राजस्थान के जालौर जिले का देवड़ा गांव जानवरों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं है. यहां जख्मी जानवरों का इलाज और भूखे जानवरों को भरपेट खाना मिलता है. पीराराम धायल ने बेजुबानों की देखभाल के लिए अपनी पैतृक जमीन तक न्योछावर कर दी. वे 2013 से अब तक यानी 8 सालों में डेढ़ से दो हजार जानवरों का रेस्क्यू कर चुके हैं. पीराराम धायल की 1989 में सीआरपीएफ में नौकरी लगी थी, लेकिन पांच साल बाद ही सेवा निवृत्ति ले ली. पहले घर पर ही घायल हिरण का इलाज शुरू किया और देखते ही देखते ढाई सौ किलोमीटर के इलाके में पीराराम धायल का सेंटर जख्मी जानवरों के लिए एकमात्र सहारा बन गया. सोनू सूद के साथ देखिए देश की बात सुनाता हूं.
Devda village of Jalore district of Rajasthan is no less than a paradise for animals. Here injured animals are treated and hungry animals are fed. Piraram Dhayal has even sacrificed his ancestral land for this good cause. Watch this report to know more.