'बंदे में है दम' की आज की खास पेशकश में किसी एक शख्सियत की नहीं बल्कि सनातन धर्म के कुछ विशेष तपस्वियों की चर्चा होगी जो कुंभ मेले में एकत्रित हुए हैं और लोगों की आस्था के साथ ही उनके कौतूहल का भी केंद्र बने हुए हैं. कुंभ मेला आदिकाल से ही सनातन संस्कृति का ध्वजा वाहक बना हुआ है. यूं तो कुंभ श्रद्धालुओं के समागम का दुनिया का सबसे बड़ा मेला है लेकिन इस मेले में आम श्रद्धालुओं के साथ जुटते हैं कुछ ऐसे दिव्य साधक और योगी... आम तौर पर जो अज्ञातवास में रहकर तपस्या करते हैं और शरीर को तपाकर लोककल्याण का अलख जगाते हैं. ऐसे ही एक हठयोगी कुंभ मेले में पहुंचे हुए हैं जो कड़ाके की इस ठंड में सूर्योदय से पहले पचास से ज्यादा घड़े के ठंडे पानी से स्नान करते हैं. हठयोगी आम तौर पर संसार से दूर रहकर किसी निर्जन स्थान या हिमालय की कंदराओं में तपस्या करते हैं, लेकिन उनके मन में कुंभ को लेकर इतनी गहरी आस्था है कि कुंभ के दौरान वो यहां आकर कल्पवास करते हैं. कुंभ मेला ही वो अलौकिक स्थली है जहां ऐसे दिव्य हठयोगियों का दर्शन करने का सौभाग्य आम श्रद्धालुओं को मिल जाता है. इस बार इस मेले में दो-दो उर्ध्व बाहु हठयोगी यानी अपने हाथ को लगातार ऊपर उठाकर रखने वाले हठयोगी श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.