देवी के प्रसिद्ध और पावन मंदिरों में 51 शक्तिपीठ(51 Shaktipeeths) शामिल हैं. नवरात्रि(Navratri) के दौरान इन शक्तिपीठों का महत्व बढ़ जाता है. इन शक्तिपीठ के अस्तित्व में आने के पीछे एक खास वजह है. पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव(Lord Shiv) की पहली पत्नी सती ने अपने पिता राजा दक्ष की मर्जी के बिना भोलेनाथ से विवाह किया था. इस पर एक बार राजा दक्ष में एक विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन अपनी बेटी और दामाद को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया. माता सती बिना पिता के निमंत्रण के यज्ञ में पहुंच गईं, जबकि भोलेनाथ(Bholenath) ने उन्हें वहां जाने से मना किया था. राजा दक्ष ने माता सती के सामने उनके पति भगवान शिव को अपशब्द कहे और उनका अपमान किया. पिता के मुंह से पति के अपमान माता सती से बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने यज्ञ की पवित्र अग्नि कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए. भोलेनाथ पत्नी के वियोग को सह न सके. वह माता सती का शव लेकर शिव तांडव करने लगे. ब्रह्मांड पर प्रलय आने लगी, जिस पर विष्णु भगवान ने इसे रोकने के लिए सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए. कहते हैं माता के शरीर के अंग और आभूषण 51 टुकड़ों में धरती पर अलग अलग जगहों पर गिरे, जो शक्तिपीठ बन गए. आज हम उन्हीं 51 शक्तिपीठों के बारे में विस्तार से बताते हैं.