन थे. उन्होंने 12 अप्रैल, 1961 को वोस्ताक-1 एयरक्राफ्ट में बैठकर अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी. इसी दिन की याद में हर साल 12 अप्रैल को इंटनेशनल डे ऑफ ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मनाया जाता है. गागरिन ने अंतरिक्ष में 108 मिनट की उड़ान भरी थी. वह जब धरती पर वापस लौटे तो पूरी दुनिया ने उनका स्वागत किया.

बढ़ई के घर में हुआ था गागरिन का जन्म 
यूरी गागरिन का जन्म 1934 में रूस के क्लूशीनो गांव में एक बढ़ई के घर में हुआ था. वह जब 16 वर्ष के हुए तो मॉस्को चले गए. वहां उन्होंने एक फ्लाइंग स्कूल को ज्वॉइन कर लिया. 1955 में उन्होंने पहली बार अकेले विमान उड़ाया. 1957 में ग्रेजुएशन पूरा कर यूरी एक फाइटर पायलट बन गए थे.

कड़ी परीक्षा के बाद चुना गया था
1957 में ही सोवियत संघ ने पहले सैटेलाइट स्पूतनिक-1 को अंतरिक्ष में स्थापित किया था. इसके बाद तय किया गया कि अब इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाए. इसके लिए पूरे देश से आवेदन मंगवाए गए. हजारों लोगों की कड़ी मानसिक और शारीरिक परीक्षा ली गई. इनमें से यूरी गागरिन को चुना गया था. यूरी को इस अभियान के लिए उनकी कम ऊंचाई के कारण भी चुना गया था. उनकी ऊंचाई मात्र पांच फुट दो इंच थी. इसके कारण वे अंतरिक्ष यान की कैप्सूल में आसानी से फिट हो सकते थे.

कई तकनीकी खामियां भी उभरीं
इस मिशन में यूरी गागरिन के जीवन को ही लगभग दांव पर लगा दिया गया था. इस दौरान कई तकनीकी खामियां भी उभरीं. इसके चलते अंतरिक्ष यान अनुमान से कहीं ज़्यादा ऊंचाई वाले ऑर्बिट में स्थापित हुआ. गागरिन के पास ब्रेक थे पर यदि वे काम नहीं करते तो उन्हें अंतरिक्ष यान के खुद ही उतरने का इंतजार करना पड़ता. ऐसी स्थित में अंतरिक्ष यान की वापसी में अधिक समय लग सकता था.ऑक्सीजन, भोजन या पानी किसी भी कमी से गागरिन की मौत हो सकती थी. हालांकि ऐसा नहीं हुआ.

जब यूरी ने अंतरिक्ष में उड़ान भरी थी तो सोवियत के वैज्ञानिकों को डर था कि वो वहां भार शून्यता की स्थिति का सामना करने पर बेहोश हो सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जब गागरिन अतंरिक्ष में पहुंचे तो वो वहां भारशून्यता का आनंद लेते नजर आए. उन्होंने अंतरिक्ष से धरती पर मैसेज भेजा कि उन्हें भारशून्यता बहुत अच्छी लग रही है. अंतरिक्ष से लौटने के बाद गागरिन अंतरिक्ष यात्रियों को ट्रेनिंग देने लगे. 27 मार्च 1968 को एक ट्रेनिंग सत्र के दौरान उनका मिग-15 जहाज हादसे का शिकार हो गया. हादसे में यूरी गागरिन और साथी पायलट की मौके पर ही मौत हो गई.

फीमेल डॉग लाइका को भेजा गया था
गागरिन से पहले 3 नवंबर, 1957 को अंतरिक्ष में फीमेल डॉग लाइका को भेजा गया था. वह अंतरिक्ष में 6 घंटे ही जीवित रह सकी थी. चैंबर का तापमान अधिक होने की वजह से उसकी मौत हो गई थी. भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा थे. वह अप्रैल 1984 में अंतरिक्ष में पहुंचे थे. इसके रवीश मल्होत्रा, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स भी अंतरिक्ष की यात्रा कर चुकी हैं. 

 

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